Deepak Chahar- chappell

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज दीपक चाहर (Deepak Chahar) श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे (India vs Sri Lanka) में अपनी आक्रामक पारी के दम पर जमकर चर्चा बटोर रहे हैं. उन्होंने इस मुकाबले में 82 गेंदों का सामना करते हुए 69 रन की विनिंग पारी खेली. साथ ही भारत को सीरीज पर रोमांचक जीत भी दिलाई. उनकी इस विस्फोटक पारी ने सभी का दिल जीत लिया है. इसी बीच उन्हें लेकर पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad)  ने बड़ा खुलासा किया है.

ग्रेग चैपल ने भारतीय तेज गेंदबाज के साथ किया था ऐसा बर्ताव

Deepak Chahar

दरअसल श्रीलंका के खिलाफ दूसरे ODI में 69 रन की पारी खेलने से पहले दीपक चाहर (Deepak Chahar) ने 53 रन देकर 2 विकेट भी झटके थे. इसके बाद बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने अपनी एक और प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जिसने फैंस ही नहीं बल्कि पूर्व भारतीय क्रिकेटरों का दिल जीत लिया. लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि ग्रेग चैपल ने एक दौर में उनके साथ नाइंसाफी की थी. जिसके बारे में पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने खुलासा किया है.

इस बारे में पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad) ने बताया कि, इसी दीपक चाहर (Deepak Chahar) को ग्रेग चैपल (Greg Chappell) ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी लंबाई के कारण उन्हें नकार दिया था. इसके बाद उन्हें किसी और फील्ड में करियर विकल्पों को भी तलाशने तक की सलाह दे दी थी.

भारतीय कोच और मेंटर्स पर करें भरोसा

दीपक चाहर के साथ ग्रेग चैपल ने की थी नाइंसाफी, दूसरे फील्ड में करियर तलाशने की दे दी थी सलाह

पूर्व क्रिकेटर ने ये वाकया इसलिए भी साझा किया है, ताकि खिलाड़ी खुद पर विश्वास करें. साथ ही कभी अपने इरादे से डगमगाए नहीं और विदेशी कोचों को गंभीरता से ना लें. अपने बयान के दौरान वेंकटेश ने टीम और फ्रेंचाइजियों को भारतीय कोचों और मेंटर्स पर विश्वास करने की भी सलाह दी. क्योंकि उनका मानना है कि, भारतीय कोचों और मेंटर्स को टैलेंट का ज्यादा ज्ञान है.

दीपक चाहर के साथ ग्रेग चैपल ने की थी नाइंसाफी, दूसरे फील्ड में करियर तलाशने की दे दी थी सलाह

वेंकटेश प्रसाद ने इसे लेकर कई ट्वीट किए. उन्होंने इस ट्वीट में लिखा कि,

”दीपक चाहर (Deepak Chahar) को ग्रेग चैपल ने आरसीए में उनकी ऊंचाई के लिए हटा दिया था और एक अलग करियर देखने के लिए कहा था. लेकिन, अब उन्होंने अकेले दम पर अपने उसी प्रतिभा से मैच जीता है, जिसमें वह दक्ष नहीं हैं. कहानी का नैतिक- खुद पर विश्वास करें और विदेशी कोचों को ज्यादा गंभीरता से न लें.

अपवाद हैं लेकिन, भारत में ऐसी अद्भुत प्रतिभा के साथ अब समय आ गया है कि टीमें और फ्रेंचाइजीज किसी भी हर तरह से भारतीय कोच और मेंटर रखने पर विचार करें.”