भारतीय युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (Yashaswi Jaiswal) ने रणजी ट्रॉफी 2022 में अपने बल्ले से आग उगली है। मुंबई की ओर से खेलने वाला ये खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से रनों का सैलाब ले आया है। इस साल के सेमी फाइनल मुकाबले में जायसवाल ने दोनों पारियों में शतक जड़े थे, इससे पहले ये कारनामा सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, अजिंक्य रहाणे और वसीम जाफ़र जैसे दिग्गज ही कर पाए थे। अपनी इस बड़ी उपलब्धि को लेकर अब यशस्वी (Yashaswi Jaiswal) ने प्रतिक्रिया दी है।
Yashaswi Jaisawal ने खास क्लब में ली एंट्री
रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में मुंबई टीम का दबदबा रहा है, जिसकी वजह ये है कि इस टीम के साथ तमाम ऐसे दिग्गज खिलाड़ी जुड़े रहे हैं जिन्होंने घरेलू क्रिकेट के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में भी बेशुमार नाम कमाया है। इस लिस्ट में अब यशस्वी जायसवाल का नाम भी जुड़ गया है।
यूपी के खिलाफ सेमी फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत बड़ी धीमी की थी। पहला रन बनाने के लिए उन्होंने 54 गेंदो का सामना कर लिया था। इसके बाद यशस्वी (Yashaswi Jaiswal) ने रुकने का नाम नहीं लिया और 181 रनों की बड़ी पारी खेल डाली। इससे पहले वो पहली पारी में 100 रन भी बना चुके थे।
दिग्गजों के बीच अपना नाम देखने पर बोले Yashaswi Jaiswal
सेमी फाइनल मुकाबले की दोनों पारियों में शतक जड़ने का कारनामा अभी तक सिर्फ सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा और वसीम जाफ़र जैसे दिग्गज ही कर पाए हैं। जायसवाल (Yashaswi Jaiswal) ने बताया कि पारी के अंत के बाद उन्हें इस रिकॉर्ड के बारे में पता नहीं था लेकिन उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें इस बारे में बताया है। क्रिकेट के लिजेंड खिलाड़ियों के साथ अपना नाम देखकर यशस्वी ने कहा,
"मुझे इस रिकॉर्ड की जानकारी नहीं थी। जब मैं ड्रेसिंग रूम में लौटा तो मेरे साथियों ने मुझे इस बारे में बताया। मैं सचिन सर, वसीम सर, रोहित और अजिंक्य जैसे दिग्गजों के साथ अपना नाम देखकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।"
22 जून को होगा Ranji Trophy 2022 का फाइनल
इसके साथ ही आपको बता दें कि Ranji Trophy 2022 के फाइनल मुकाबले में मध्यप्रदेश और मुंबई की भिड़ंत होने वाली है। दोनों टीमें 22 जून को बैंगलोर के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खिताबी जंग में आमने-सामने होगी। गौरतलब है कि मुंबई ने रिकॉर्ड 47वीं बार Ranji Trophy के फाइनल मुकाबले में जगह बनाई है।
साथ ही इस टीम ने रिकॉर्ड 41 बार खिताब अपने नाम भी किया है। दूसरी ओर मध्यप्रदेश की टीम 23 साल बाद फाइनल में जगह बनाने में सफल हुई है. अंतिम बार टीम 1998-99 में खिताबी दौर में पहुंची थी। तब उसे कर्नाटक से हार मिली थी।