W,W,W,W,W..... मुंबई के खिलाफ इस रणजी टीम का हुआ बुरा हाल, मात्र 25 रन पर हुई ऑलआउट
Published - 30 Oct 2025, 04:28 PM | Updated - 30 Oct 2025, 04:37 PM
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भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में रणजी ट्रॉफी ने कई रोमांचक मुकाबले देखे हैं, लेकिन कुछ मैच ऐसे भी रहे हैं जो एक टीम के बुरे प्रदर्शन के कारण हमेशा याद किए जाते हैं। ऐसा ही एक मैच हुआ था बॉम्बे (Mumbai) और सौराष्ट्र के बीच, जब सौराष्ट्र की टीम बॉम्बे के गेंदबाजों के सामने टिक ही नहीं पाई।
पूरे मुकाबले में सौराष्ट्र के बल्लेबाजों ने पूरी तरह से हार मान ली, और उनकी दूसरी पारी तो महज 25 रनों पर सिमट गई। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक मैच की पूरी कहानी।
कमजोर शुरुआत और ताश के पत्तों की तरह बिखरी सौराष्ट्र की पहली पारी
यह बात हैं साल 1951 की जब बॉम्बे (Mumbai) और सौराष्ट्र के बीच रणजी ट्रॉफी का मैच बॉम्बे के ब्राबोन स्टेडियम में खेला गया। सौराष्ट्र ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन टीम की शुरुआत बेहद खराब रही।
शीर्ष क्रम के बल्लेबाज जैसे जयंतिलाल वोरा (0), यू.डी. वाघेला (1) और मगनलाल (0) बिना कोई खास योगदान दिए पवेलियन लौट गए। हालांकि वजेसिंह नाकुम ने 45 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेली और टीम को कुछ राहत दी।
कप्तान शांतिलाल गांधी ने 12 रन बनाए, जबकि हरपाल देव (18) ने अंत में कुछ रन जोड़े। पूरी टीम 43 ओवर में मात्र 119 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। मुंबई की ओर से दत्तू फडकर ने शानदार गेंदबाजी की और 5 विकेट झटके, जबकि रंगा सोहोनी, गुलाबराय रमचंद और सुबाष गुप्ते ने भी लगातार दबाव बनाए रखा।
बॉम्बे की पहली पारी , बल्लेबाजों का जलवा और विशाल बढ़त
बॉम्बे (Mumbai) की टीम ने बल्लेबाजी में पूरी तरह से दबदबा दिखाया। सलामी बल्लेबाज माधव आप्टे ने 108 रनों की शतकीय पारी खेली, जबकि कप्तान एम.के. मंत्रि ने 55 और रुसी मोदी ने 52 रन बनाए।
इसके अलावा विजय मांजरेकर और गुलाबराय रमचंद ने भी 72-72 रनों का योगदान दिया। मुंबई (Mumbai) की टीम ने 119.5 ओवर में 8 विकेट पर 467 रन बनाकर पारी घोषित की और सौराष्ट्र पर 348 रनों की विशाल बढ़त हासिल कर ली।
सौराष्ट्र की ओर से शांतिलाल गांधी सबसे सफल गेंदबाज रहे, जिन्होंने 4 विकेट लिए। महिपत आचार्य को भी 3 विकेट मिले, लेकिन मुंबई के बल्लेबाजों ने गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया।
25 रनों पर सिमटी सौराष्ट्र की दूसरी पारी
पहली पारी में कमजोर प्रदर्शन के बाद उम्मीद थी कि सौराष्ट्र की टीम दूसरी पारी में वापसी करेगी, लेकिन स्थिति और खराब हो गई। दत्तू फडकर और रंगा सोहोनी ने ऐसा कहर बरपाया कि पूरी टीम 25 रन पर ढेर हो गई।

यू.डी. वाघेला (2), मगनलाल (5), और कप्तान शांतिलाल गांधी (8*) को छोड़कर कोई बल्लेबाज दोहरे अंक में नहीं पहुंच सका।फडकर ने मात्र 10 ओवर में 6 विकेट लेकर सौराष्ट्र की कमर तोड़ दी, जबकि सोहोनी ने 3 विकेट लेकर बाकी काम पूरा किया। यह प्रदर्शन रणजी इतिहास की सबसे शर्मनाक पारियों में गिना जाता है, जहां एक टीम पूरी तरह से ढह गई।
रणजी ट्रॉफी : Mumbai की एकतरफा जीत
मुंबई (Mumbai) ने इस मुकाबले में एक पारी और 323 रनों से शानदार जीत दर्ज की। सौराष्ट्र के बल्लेबाजों ने दोनों पारियों में मिलाकर सिर्फ 144 रन बनाए, जबकि मुंबई (Mumbai) अकेले 467 रन बना चुकी थी।
मुंबई (Mumbai) के लिए यह जीत सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक मजबूत बयान थी। इस मैच ने दत्तू फडकर और रंगा सोहोनी जैसे गेंदबाजों की पहचान को और ऊंचा किया। सौराष्ट्र की टीम के लिए यह मैच सोचने का मौका बन गया, क्योंकि उनकी बल्लेबाजी पूरी तरह से नाकाम रही।