विराट कोहली के शिखर पर पहुंचने के 3 बड़े कारण, जो उनके सफलता की है बड़ी वजह

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Shilpi Sharma
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टेस्ट फॉर्मेट में 20 जून को एक दशक पूरा कर चुके टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी और मौजूदा समय में टीम के बेहतरीन कप्तानों में से एक विराट कोहली (Virat Kohli) क्रिकेट जगत में एक नया मुकाम हासिल कर चुके हैं. उन्होंने इस जगत में कई ऐसे कारनामें किए हैं जिसके लिए खिलाड़ियों को ना जाने कितना संघर्ष करना पड़ता है. यूं तो शुरूआत करने के बाद लगातार टीम में बने रहना किसी भी खिलाड़ी के लिए इतना आसान नहीं होता. लेकिन, डेब्यू के बाद से वो लगातार खेल में बने हुए हैं.

उतार चढ़ा हर क्रिकेटर की जिंदगी का हिस्सा रहा है, जिससे वो भी अछूते नहीं रहे. लेकिन, संघर्ष करने से उन्होंने कभी हार भी नहीं मानी. यही वजह है कि, कुछ महीने पहले ही आईसीसी ने उन्हें दशक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया था. वो हमेशा से ही टीम के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाते आए हैं. उनकी पारियां टीम के लिए काफी अहम रही हैं. तीनों फॉर्मेट में 50 से ऊपर की औसत रखने वाले कप्तान ने बुलंदियों को छुआ है. आज हम अपनी इस रिपोर्ट में उन तीन कारणों के बारे में बात करेंगे. जिसके वजह से मौजूदा कप्तान ने ऊंचाईयों को छुआ है.

2012-14 धोनी ने मौजूदा कप्तान पर जताया भरोसा

Virat Kohli

एक वक्त था जब विराट कोहली (Virat Kohli) विदेशी धरती पर अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं थे. लेकिन उन्होंने अपमी खामियों पर काम किया और तकनीकि में सुधार किया. जिसका नतीजा ये है कि, उन्हें सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की लिस्ट में गिना जाता है. आज के समय में विश्व के किसी भी मैदान पर खेलने की काबिलियत रखते हैं. इसके पीछे एक वजह महेंद्र सिंह धोनी भी रहे हैं. जिन्होंने उन पर टेस्ट फॉर्मेट में भरोसा जताया है. भारतीय टीम के खिलाड़ियों में से मौजूदा कप्तान भी एक थे जिनका कभी खराब प्रदर्शन रहा था.

लेकिन उन्हें बल्लेबाजी तकनीकि पर ध्यान दिया. उदाहरण के तौर पर साल 2014 में उनके प्रदर्शन पर नजर डालें तो कुछ खास अच्छा नहीं रहा था. 5 टेस्ट मैचों 10 इनिंग में बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने सिर्फ 134 रन बनाए थे. उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला था. इस दौरान दो पारियों में वो बिना खाता खोले लौट गए थे.इस दौरे पर उन्होंने करियर की सबसे खराब औसत (13.40) से बल्लेबाजी की थी.

जुलाई-अगस्त में हुई इस सीरीज में फैंस उनके परफॉर्म से भड़के हुए थे. लेकिन धोनी का उन पर विश्वास कम नहीं हुआ. 2012 में जिस तरह से उन्होंने मौजूदा कप्तान पर भरोसा जताया था. उसी तरह से उन्होंने 2014 में भी उन पर यकीन किया. इंग्लैंड के खिलाफ खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपनी खामियों को सुधारा और इसके बाद साल 2015 में ऑस्ट्रलिया दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया. यहां पर उन्होंने 4 मैचों 692 रन ठोके थे. इसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

फिटनेस उनके सफलता का दूसरा बड़ा राज

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विराट कोहली (Virat Kohli) के सफलता का दूसरा सबसे बड़ा राज उनका फिटनेस भी रहा है. साल 2013 के बाद उन्होंने इस पर खासा वर्क किया है. खिलाड़ी होने के साथ उन्होंने इस पर काम तो किया ही, इसके बाद जब उन्हें टीम इंडिया की मेजबानी करने का मौका दिया गया तब उन्होंने टीम के लिए भी फिटनेस को जरूरी करने में अहम भूमिका निभाई.

33 साल के हो चुके मेजबान को इस मामले में युवा खिलाड़ियों के लिए भी टक्कर दे पाना बेहद मुश्किल है. बीते कुछ सालों में बीसीसीआई ने प्लेइंग इलेवन में शामिल करने वाले खिलाड़ियों के लिए यो-यो जैसे टेस्ट पास करना जरूरी कर दिया है. रही बात टीम के कप्तान की तो वो अपनी फिटनेस से किसी भी तरह का समझौता नहीं करते हैं.

उनके क्रिकेट करियर में सफल होने में फिटनेस का एक अहम योगदान रहा है. जिसे वो खेल से पहले तवज्जो देते हैं. इस कारण अभी तक उनके करियर में फिटनेस कभी बाधा नहीं बनी है.

हर सीरीज से पहले बेहतर तैयारी

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इस लिस्ट में विराट कोहली (Virat Kohli) के सफलता का तीसरा बड़ा कारण सीरीज से पहले उनकी अच्छी से अच्छी तैयारी रही है. दरअसल वो जब भी किसी दौरे पर जाते हैं तो किसी भी विदेशी टीम के खिलाफ खेलने से पहले नेट्स पर जमकर पसीना बहाते हैं और विरोधी टीम के गेंदबाजों की तैयारी करते हैं. उदाहरण के तौर पर जब विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए थे.

उस दौरान उन्होंने कंगारूओं के खिलाफ उतरने से पहले नाथन लाथम की तैयारी करने के लिए एक नेट्स बॉलर के तौर पर वाशिंगटन सुंदर को भारतीय टेस्ट टीम में में शामिल किया था. वहीं हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले जा रहे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की बात करें तो कीवी टीम के खिलाफ उतरने से पहले उन्हें टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट की प्रैक्टिस करते हुए देखा गया था.

इससे जुड़ा एक वीडियो स्टार स्पोर्ट्स पर भी दिखाया गया था. ऐसा करने के बाद जब वो मैदान पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरते हैं तो विरोधी टीम के खिलाफ उन्हें खेलने में आसानी होती है. साथ ही वो एक बेहतर माइंड सेट से उतरते हैं. जो उनकी सफलता में अच्छी भूमिका निभाता है.

विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम