पूर्व भारतीय क्रिकेटर और 1983 में वर्ल्ड कप टीम के नायक रहे यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. इसी हफ्ते मंगलवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. जिसके चलते 66 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. इस खबर के सामने आने के बाद पूरा क्रिकेट जगत शोक में डूबा था. हालांकि खेल जगत से वो पहले ऐसे प्लेयर नहीं हैं जिनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ हो. इस लिस्ट कैमरून के फुटबॉलर मार्क विवियन फो का नाम शामिल है, जिनका निधन साल 2003 में पिच पर ही कार्डियक अरेस्ट से हो गया था.
वहीं हाल ही की बात है जब फिनलैंड के खिलाफ डेनमार्क के यूरो मुकाबले के दौरान क्रिश्चियन एरिक्सन मैदान पर गिर गए थे. इस बात का इतिहास गवाह रहा है, जब खेल जगत के अलग-अलग विभागों में बड़े खिलाड़ियों को दिल का दौरा पड़ा. अब इस मसले को लेकर मुख्य विशेषज्ञों के बीच बड़ी बहस छिड़ गई है.
यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) के निधन के बाद विशेषज्ञों के बीच बीमारी को लेकर छिड़ी बहस
इन मुद्दों पर यशोदा हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ जी रमेश ने एथलीटों की अचानक से कार्डियक की वजह से हो रही डेथ के पीछे के 2 मुख्य कारण बताए हैं. इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ रमेश ने कहा,
"युवाओं में एरिथमिक सब्सट्रेट या वंशानुगत पूर्ववृत्ति की वजह से असामान्य हृदयघात होने की प्रवृत्ति है, जैसा कि हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर के साथ हुआ था."
फिलहाल उन्होंने कार्डियक अरेस्ट के कारण को लेकर एक अलग ही स्पष्टीकरण दिया है. जिसकी वजह से यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) का निधन हुआ है. क्योंकि इससे पहले सौरव गांगुली और कपिल देव (Kapil Dev) को भी दिल का दौरान पड़ा था. लेकिन, इलाज के बाद वो इस बीमारी से उबर गए थे. डॉ रमेश ने इस बारे बात करते हुए कहा कि, अन्य मामले हमारे क्रिकेटरों के हालिया उदाहरण हैं, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा है.
किस स्थिति में दिल का दौरा पड़ता है
उन्होंने आगे कहा कि, इनमें से कई खिलाड़ियों का समय पर इलाज कर दिया गया. जैसे कि सौरव गांगुली या कपिल देव के केस में देखने को मिला. लेकिन, यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) के लिए दिल का दौरा घातक साबित हुआ. इन सभी मामलों के पीछे की वजह कोरोनरी धमनियों में अचानक पट्टिका का टूटना है. जिसके अधार पर धमनी में रुकावट होती है और कुछ मामलों में, अचानक अटैक पड़ने पर मौत हो जाती है.
इसका कारण
"धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव हो सकता है जो कई कारकों जैसे वंशानुगत, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, धूम्रपान या ज्यादा शराब का सेवन, शारीरिक या मानसिक तनाव और खाने या फिर आहार की आदतों और खराब जीवन शैली की वजह से हो सकता है".
इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि, एरिक्सन जैसे युवा एथलीट खिलाड़ियों तो इलाज के लिए एक इम्प्लांटेबल कार्डिएक डिफाइब्रिलेटर को शामिल करना होगा. इसके साथ ही हद से ज्यादा परिश्रम जैसे पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों से बचना होगा.
कैसे कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक से बचा जा सकता है
इसके साथ ही डॉक्टर ने इन बीमारियों से बचाव का तरीके पर बात करते हुए कहा कि,
"एक ईसीजी इको और स्ट्रेस टेस्ट समेत नियमित स्वास्थ्य जांच के साथ एक संतुलित जीवन शैली, कोलेस्ट्रॉल के जमाव को रोकने का सबसे सही तरीका होगा."
विशेषज्ञों के मुताबिक हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में भी काफी अंतर है. कार्डिएक अरेस्ट हृदय की इलेक्ट्रिकल प्रणाली की खराबी है. औसत हृदय गति 60 से 100 बीट प्रति मिनट होती है.
जानकारी के अनुसार अगर हृदय 250,300 या 400 प्रति मिनट की तीव्र गति से धड़कने लगे तो इसका सामना करने में ह्रदय असमर्थ हो जाता है और रक्तचाप गिर जाता है. दिल का दौरा पड़ने के बारे में तब पता चलता है जब हृदय अचानक रुक जाता है यानी कि हृदय गति इतनी धीमी जाती है कि, वह शरीर के बाकी हिस्सों के लिए अंदर से रक्त उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाती है.
एक मरीज को कार्डियक अरेस्ट के बाद हार्ट अटैक आ सकता है
इसके बारे में बातचीत करते हुए वॉकहार्ट अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रवि गुप्ता ने बताया कि,
"एक मरीज को कार्डियक अरेस्ट के बाद दिल का दौरा पड़ सकता है या इसके विपरीत भी हो सकता है." उन्होंने यह भी बताया कि, कार्डियक अरेस्ट दिल के दौरे के साथ भी हो सकता है".