W,W,W,W,W,W..... रणजी ट्रॉफी में मात्र 23 रन के स्कोर पर OUT हुई ये टीम, दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंचा कोई बल्लेबाज

Published - 02 Oct 2025, 12:19 PM

Ranji Trophy

Ranji Trophy: क्रिकेट की खूबसूरती उसकी अनिश्चितता में है। कभी खिलाड़ी अपने बल्ले से रनों की बरसात कर देते हैं तो कभी गेंदबाज विपक्षी टीम को पूरी तरह बैकफुट पर धकेल देते हैं। रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में अक्सर बड़े स्कोर और लंबी पारियां देखने को मिलती हैं।

लेकिन रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के एक सेमीफाइनल मुकाबले में जो हुआ उसने सभी को हैरत में डाल दिया। जब यह टीम अपनी दूसरी पारी में महज 23 रन पर सिमट गई और उसके किसी भी बल्लेबाज का स्कोर दहाई तक भी नहीं पहुंच सका। इस मैच का स्कोरकार्ड देखते ही साफ झलकता है कि जैसे-जैसे विकेट गिरते गए, स्कोरबोर्ड पर लगातार विकेट लिखने का सिलसिला चलता रहा।

शुरुआत से ही ढह गया टॉप ऑर्डर

यह बात हैं साल 1939 की जब सिंध और साउथर्न पंजाब के बीच रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) का मुक़ाबला खेला गया था। इस मैच में सिंध की दूसरी पारी की शुरुआत ही निराशाजनक रही। टीम को पहले ही ओवर में झटका लग गया और स्कोरबोर्ड पर सिर्फ चार रन पर पहला विकेट गिर चुका था।

इसके बाद टीम के बल्लेबाज मानो गेंदबाजों के सामने टिक ही नहीं सके। हर कुछ गेंदों में विकेट गिरते गए। बल्लेबाज न तो गेंद की सही तरह से समझ बना सके और न ही क्रीज पर रुक पाए। दबाव इतना बढ़ गया कि बल्लेबाजों ने गलत शॉट खेलकर खुद को मुश्किल में डाल दिया।

पहली पारी में सिंध ने 339 रनों का स्कोर बनाया था और उम्मीद की जा रही थी कि दूसरी पारी में कुछ बेहतर प्रदर्शन दिखेगा, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। पहले पंद्रह रन तक आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। मैदान में मौजूद दर्शक भी समझ नहीं पा रहे थे कि यह वही टीम है जिसने पहली पारी में थोड़ा बहुत संघर्ष दिखाया था।

दहाई का आंकड़ा छूने से पहले ही पवेलियन लौटा हर बल्लेबाज

इस पारी का सबसे बड़ा झटका यह रहा कि कोई भी बल्लेबाज दो अंकों तक नहीं पहुंच सका। ओपनर बीएस अंबेप ने सात रन बनाए, लेकिन उनके आउट होने के बाद तो मानो टीम की रीढ़ ही टूट गई। अब्बास खान ने चार रन का योगदान दिया और जियोमल केवल पांच रन बना सके। गुलाम मोहम्मद शून्य पर आउट हुए, जबकि बाकी बल्लेबाज भी 0, 1 या 2 रन बनाकर वापस लौट गए।

इस तरह पूरी टीम केवल 23 रन पर सिमट गई। स्कोरकार्ड पर बार-बार दिख रहे विकेट (W) के कॉलम ने बता दिया कि यह सिंध टीम का शायद सबसे खराब बल्लेबाजी प्रदर्शन था। गेंदबाजों की धार और दबाव के सामने कोई भी खिलाड़ी क्रीज पर खड़ा नहीं रह सका।

गेंदबाजों का जलवा – अमरनाथ और निस्सार बने हीरो

अगर बल्लेबाज पूरी तरह फ्लॉप रहे तो साउदर्न पंजाब के गेंदबाजों ने गज़ब का प्रदर्शन किया। इस मैच में लाला अमरनाथ और मोहम्मद निस्सार ने मिलकर ऐसा कहर बरपाया कि बल्लेबाजी लाइन-अप पूरी तरह बिखर गई। निस्सार ने अपनी रफ्तार और सटीक लाइन-लेंथ से छह विकेट झटके। दूसरी ओर अमरनाथ ने चार विकेट लेकर सिंध की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेर दिया।

दोनों गेंदबाजों ने मिलकर वह कर दिखाया, जो किसी भी टीम के लिए यादगार पल होता है। बल्लेबाजों को न तो स्ट्राइक रोटेट करने का मौका मिला और न ही लंबे शॉट खेलने का। हर ओवर में गेंदबाज दबाव बनाते रहे और विकेट अपने आप गिरते गए। दर्शकों ने जिस रोमांच की उम्मीद की थी, वह महज एकतरफा प्रदर्शन में बदल गया।

शर्मनाक हार और Ranji Trophy इतिहास में दर्ज हुआ यह स्कोर

23 रन पर ऑलआउट होने वाली सिंध टीम रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) इतिहास की उन गिनी-चुनी टीमों में शामिल हो गई, जिन्हें ऐसे शर्मनाक स्कोर का सामना करना पड़ा। इतने छोटे लक्ष्य को हासिल करना साउदर्न पंजाब के लिए औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं था। उन्होंने आसानी से टारगेट चेज़ किया और मैच अपने नाम कर लिया।

इस रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) मुकाबले ने एक बार फिर दिखा दिया कि क्रिकेट में किसी भी दिन गेंदबाज पूरे खेल का रुख बदल सकते हैं। चाहे बल्लेबाज कितने भी नामी क्यों न हों, अगर गेंदबाजों का दिन हो तो पूरा बल्लेबाजी क्रम ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है। सिंध की यह पारी हमेशा रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज रहेगी।

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सिंध की टीम अपनी दूसरी पारी में केवल 23 रन पर ऑलआउट हो गई थी और कोई भी बल्लेबाज दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच सका।

साउदर्न पंजाब की ओर से मोहम्मद निस्सार ने सबसे ज़्यादा 6 विकेट झटके, जबकि लाला अमरनाथ ने 4 विकेट लिए।