पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने कहा कि अगर उनके समय में डिसीजन रिव्यू सिस्टम होता तो अनिल कुंबले 900 विकेट लेकर अपना करियर समाप्त करते. अनिल कुंबले हमेशा से ही अपनी सटीक लाइन और लेंथ के लिए जाने जाते थे और इसीके चलते उन्होंने कई बार विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को एलबीडबल्यू आउट कर पवेलियन भेजा.
अनिल कुंबले गेंद को टर्न कराने में माहिर थे और यह उनकी सबसे बड़ी ताकत भी मानी जाती थी. कुंबले बहुत ही चतुर गेंदबाजों में से एक थे और उन्हें पता रहता था कि सामने वाले बल्लेबाज को कैसे उलझाया जायें.
शानदार रहा जंबो का रिकॉर्ड
कुंबले ने 132 टेस्ट मैचों में 29.65 की औसत से 619 विकेट हासिल किए. अनुभवी मुथैया मुरलीधरन और शेन वॉर्न के बाद वह टेस्ट में तीसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. कुंबले एक पारी में 10 विकेट झटकने के साथ टेस्ट इतिहास में केवल दूसरे गेंदबाज है, उन्होंने यह कीर्तिमान सन 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध बनाया था.
अनिल ने भारत के लिए 271 एकदिवसीय मैचों में 30.9 की औसत के साथ 337 विकेट अपने नाम किये. कुंबले ने साल 2007 में वनडे और साल 2008 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था.
गंभीर ने कही बड़ी बात
हाल में ही गौतम गंभीर ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत के दौरान कहा कि अगर उनके समय पर डीआरएस होता तो हरभजन अपने करियर में 700 और कुंबले 900 विकेट ले चुके होते. गौतम के अनुसार यह दोनों ही गेंदबाज कई बार फ्रंटफुट पर ही एलबीडबल्यू लेने से चूक गये थे.
उन्होंने कहा, “वे फ्रंट फुट पर एलबीडब्ल्यू के फैसले से चूक गए. भज्जू पा ने केपटाउन में सात विकेट लिए, बस कल्पना कीजिए. अगर वे विपक्षी टीम के खिलाफ हावी होते तो फिर टीम 100 रन भी नहीं बना पाती.”
स्टार ऑफ़ स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने टीम इंडिया के लिए 104 टेस्ट मैच खेले है और इस दौरान वह 417 विकेट हासिल करने में सफल रहे.