जब कैंसर से जूंझ रहे थे युवराज सिंह, तब छिप-छिप कर रोती थीं उनकी मां, खुद बताई आपबीती

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Rubin Ahmad
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4 फरवरी को पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) के रूप में मनाया जाता है. साल 1933 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी और इसके पीछे ये उद्देश्य रहता है कि लोगों को इस बीमारी और इससे बचने के तरीकों को लेकर जागरुक किया जा सके. वहीं कैंसर से जंग जीतने वाले भारत के 'सिंह इज किंग' Yuvraj Singh ने एक वीडियो जारी किया है. वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) पर उनकी मां शबनम सिंह कैंसर से पीड़ित परिवार वालों को एक मैसेज दे रही है. इस घातक बीमारी से जीता जा सकता है.

Yuvraj Singh की मां ने सुनाई आपबीती

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. जिसका नाम सुनते ही मरीज शॉक में आ जाता है. वो ठीक होने के वजह उल्टा सीधा-सोचने लगते हैं. लेकिन युवराज सिहं की मां शबनम सिंह ने कैंसर के सामने कभी हार नहीं मानी. वो हमेशा युवराज को मोटिवेशन देती रहीं. Yuvraj Singh ने अपनी मां का वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) पर अपनी मां का अनोखे अंदाज में शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने लिखा कि,

"इस वीडियो को शेयर करते हुए युवराज सिंह ने लिखा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि यह सफर मुश्किल रहा। लेकिन आपके केयरगिवर का प्यार और सपोर्ट आपको बहुत मजबूती देता है। और इससे आपको खराब दिनों से लड़ने में मदद मिलती है। इस वर्ल्ड कैंसर डे पर मैं अपनी केयरगिवर शबनम सिंह को शुक्रिया कहता हूं।"

'कैंसर से लड़ने के लिए मां दिये कुछ टिप्स'

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कैंसर एक खतरनाक बीमारी है. परिवार में किसी भी शख्स को हो जाने के बाद पूरा परिवार टेंशन में आ जाता है. इस मुश्किल वक्त में परिवार को संभालना सबसे मुश्किल काम होता है. कैंसर एक खरनाक बीमारी है. जिसका नाम सुनते ही मरीज शॉक में आ जाता है. वो ठीक होने के वजह उल्टा सीधा-सोचने लगता है. ऐसे में परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. भारतीय टीम के बल्लेबाज Yuvraj Singh ने कैंसर जैसी घातक बीमारी को मात दी थी. जिसमें उनकी मां शबनम ने अहम जिम्मेदारी निभाई थी. शबमन ने बताया कि कैंसर पेशेंट का ध्यान रखने वालों को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

"शबनम ने कहा कि कैंसर पेशेंट का ध्यान रखने वालों को बहुत मजबूती से पेश आना होता है. उन्होंने ये भी बताया कि ट्रीटमेंट के दौरान उन्होंने हर कदम पर युवी का साथ दिया और कभी उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया. उन्होंने साथ ही कहा कि अगर रोना आए तो छिप-छिप कर रो लेना चाहिए लेकिन केयरगिवर को कभी कैंसर पेशेंट के सामने नहीं रोना चाहिए."

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