बिहार क्रिकेट बोर्ड(Bihar Cricket Board) में इस वक्त हंगामा मच गया है। क्योंकि बीसीए के लोकपाल राघवेंद्र कुमार सिंह ने रविवार को बिहार क्रिकेट बोर्ड के सचिव संजय कुमार को हितों के टकराव के चलते पद से हटाने का निर्देश दिए हैं। लोकपाल ने उन्हें पद से हटाने के साथ-साथ एक साल तक क्रिकेट की किसी भी गतिविधियों से दूर रहने की बात कही है।
हितों के टकराव के चलते सचिव को किया जाएगा बर्खास्त
बीसीसीआई के नियमों के अंतर्गत किसी भी राज्य क्रिकेट बोर्ड व खिलाड़ियों को हितों के टकराव होने पर एक पद को छोड़ना होता है और उन्हें सजा भी मिलती है। अब टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार क्रिकेट बोर्ड (Bihar Cricket Board) के सचिव संजय कुमार को भी हितों के टकराव के चलते पद से बर्खास्त करने के लिए लोकपाल ने बीसीए की वार्षिक बैठक को मंजूरी मिल दे दी है।
कुमार के खिलाफ आरोप सचिव द्वारा अपने बेटे शिवम एस कुमार को 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी के लिए बिहार टीम की टीम में चुने जाने के लिए एसोसिएशन में अपने पद का उपयोग करने से संबंधित है। कुमार ने हालांकि कहा कि नैतिकता अधिकारी के आदेश का कोई मतलब नहीं था।”
संजय कुमार ने दी सफाई
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए संजय कुमार ने अपनी सफाई पेश की है। उनका कहना है कि इस आदेश का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने टीओआई को बताया,
“मुझे यह आदेश मिला है, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार, जो 6 मार्च, 2020 को दिया गया था, बीसीए नैतिकता अधिकारी-सह-लोकपाल कोई आदेश पारित नहीं कर सकता है। मेरे पास उस आदेश की कॉपी है। आप इस तरह एक लोकपाल नियुक्त नहीं कर सकते और अपने पक्ष में एक आदेश प्राप्त कर सकते हैं, वैसे, यह लोकपाल खिलाड़ियों की सूची पर भी हस्ताक्षर कर रहा है, जिसकी जांच की जानी चाहिए।”