Vinod Rai: भारतीय क्रिकेट टीम आए दिन किसी ना किसी मसले के चलते विवादों में घिर ही जाती है. 5 साल पहले कप्तान और कोच के बीच हुए विवाद को भला कैसे भुलाया जा सकता है. ये साल 2017 की बात है जब विराट कोहली की कप्तानी में कोच की जिम्मेदारी अनिल कुंबले को दी गई थी. इसके बाद दोनों के बीच कई बड़े विवाद भी सामने आए थे. इन दिनों इन्हीं विवादों को लेकर विनोद राय (Vinod Rai) ने कई बड़े खुलासे किए हैं.
अनिल कुंबले-विराट कोहली के विवाद पर पूर्व CAG का बड़ा खुलासा
साल 2017 पर जब कोच और कप्तान के बीच समस्याएं हुई थीं तब भारतीय क्रिकेट की चारों तरफ आलोचना हुई थी. जिसके बाद अनिल कुंबले को कोच पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था. उनके कोचिंग के दौरान कप्तान विराट कोहली की उनसे बिल्कुल भी नहीं बन रही थी. ये खबरें कई बार सुर्खियों में भी आई थीं. लेकिन, दोनों के बीच विवाद की वजह क्या थी इस पर कभी कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई.
लेकिन, अब कोच-कप्तान के बीच हुए इस विवाद पर पूर्व CAG विनोद राय (Vinod Rai) ने कई बड़े खुलासे किए हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीसीसीआई का कार्यभार उन्हें सौंपा गया था. जिसके बाद 3 साल तक उन्होंने बीसीसीआई को चलाया थी. उनके इसी कार्यभार के बीच ये मामला हुआ था जिसके वो साक्षी भी बने थे.
कुंबले की सख्ती से खुश नहीं थे कोहली
विनोद राय (Vinod Rai) ने अपनी किताब ‘नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन’ में लिखा,
"कैप्टन और टीम मैनेजमेंट के साथ हुई मेरी बातचीत में ये बताया गया कि अनिल कुंबले अनुशासन के मामले में बहुत ज्यादा सख्त थे. उनकी सख्ती की वजह से टीम के सदस्य उनसे ज्यादा खुश नहीं थे.
मैंने इस बारे में विराट कोहली से बात की तो उन्होंने भी यह बात कही थी. विराट कोहली ने कहा था कि टीम के युवा सदस्य कोच अनिल कुंबले के काम करने के तरीके से काफी डरे रहते थे."
कुंबले अनुशासन को टीम की बनाना चाहते थे मजबूती
विराट कोहली के साथ हुई इस बातचीत के बारे में विनोद राय (Vinod Rai) ने अनिल कुंबले से भी बात की और इस बातचीत के बारे में उन्होंने किताब में भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा,
"कुंबले के साथ लंबी बातचीत हुई थी. जिस तरह से इस मामले को सामने लाया गया था उससे कुंबले काफी परेशान थे. कुंबले को लगा कि उनके साथ खराब बर्ताव किया गया.
कुंबले को लगता था कि टीम में अनुशासन और प्रोफेशनलिज्म लाना कोच की जिम्मेदारी होती है और सीनियर होने के नाते खिलाड़ियों को उनकी सोच का सम्मान करना चाहिए था."