सन्यास को लेकर युवराज सिंह ने की बड़ी घोषणा,बस इतने साल खेलेंगे आईपीएल
Published - 16 Feb 2018, 06:33 PM

धुरांधर बल्लेबाज युवराज सिंह भारतीय टीम में वापसी करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए वो काफी मेहनत भी कर रहे। कैंसर से उबरने बाद युवराज सिंहो को टीम को कुछ एक मौके जरूर मिले हैं लेकिन वो कोई खास प्रदर्शन नहीं दिखा सके । हालांकि उनका पूरा ध्यान इस समय आईपीएल पर है। उनका मानना है कि उनके अंदर अभी काफी क्रिकेट बचा हुआ है। सन्यास लेने के सवाल पर युवराज ने कहा कि वो अपनी शर्तों के हिसाब से सन्यास लेंगे। हालांकि अभी मैं दो-तीन आईपीएल खेल सकता हूं।
राष्ट्रीय टीम में खेलने की भूख नहीं हुई खत्म
युवराज सिंह ने क्रिकइंफो को दिए गए इंटरव्यू में बड़े ही साफगोई से कहा कि अभी फिर हाल वो सन्यास लेने वाले नहीं हैं। हम फिटनेस को लेकर अच्छा महसूस करते हैं। इसलिए हमारे अंदर कम से कम दो साल का क्रिकेट बचा हुआ है। राष्ट्रीय टीम में खेलने की हमारी भूख अभी खत्म नहीं हुई है।
"मैं किसी भी अफसोस के साथ खेल छोड़ना नहीं चाहता, मुझे लगता है कि हमें कुछ और वर्ष खेलना चाहिए । मैं अब भी खेल रहा हूं क्योंकि मैं क्रिकेट खेलने का आनंद ले रहा हूं, सिर्फ इसलिए नहीं कि मुझे भारत के लिए खेलना है या मुझे आईपीएल के लिए खेलना है। प्रेरणा निश्चित रूप से भारत के लिए खेलना है। मुझे लगता है कि मुझमें दो या तीन आईपीएल शेष रह गए हैं, "
सन्यास के बाद कैंसर पीड़ितों की मदद करना चाहता हूं
अपने सन्यास के बाद की योजना का भी खुलासा क्रिकेटर युवराज सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट से अलविदा लेने के बा हमारी नई पारी कमेंटेटर के रूप में नहीं होगी। हम अपने फाउंडेशन के तहत कैंसर पीड़ितों की मदद करना चाहता हूं । बता दें कि युवराज सिंह का संगठन युवीकैन कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए काम करता है।
" मैं कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए मददगार बनना चाहता हूं। मैं एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाऊं जिसने कभी हार नहीं मानी है। चाहे मैं भारत के लिए खेलता हूं या नहीं।"
जरूरतमंद बच्चों को कोचिंग देंगे युवराज
युवराज सिंह सन्यास के बाद प्रत्यक्ष तौर पर खेल के मैदान से नहीं जुड़ेंगे लेकिन वो जरूरतमंद गरीब बच्चों को कोचिंग देने का काम करेंगे। उनका कहना है कि वो ऐसे बच्चों की मदद करना चाहते हैं जो सच में खेल के सेक्टर में आगे बढ़ना चाहते हैं। मुझे युवाओं से बात करने में अच्छा लगता है।
''मैं जरूरतमंद बच्चों की तलाश करूंगा और उनके खेल और पढ़ाई पर ध्यान दूंगा। खेल की तरह ही एजुकेशन भी बेहद जरूरी है। आपको दोनों पर ही फोकस करना होगा। शिक्षा की कीमत पर खेल को तरजीह नहीं दी जा सकती।”