1 अगस्त से शुरू हुए पहले टेस्ट मुकाबले की दूसरी पारी में भारत के हीरो रहे तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने अपनी गेंदबाजी का श्रेय अपनी मानसिक ताकत को दिया हैं। उनका कहना कि अपने खेल के मानसिक पहलुओं पर सफलता पूर्वक काम करना ही उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन की देन हैं। इस समय भारतीय गेंदबाजों की सबसे अधिक विकेट लेने की सूची में वह 7वें स्थान पर हैं। अब तक 83 टेस्ट मुकाबलो में उन्होंने 244 लोगों को अपना शिकार बनाया हैं।
इशांत ने कहा की अपनी तैयारी में मैंने कुछ अलग नहीं किया
बीसीसीआई टीवी को इंटरव्यू देते हुए इशांत ने कहा ” मैंने अपनी तैयारी में कुछ भी अलग नहीं किया हैं। मैंने सिर्फ अपनी खेल को ले सोच बदली हैं। आपकी सोच अपने आप सही दिशा में आ जाती हैं अगर आप लगातार अच्छी लेंथ पर गेंदबाजी करे। आपका कॉन्फिडेंस बढ़ता है अगर आप सोची गई रणनीति के हिसाब से गेंदबाजी कर जाते हैं। अगर आप गुड लेंथ पर लगातार गेंदबाजी करेंगे और बल्लेबाज का सयंम टेस्ट करेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।”
इशांत ने कहा मैं जिस देश में खेलु मेरा मकसद सिर्फ भारत की जीत
उनको कौन सी चीज प्रेरित करती है इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा ” मैं जहां भी खेलु चाहे वो इंग्लैंड हो, ऑस्ट्रेलिया हो या फिर साउथ अफ्रीका हो मैं भारत के जीत के लिए खेलता हूँ। जैसा की आप देख सकते है मैं अब ज्यादा लम्बे समय तक गेंदबाजी कर सकता हूँ। ऐसा करने का तरीका हर जगह वहीं होता हैं आप जैसे भी सही लेंथ पर गेंदबाजी करते रहे और यह आपको सोचना होता है कि आप कैसे करेंगे। दिन के अंत में जब आपको नतीजे अच्छे मिलते हैं तो आपको खुशी मिलती हैं।
उनके करियर में एक समय ऐसा भी था जब अच्छी गेंदबाजी करने के बाद भी उन्हें विकेट नहीं मिलते थे और उन्हें किस्मत के मारे इशांत के नाम से बुलाया जाता था। लोग कहते थे अच्छी गेंदबाजी की पर हार्ड लक विकेट नहीं मिला। यह सब ठीक हैं जब तक आप टीम में युवा हैं लेकिन जैसे ही आप टीम के सीनियर खिलाड़ी हो जाते हैं आपको अच्छा खेलना पड़ता हैं।
पहला मुकाबला हारने के बाद भी भारत इतिहास लॉर्ड्स मैदान पर दोहरा सकता हैं। पिछले 2014 इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम ने अपना एक मात्र टेस्ट मुकाबला लॉर्ड्स में ही जीता था। इशांत उस मुकाबले के हीरो रहे थे जब अकेले दूसरी पारी में उन्होंने 7 विकेट ले 95 रनों से इंग्लैंड को हरा दिया था।
इशांत ने यह भी कहा कि टीम में अच्छे गेंदबाज मौजूद हैं और आपस में ही बहुत कॉम्पीटीशन हैं। यह टीम के लिए एक अच्छा संकेत है। यह आपको अपना सबसे अच्छा देने को मजबूर करता हैं और आपमें टीम से बाहर जाने का डर होता हैं।