जब पिता के देहांत के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर खेली थी यादगार और भावुक पारी

क्रिकेट इतिहास में आज के दिन का एक विशेष स्थान है. आज ही दिन सन 1999 के विश्व कप के दौरान सचिन तेंदुलकर ने शानदार 140 रनों की नाबाद पारी खेली टीम इंडिया को जीत दिलाई थी.

अब आप सोच रहे होगे कि सचिन ने बहुत से शतक लगाकर टीम इंडिया को जीत दिलाई है और विश्व कप के मुकाबलों में भी उनके बल्ले से मैच जीताऊ शतक निकले तो यह इतना विशेष क्यों…

पिता के देहांत के बाद आई थी यह पारी

जब पिता के देहांत के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर खेली थी यादगार और भावुक पारी
जब पिता के देहांत के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर खेली थी यादगार और भावुक पारी

दरअसल सन 1999 के विश्व कप में आज के दिन भारत और केन्या के बीच मुकाबला खेला गया था और इस मैच से ठीक पहले 19 मई को सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का मुंबई में निधन हो गया था. पिता के निधन के चलते सचिन विश्व कप बीच में छोड़ भारत वापस आ गये थे.

सचिन के भारत वापस लौटने के बाद ही भारतीय टीम को ज़िम्बाब्वे के खिलाफ मिली हार का सामना करना पड़ा था और केन्या के विरुद्ध मैच टीम की जीत के लिए बहुत अहम था.

मैच शुरू होने से पहले सचिन ना सिर्फ भारतीय टीम के साथ जुड़े, बल्कि नम आँखों के साथ उन्होंने यह मैच भी खेला. सचिन तेंदुलकर ने नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते हुए मात्र 101 गेंदों के भीतर 140 रनों की यादगार पारी खेली थी. अपनी पारी में मास्टर ब्लास्टर ने 16 चौके और तीन छक्के भी लगाये थे.

द्रविड़ और सचिन के बीच हुई यादगार साझेदारी

जब पिता के देहांत के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर खेली थी यादगार और भावुक पारी
जब पिता के देहांत के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर खेली थी यादगार और भावुक पारी

दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला काउंटी ग्राउंड, ब्रिस्टल में खेला गया था. जहाँ टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 329/2 का स्कोर बनाया था. सचिन तेंदुलकर नाबाद 140 के साथ साथ राहुल द्रविड़ भी नाबाद 104 रन बनाने में सफल रहे थे.

सचिन और द्रविड़ ने तीसरे विकेट के लिए बेहतरीन 237 रनों की साझेदारी निभाई थी और 330 रनों के लक्ष्य के जवाब में केन्या 235-7 का स्कोर ही बना सकी और मैच 94 रन से हार गयी.

मैच में अपना 22वां एकदिवसीय शतक जमाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. सचिन ने अपनी यह शतकी पारी अपने पिता को समर्पित की थी.

AKHIL GUPTA

क्रिकेट...क्रिकेट...क्रिकेट...इस नाम के अलावा मुझे और कुछ पता नहीं हैं. बस क्रिकेट...