क्रिकेट की दुनिया के वो 5 सबसे सफल कोच, जिन्होंने क्रिकेट को नई दिशा दी

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कहा जाता है, "बिना गुरू के ज्ञान का मिलना असम्भव है". यही कहावत क्रिकेट में भी लागू होती है. क्रिकेट के मैदान में किसी भी टीम की सफलता में उसके गुरु यानी कोच का बड़ा हाँथ होता है. इसी कारण सफलता के बाद जब पूरी टीम का गुणगान किया जाता है तो जरूरी है कि कोच को भी सर्वोच्च स्थान दिया जाना चाहिए.
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अब तक कई ऐसे कोच रहे हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में तो बड़ा नाम कमाया. लेकिन कोचिंग के मामले में उन्हें वैसी सफलता हासिल नहीं हुई जैसी खिलाड़ी के रूप में मिली. कपिल देव और ग्रेग चैपल जैसे दो दिग्गज खिलाड़ी इसके उदाहरण कहे जा सकते हैं.
लेकिन ऐसा नहीं है कि एक सफल खिलाड़ी ही सफल कोच बन सकता है. इस आर्टिकल में हम उन पांच कोच के बारे में बताने जा रहे जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कोच के रूप में जबरदस्त कामयाबी हासिल की है.
5. डेव वॉटमोर
अगर क्रिकेट की दुनिया में अब तक के 5 सबसे सफल कोच की बात होगी तो डेव वॉटमोर का नाम इनमें जरूर शामिल होना चाहिए. श्रीलंका में जन्मे डेव वॉटमोर बचपन में ही ऑस्ट्रेलिया जाकर बस गए थे. बाद में वे एक बल्लेबाज़ के रूप में उभरे और उनकी टीम थी विक्टोरिया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ओर से सात टेस्ट मैच भी खेला है.
वर्ष 1996 में उन्होंने कोच के रूप में श्रीलंका को विश्व कप ख़िताब जितवाया था. वे कुछ समय के लिए लंकाशायर के कोच भी रहे और उन्होंने अपने क्लब को तीन वनडे ट्रॉफ़ी भी जितवाई. श्रीलंका के कोच में कुछ समय बिताने के बाद उन्होंने वर्ष 2003 में बांग्लादेश से नाता जोड़ा और उस समय वे उसके साथ जुड़े हैं.
माना जाता है कि उनके कोच रहते बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार सुधार दिखाया था. इसी कारण डेव वॉटमोर को हमारी इस लिस्ट में पांचवां स्थान मिला है.
4. डंकन फ्लेचर
वर्ष 1983 के विश्व कप में ज़िम्बाब्वे की कप्तानी करने वाले डंकन फ़्लेचर का नाम इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है. वर्ष 1999 के विश्व कप के बाद जब डंकन फ़्लेचर ने इंग्लैंड के कोच का पद संभाला था, उस समय इंग्लैंड की टीम रैंकिंग में विश्व में सबसे निचले स्तर की टेस्ट टीम बन गई थी.
लेकिन उनके पद संभालने के बाद इंग्लैंड की टीम का कायाकल्प होना शुरू हुआ और इंग्लैंड की टीम धीरे-धीरे सफलता की राह पर आने लगी. वर्ष 2005 में इंग्लैंड के एशेज सीरीज जीतने के पीछे उनका बड़ा हाथ माना जाता है.
यही नहीं इसके बाद त्रिकोणीय एक दिवसीय सिरीज़ में भी इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर ख़िताब जीता. विश्व कप से ठीक पहले इंग्लैंड की शानदार जीत से टीम का हौसला भी बढ़ा है. यही कारण है की फ्लेचर भी इस लिस्ट में शामिल हैं.
3. वॉब ब्लूमर
इंग्लैण्ड के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी बॉब वूल्मर को इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर रखा गया है. ब्लूमर ने केंट की ओर से 300 से ज़्यादा प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं. ब्लूमर ने इंग्लैंड की ओर से 19 टेस्ट मैच भी खेले, लेकिन उन्हें कोच के रूप में ज़्यादा जाना जाता है. वॉरविकशॉयर के कोच के रूप में सफलता हासिल करने के बाद वूल्मर चार साल दक्षिण अफ़्रीका के कोच रहे.
उनके कोच रहते दक्षिण अफ़्रीका ने दो विश्व कप में हिस्सा लिया और अच्छा प्रदर्शन किया था. माना जाता है कि दक्षिण अफ्रीका के सुधार में भी ब्लूमर का बड़ा हाँथ था. वहीं जावेद मियाँदाद के बाद बॉब वूल्मर ने भारत के सबसे बड़े विरोधी पाकिस्तान के कोच का पद संभाला था.
2. जॉन बुकानन
जॉन बुकानन को क्रिकेट इतिहास का सबसे सफल कोच कहा जाये तो इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए. ऑस्ट्रेलिया की टीम जब विश्व क्रिकेट में अपना दबदबा बनाये हुए थी उस समय टीम के मुख्य कोच बुकानन ही थे. सिर्फ़ सात प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले जॉन बुकानन को जब ऑस्ट्रेलिया के कोच पद पर चुना गया तो उनकी दावेदारी सबसे कम मानी जा रही थी.
लेकिन बॉब सिम्पसन और जेफ़ मार्श के बाद मौक़ा मिला बुकानन को. कोच के रूप में उन्होंने क्वींसलैंड को दो बार शैफ़ील्ड शील्ड का ख़िताब दिलवाया था. ऑस्ट्रेलिया के कोच के रूप में उन्होंने अपने देश को लगातार 15 मैच जितवाए. टेस्ट मैचों में उनके अधीन ऑस्ट्रेलिया ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की.
उनके कोच रहते ही ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2003 के विश्व कप फ़ाइनल में भारत को हराकर ख़िताब पर क़ब्ज़ा किया था. बुकानन ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वर्ष 2007 के विश्व कप के बाद वे कोच का पद छोड़ देंगे. बुकानन के इस फैसले से कई लोग हैरान भी थे. बुकानन की इसी अद्भुत कोचिंग के कारण हमने उन्हें इस लिस्ट में दूसरा स्थान दिया है.
1. गैरी कस्टर्न
गैरी कर्स्टन का भारत के खिलाफ और भारत के साथ रिकॉर्ड शानदार है. अपने खेलने के दिनों में गैरी कर्स्टन और एंड्रयू हडसन की ओपनिंग जोड़ी आउट ही नहीं होती थी. उस वक्त हम कर्स्टन को कोसते थे, यार ये खिलाड़ी आउट ही नहीं होता है. कुछ सालों बाद यही गैरी कर्स्टन पूरे भारत के लिए जीत की पटकथा के लेखक बन गए और सभी भारतीयों के दिल में राज करने लगे.
गैरी कर्स्टन ने भारतीय टीम की कमान उस समय संभाली जब ग्रेग चैपल इंडियन क्रिकेट का कबाड़ा कर चुके थे. 2005-2007 का ग्रेग चैपल का दौर भारतीय क्रिकेट को रसातल में ले गया था. इसके बाद गैरी भारत के कोच बने थे. कर्स्टन ने मार्च 2008 में आधिकारिक तौर पर कोच का पद संभाला. इसके बाद आधुनिक भारतीय क्रिकेट का तीसरा स्वर्णिम दौर शुरू हुआ.
कपिल-काल और सौरव-समय के बाद धोनी-गैरी की जोड़ी ने भारतीय टीम को पहले तो टेस्ट में नंबर 1 बनाया और फिर 2011 में 28 साल बाद वर्ल्ड कप जितवाया. 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी के युवराज सिंह से पहले आने के वर्ल्ड कप जिताऊ फैसले को गैरी कर्स्टन ने बिना शर्त समर्थन दिया था.
उस जीत के साथ गैरी कर्स्टन पहले ऐसे साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी बन गए जिसने वर्ल्ड कप जीत तक का सफर तय किया. इसी कारण हमारी इस लिस्ट में गैरी को प्रथम स्थान दिया गया है.