वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल (WTC Final) होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. उससे पहले इस मुकाबले के लिए टीम इंडिया (Team India) ने 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी है. इस मैच की शुरूआत होने से 15 दिन पहले ही भारतीय टीम इंग्लैंड पहुंच गई थी. लेकिन, 10 दिन तक आइसोलेशन के प्रक्रिया से गुजरने के बीच टीम ने तैयारी के तौर पर इंट्रा स्क्वॉड मैच खेले. तो वहीं न्यूजीलैंड ने इंग्लिश टीम के खिलाफ 2 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली. इस श्रृंखला को 1-0 से अपने नाम करने में कीवी टीम सफ रही. 18 से 22 जून के बीच साउथैम्पटन में खेले जाने वाले चैंपियनशिप पर अभी से ही बारिश का खतरा मंडरा रहा है.
इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार भारत ने कब खेला था?
साल 2019 के दौरान लोगों का ध्यान टेस्ट की तरफ आकर्षित करने के लिए पहली बार आईसीसी ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC Final) का आयोजन शुरू किया था. इसे टेस्ट फॉर्मेट का वर्ल्ड कप भी कहा जाता है. जिसकी शुरूआत जल्द ही होने वाली है. लेकिन काफी कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि,
टीम इंडिया ने अपना पहला टेस्ट इंग्लैंड में ही खेला था. ये दौर 1932 का था, जब 25 जून को पहली बार भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स पर मैच खेला गया था. लेकिन, टीम इंडिया को इस मैच में 158 रन के बड़े अंतर से शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
पहली जीत का जश्न मनाने के लिए भारत को 20 साल तक करना पड़ा था इंतजार
भारतीय टीम ने टेस्ट की शुरूआत तो साल 1932 में ही कर दी थी. लेकिन, अपनी पहली जीत का जश्न मनाने के लिए भारत को 20 साल के लंबे अरसे का इंतजार करना पड़ा था. जून 1952 में मद्रास (अब चेन्नई) में खेले गए मैच में पहली बार वो नजारा देखने को मिला जब टीम इंडिया ने इंग्लिश टीम को पारी और 8 रन से शिकस्त देकर पहली जीत हासिल की थी.
जबकि, इससे पहले भारत ने इंग्लिश टीम के साथ कुल 24 टेस्ट मैच खेले थे और उनमें से 12 में हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा 12 मुकाबले ड्रॉ रहे थे. जिस वक्त भारत ने अपनी पहली जीत का जश्न मनाया उस वक्त टीम के कप्तान विजय हजारे थे.
भारत से पहले ही न्यूजीलैंड ने टेस्ट खेलने की शुरूआत की थी
यूं तो कहने में न्यूजीलैंड काफी छोटे देश में गिना जाता है. लेकिन, इस देश की क्रिकेट टीम ने भारत से पहले ही खेलने की शुरूआत कर दी थी. कीवी टीम ने पहली बार इंग्लैंड के खिलाफ अपनी ही सरजमीं पर 10 जनवरी 1930 को खेला था. इस मुकाबले में मेजबान टीम को 8 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा था. टेस्ट में पहली जीत के लिए न्यूजीलैंड को 26 साल तक एक लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ा था.
इसके बाद साल 1956 में पहली बार कीवी खिलाड़ियों ने ऑकलैंड में आयोजित कराए गए टेस्ट मैच में वेस्ट इंडीज टीम को 190 रन से शिकस्त दिया था. इससे पहले टीम ने कुल 44 टेस्ट मैच खेले थे जिसमें से 22 में हार और 22 टेस्ट ड्रॉ रहे थे.
इंग्लैंड की धरती पर चौंकाने वाले हैं भारत-न्यूजीलैंड के रिकॉर्ड
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC Final) होने से पहले इन दोनों टीमों (भारत-न्यूजीलैंड) के इंग्लैंड में प्रदर्शन पर नजर डालें तो आंकड़े चौंकाने वाले रहे हैं. ऐसा पहली बार है जब दोनों टीमें न्यूट्रल वेन्यू पर टेस्ट खेलने जा रही हैं. भारत ने इंग्लिश टीम की सरजमीं पर कुल 62 टेस्ट मैच खेले हैं.
इनमें से टीम को सिर्फ 7 मुकाबलों में जीत हासिल हुई है. जबकि 34 टेस्ट में शिकस्त मिली है. 21 मैच ड्रॉ रहे हैं. तो वहीं न्यूजीलैंड की टीम ने अंग्रेजों की धरती पर कुल 56 टेस्ट मैच खेले हैं. इनमें से 6 में जीत और 30 में हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा 20 टेस्ट मैच ड्रॉ के भेंट चढ़ गए.
न्यूजीलैंड का रिकॉर्ड इस मामले में टीम इंडिया से बेहतर
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC Final) में जारी आईसीसी नियमों के मुताबिक फाइनल में जगह बनाने के लिए सभी टीमों को कुल 6 मैच खेलने थे. इनमें से 3 अपनी सरजमीं और तीन मैच विदेशी धरती पर खेलने थे. हालांकि कोरोना की वजह से कई श्रृंखला को स्थगित करने का भी प्लान करना पड़ा.
इस दौरान न्यूजीलैंड की टीम अपनी सरजमीं पर सभी मैच में जीत दर्ज करने वाली इकलौती टीम रही. कीवियों ने कुल 6 मैच जीते थे. जबकि, भारतीय टीम ने 9 में से 8 मैच जीते थे और 1 में हार का सामना करना पड़ा था. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 9 में से 6 मैच जीते और 2 में शिकस्त मिली थी.
बतौर कप्तान कोहली और विलियमसन का ऐसा रहा है रिकॉर्ड
कप्तान के नेतृत्व में टीम के प्रदर्शन की बात करें तो विराट कोहली के नेतृत्व में टीम ने कुल 60 मुकाबले खेले हैं और 36 मैच में विजयी रही है. तो वहीं 14 मुकाबलों में हार का भी सामना करना पड़ा है. हालांकि, न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन की मेजबानी में कीवी टीम ने कुल 36 मैच खेले हैं. जिनमें से टीम को 21 मैच में जीत हासिल हुई है और 8 में हार मिली थी.
इन आंकड़ों के मुताबिक दोनों का जीत प्रतिशत तकरीबन बराबर का है. इसके अलावा इंग्लैंड की सरजमीं पर बतौर कप्तान कोहली ने 30 मैच में से 13 में जीत दर्ज की है और 12 मुकाबले गंवा दिए हैं. जबकि विलियमसन ने 11 मैस में से 3 में जीत हासिल की है और 6 में मुकाबले में शिकस्त मिली है. विदेशी मैदान पर कोहली का रिकॉर्ड जीत के मुताबिक ज्यादा अच्छा है.