भारतीय क्रिकेट टीम में हमेशा से ही प्रतिस्पर्धा का दौर रहा है. यही नहीं हमेशा नए से नए और प्रतिभाशाली खिलाड़ी (Player) पनपते रहते हैं. यहां तक कि रोज ही नए रिकॉर्ड ही बनते रहते हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही राजस्थान के एक युवा खलाड़ी ने चार ओवर में ही पूरी टीम का विकेट गिरा दिया था. भारत में दो हरफनमौला खिलाड़ी रविन्द्र जडेजा और हार्दिक पांड्या सबसे ज्यादा जाने जाते हैं. ठीक वैसे ही बिहार में भी एक आलराउंडर खिलाड़ी हैं, जिन्होंने हर मैच में धमाकेदार प्रदर्शन किया है. बावजूद इसके उन्हें नजरंदाज ही किया जा रहा है.
17 मैचों में ही 117 विकेट लिए हैं इस Player ने
बिहार के लिए 2018 में ही रणजी और प्रथम श्रेणी मैचों में पदार्पण करने वाले आशुतोष अमन 2020-21 के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 6 मैचों में ही 16 विकेट लेकर टॉप विकेटटेकर रहे थे. बिहार के लिए प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए इस हरफनमौला Player ने सिर्फ 17 मैचों में ही 30 पारियों में 2.22 की इकॉनमी और 11.35 की जबरदस्त औसत के साथ 117 विकेट झटक लिए.
सिर्फ यही नहीं बाएं हाथ के इस स्पिन गेंदबाज ने इन्ही 17 मैचों में 5 बार नाबाद रहते हुए 1 शतक और 4 अर्धशतक लगाते हुए 631 रन बना दिए. इसके साथ ही 18 घरेलू टी20 मैचों में 23 विकेट अपने नाम कर चुके आशुतोष को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की किसी भी स्पर्धा का हिस्सा नहीं बनाया गया.
उम्र बनी सबसे बड़ी रुकावट
बिहार के लिए प्रथम श्रेणी मैचों में 117 विकेट लेने के साथ ही 600 से ज्यादा रन बनाने का कारनामा कर चुके आशुतोष अमन को स्टेट लेवल के मैचों से आगे बढ़कर नहीं चुना गया. ऐसा नहीं है कि यह खिलाड़ी होनहार और प्रतिभाशाली नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि आगे चलकर यह Player टीम को जीत ना दिला पाए.
बावजूद इसके टीम प्रबंधन लगातार इनको नजरंदाज कर रहा है. दरअसल यह खिलाड़ी उम्र की उस पड़ाव में पहुंच कर टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहा है जब अन्य का करियर खत्म होने की कगार पर पहुंचने लगता है. ऐसे में सिर्फ एक या ज्यादा से ज्यादा दो साल के लिए प्रबंधन मौका देने के भी मूड में नहीं होगा.