11 साल बाद खुद धोनी ने खोला राज, इस वजह से सहवाग को नजरअंदाज कर 2007 में उन्हें बनाया गया था कप्तान

Published - 08 Jul 2018, 12:37 PM

खिलाड़ी

शुक्रवार को भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 37 साल के हो गए। इनके जन्मदिन पर दुनिया भर से फैंस ने ढेर सारी शुभकामनाएं भेजी। टीम और अपने परिवार के साथ इंग्लैंड में धोनी ने केक भी काटा।

37 साल की उम्र में भी धोनी टीम इंडिया के भरोसेमंद खिलाड़ियों में एक है। मैदान पर उनकी फुर्ती आज भी उनके उम्र का अंदाज़ा लगाने वालों को सकते में डाल सकती है।

पाकिस्तान के खिलाफ लगाया था पहला शतक

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इनकी पहचान विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ़ विजाग में हुए एकदिवसीय मैच के बाद हुई। उस मुकाबले में धोनी ने आक्रामक अंदाज़ में 148 रनों की पारी खेली। जिसके बाद रांची के इस शेर ने भारतीय क्रिकेट का रुख ही बदल कर रख दिया। एक मात्र कप्तान बने जिन्होंने आईसीसी की तीनों बड़ी ट्रॉफियां भारत के नाम कराई।

हालही आईपीएल में तीसरी बार दिलाया चेन्नई को कप

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जो भी जिम्मेदारी धोनी के कंधो पर दी गई उस पर वो खरे उतरे। चाहे हो भारतीय टीम की कप्तानी हो या फिर आईपीएल में चेन्नई की जिम्मेदारी। 3 साल बाद आईपीएल में वापसी कर रही चेन्नई को विजय रथ पर बैठाने का पूरा श्रेय धोनी को जाता है।

आखिर अनुभवी खिलाड़ी मौजूद होते हुए भी क्यों दी गई धोनी को कप्तानी?

सहवाग
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अभी इंग्लैंड दौरे पर धोनी भारतीय टीम के हिस्सा है। दूसरे टी-20 मुकाबले में जहाँ भारत शर्मनाक स्थिति में था ,वहीं धोनी की शानदार बल्लेबाजी ने भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। सामने 2019 है, जिस साल क्रिकेट का अगला विश्वकप खेला जाना है। सभी टीमें उस तैयारी में गंभीरता से लग गई है। यह विश्वकप धोनी का आख़िरी विश्वकप हो सकता है और धोनी इसे जरूर यादगार बनाना चाहेंगे।

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भारत को 2007 एकदिवसीय विश्वकप में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। भारत ग्रुप स्टेज से ही विश्वकप को अलविदा कह चुका था। सामने था पहली बार क्रिकेट इतिहास में खेले जाने वाला टी-20 विश्वकप। सवाल था कप्तानी किसे दी जाए और नाम आया महेंद्र सिंह धोनी का। उस समय बीसीसीआई के पास सहवाग, गंभीर, युवराज , हरभजन जैसे कई विकल्प थे, लेकिन बीसीसीआई की नज़र पड़ी धोनी पर।

जब धोनी से पूछा गया कारण तो ये आया जवाब

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जब धोनी से इस बारे मे पूछा गया तो उनका कहना था कि उनकी ईमानदारी ने उन्हें कप्तानी का मौक़ा दिया।उन्होंने कहा कि वो इस खेल की हर दशा को पढ़ लेते थे। यहां तक की टीम में सबसे छोटा होने के बाद भी अगर कोई सीनियर्स उनकी राय पुछता था, तो बताने से घबराते नहीं थे।

धोनी को कप्तान बना, बीसीसीआई ने खेला था मास्टरस्ट्रोक

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इतिहास के पन्ने तो अब यही कहते है की धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान रहे है। 2007 में टी-20 वर्ल्डकप, चार साल बाद 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और दो साल बाद 2013 में आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी।

कप्तानी जैसे भी मिली हो, लेकिन इतिहास में यह कप्तानी धोनी को देना ,बीसीसीआई के मास्टरस्ट्रोक की देन है। आज क्रिकेट विश्व अपने जगत के सबसे सफल लीडर का गवाह बना है।

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