जब 2017 महिला विश्वकप में हरमनप्रीत कौर ने ऑस्ट्रलिया के खिलाफ 171 रनों की पारी खेली थी, तो सोशल मीडिया पर लोगों ने बधाइयों के रंग बिखेर दिए थे। लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ है जो इस महिला खिलाड़ी के लिए शर्मनाक है। नकली डिग्री के चक्कर मे न जाने कितने आम विद्यार्थियों को नौकरी से निकालने की घटना सामने होती रही है। लेकिन यहां सरकार पेहली बार किसी को बचाते दिख रही है। इसे पहले हरभजन सिंह और जोगिंदर शर्मा को भी डीएसपी पद से सम्मानित किया जा चुका है।
भारतीय महिला क्रिकेट टी-20 कप्तान हरमनप्रीत कौर की मुश्किलें अब बढ़ती दिख रही है। जहां एक तरफ पंजाब सरकार उनकी फेक स्नातक डिग्री के बाद भी माननीय डीएसपी रैंक पर, उन्हें रखने का विचार कर रही है। वहीं दूजी तरफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के वकील हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गए है।
शनिवार को ही हाई कोर्ट के वकील दिनेश कुमार जंगरा और विकास मलिक ने अपनी शिकायत डीजीपी सुरेश अरोरा, मोगा एसएसपी गुरप्रीत सिंह तूर और जलंधर डीसीपी राजिंदर सिंह के अलावा मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे को भेज दी है। उसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि डीएसपी की पोस्ट पाने हेतु हरमनप्रीत ने जालसाजी के तहत नकली डिग्री जमा की है।
इंडियन पैनल कोड के धारा 420( बेईमानी) , 467 ( जालसाजी), 468( बेईमानी हेतु जालसाजी करना) , 471( जाली दस्तावेजो को सही बता इस्तेमाल करना), 120B ( मुजरिम की तरह दिमाग दौड़ाना) के तहत उन पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। आगे जोड़ते हुए उन्होंने लिखा की इस प्रक्रिया को पूरा करने में जिन्होंने भी उनका साथ दिया है ,उन सब पर इन्हीं धाराओं के तेहत करवाई की जाएंगी।
आपको बता दे कि यह डिग्री चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय , मेरठ ने उन्हें दी थी। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध महिला विश्वकप में पिछले जुलाई 171 रनों की पारी खेलने हेतु ऑफर की थी। आखिरकार मार्च 1 को वो डीएसपी पद से यह बात रखते हुए जुड़ी की उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग मोड से 2011 में बीए फाइनल पूरा कर लिया था।
बाद में राज्य सरकार ने उनके डीएसपी पद को छीनते हुए उन्हें कांस्टेबल का पद उनकी 12वीं की मार्कशीट के आधार पर दिया था। लेकिन 11 जुलाई को पंजाब मुख्यमंत्री ने इस बात के संकेत दिए की जैसे सचिन को इंडियन एयर फोर्स ने माननीय ग्रुप कैप्टेन के तौर पर लिया था, वैसे ही हरमनप्रीत को डीएसपी पद दिया जाएगा।
अपने शिकायत में दोनों हाई कोर्ट वकीलों ने ये भी कहा है कि पहले रेलवे में ऑफिस सुप्रिटेंडेंट के पद पर भी वो इसी डिग्री के सहारे लाई गई थी। शिकायत में यह भी लिखा गया है कि इस नकली डिग्री पर उन्होंने रेलवे से सैलरी भी उठाई है।