भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने टीम इंडिया को अपने कार्यकाल में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल करवाई है। एक अंतरराष्ट्रीय टीम का कप्तान होना हमेशा एक क्रिकेटर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी वाला काम होता है और अगर वह टीम भारत से है, तो दबाव कुछ और स्तर तक बढ़ जाता है।
बहुत से खिलाड़ी भारतीय कप्तान की भूमिका के साथ आने वाली बड़ी संख्या में जिम्मेदारियों को नहीं संभाल सकते हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सचिन तेंदुलकर है। लेकिन विराट (Virat Kohli) ने सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए एक मजबूत टीम का गठन किया जिसने विश्व भर में अपनी जीत का परचम लहराया।
लेकिन इस बीच किंग कोहली (Virat Kohli) को अपने ऐसे कई साथी खिलाड़ियों का साथ छोड़ना पड़ा। जिनको टीम में शामिल करने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड की मंजूरी नहीं थी। आइए आपको 5 ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में बताते हैं।
1. केदार जाधव
साल 2017 में इंग्लैंड के भारत दौरे पर हुई वनडे सीरीज के रोमांचक क्षण सभी की यादों में अभी भी ताजा है। खासकर पुणे में खेले गए मैच में जिस तरह विराट कोहली (Virat Kohli) और केदार जाधव (Kedar Jadhav) ने इंग्लैंड के मुंह से जीत छीन ली थी वो लम्हा भुलाये नहीं भूलता है। इस मैच में 351 रन का पीछा करते हुए खराब शुरुआत के बाद विराट और केदार ने शतक जड़कर टीम इंडिया को जीत दिलाई थी।
विश्वकप 2019 में केदार जाधव भारतीय टीम का अहम हिस्सा है, वे मिडल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने के लिए साथ ही कुछ किफायती ओवर डालने के लिए भी जाने जाते थे। लेकिन साल 2019 के वर्ल्डकप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद केदार को बलि का बकरा बनाते हुए टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
2. मयंक अग्रवाल
इस लिस्ट में अगला नाम मयंक अग्रवाल (Mayank Agarwal) का है, दायें हाथ के बल्लेबाज ने 2018 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। टेस्ट श्रृंखला के दौरान एक अनकैप्ड खिलाड़ी के रूप में ओपनर का खेलना एक बड़ा दांव था लेकिन विराट कोहली (Virat Kohli) ने तत्कालीन मुख्य कोच रवि शास्त्री के इस विचार का समर्थन किया और मयंक अग्रवाल को पारी की शुरुआत करने की अनुमति दी।
अग्रवाल ने सीरीज में कुछ खूबसूरत पारियां खेली। भारत ने भी श्रृंखला 2-1 से जीती और ऑस्ट्रेलिया में अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला जीत दर्ज की। मयंक अग्रवाल ने एक सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी भूमिका के लिए बहुत प्रशंसा अर्जित की और टेस्ट पोस्ट में एक सलामी बल्लेबाज के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन गए। लेकिन विराट की कप्तानी जाने के बाद मयंक की जगह अब शुभमन गिल को तवज्जो दी जाने लगी है।
3. कुलदीप यादव
कुलदीप यादव ने अपने डेब्यू मैच में ही विराट कोहली (Virat Kohli) का विश्वास जीत लिया था। उन्होंने पहली पारी में एक चुनौतीपूर्ण ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी क्रम के खिलाफ चार विकेट चटकाए, जहां वे भारत के पहले चाइनामैन स्पिनर भी बने थे। कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) भारत के लिए लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में मिडल ओवर में साल 2018 में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे।
लेकिन समय के साथ स्पिन गेंदबाज के फॉर्म में गिरावट आई, जिसके बाद वे लंबे समय के लिए टीम इंडिया से बाहर कर दिए गए। विराट कोहली के पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक होने के बावजूद कुलदीप को दोबारा टीम में जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। मौजूदा समय में वे वेस्टइंडीज दौरे पर है लेकिन प्लेइंग एलेवन में उनकी जगह को लेकर संशय है।
4. ऋद्धिमान साहा
रिद्धिमान साहा (Wriddhiman Saha) को हमेशा महेंद्र सिंह धोनी की तुलना में एक बेहतर विकेटकीपर माना जाता है, लेकिन धोनी की विशाल प्रतिभाशाली छवि और खेल के उनके अन्य पहलू की वजह से साहा को नियमित मौके नहीं मिले। हालांकि, पूर्व भारतीय कप्तान के संन्यास के बाद से, विराट कोहली (Virat Kohli) ने किसी अन्य विकल्प पर ध्यान नहीं दिया और साहा को टेस्ट टीम का नियमित ग्लवमैन बनाया।
जिसके बाद ऋद्धिमान साहा ने भी अपने प्रदर्शन से निराश नहीं किया और उन्होंने विकेट के पीछे अभूतपूर्व कार्य करते हुए बल्ले से भी योगदान दिया। लेकिन ऋषभ पंत के बढ़ते कद के चलते अब साहा को टीम से दरकिनार कर दिया गया है। बीसीसीआई का ये फैसला कोहली की कप्तानी जाने के बाद ही लिया गया।
5. अजिंक्य रहाणे
अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) लगभग 1 दशक से भी ज्यादा समय तक भारत की टेस्ट टीम के स्तम्भ रहे हैं। विराट कोहली की कप्तानी के दौरान खेल के लंबे प्रारूप में उपकप्तान की भूमिका निभाने वाले इस खिलाड़ी ने कोहली की गैर मौजूदगी में टीम इंडिया को गाबा की ऐतिहासिक जीत में टीम की अगुवाई की थी।
विराट कोहली (Virat Kohli) और अजिंक्य रहाणे मैदान के बाहर भी एक अच्छे दोस्त है। एक इंटरव्यू के दौरान जब पूर्व कप्तान से पूछा गया कि उन्हें किसके साथ बल्लेबाजी करने में मजा आता है तो उन्होंने अजिंक्य का ही नाम लिया था। विराट के टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने के बाद अजिंक्य को भी बीसीसीआई ने टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि इसके पीछे उनका खराब फॉर्म भी मुख्य कारण था।