चेन्नई सुपर किंग्स के युवा सलामी बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी फैंस और टीम को काफी प्रभावित किया. महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी की तारीफ चेन्नई की टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी की. ऋतुराज गायकवाड़ की सफलता के पीछे 7 साल पहले मिली उस सलाह का बड़ा हाथ है जो उन्हें उनके कोच ने दी थी.
कोच की सलाह ने बदली गायकवाड़ की जिंदगी
इंडियन प्रीमियर लीग में हर साल हिस्सा लेने वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने अपने प्रदर्शन से काफी प्रभावित किया. वहीं आईपीएल-2020 में अपना पहला आईपीएल सीजन खेल चुके महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम के युवा सलामी बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ ने इस सीजन अच्छा प्रदर्शन किया.
गायकवाड़ के कोच संदीप चव्हाण ने कहा कि
“वह वेंगसरकर क्रिकेट अकादमी में हमारा प्रशिक्षु थे. मुझे लगता है तब वह 16 साल के थे और जूनियर स्तर पर महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे. मुझे याद है कि मैंने ऋतुराज गायकवाड़ से क्लब मैच में पारी का आगाज करने की सलाह दी और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में फायदा होगा.”
12 साल की उम्र में अकादमी में हुए थे शामिल
उन्होंने आगे कहा कि
“वह 16 साल के थे और स्थानीय टूर्नामेंट ( मांडके ट्रॉफी ) के सीनियर स्तर के मैच में उन्होंने पारी का आगाज करते हुए 100 और 90 रन बनाकर मेरे फैसले को सही साबित किया. राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए शुरुआत में सलामी बल्लेबाज के तौर पर उसेब कुछ परेशानी हुई लेकिन वह इसमें ढल गया और अब विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज है. गायकवाड़ 2008-09 में 12 साल की उम्र में इस अकादमी में शामिल हुए और उन्हें तभी पता चल गया था कि उनमें एक विशेषज्ञ प्रतिभा है.”
गायकवाड़ की तकनीक में थी समस्या
कोच संदीप चव्हाण ने आगे कहा कि
“शुरूआत में उसके साथ तकनीक की समस्या थी लेकिन उसने अंडर-14 की जगह अंडर-19 में खेलना शुरू किया और इससे उसका आत्मविश्वास काफी बड़ा.”
उनके बचपन के कोच मोहन जाधव ने कहा कि
“गायकवाड़ ने आईपीएल में जैसी सफलता हासिल की वैसी ही सफलता उन्होंने सीनियर स्तर पर भी हासिल की की थी. वह आमंत्रण टूर्नामेंट के शुरूआती दो मैचों में सफल नहीं रहे थे. लेकिन उन्होंने तीसरे मैच में अच्छी पारी खेली जिसमें उनका आत्मविश्वास काफी बड़ा.”
“उन्होंने फाइनल में 182 रन की पारी खेली जिसके बाद महाराष्ट्र की जूनियर टीम में उनका चयन हुआ. ऋतुराज गायकवाड़ की सबसे बड़ी विशेषता खुद में सुधार करने की ललक और अपने खेल को अच्छे तरह से समझना है.”