29 जनवरी को इंग्लैंड खिलाफ खेले गए मुकाबले में भारतीय महिला टीम की सौम्या तिवारी (Saumya Tiwari) ने धमाकेदार पारी खेल टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। उनकी बल्लेबाजी के बूते भारतीय टीम निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर सकी। विदेशी जमीन पर भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाली सौम्या के यहां तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है।
कई उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद उन्हें अंडर-19 टीम में मौका मिला, जिसको उन्होंने दोनों हाथों से बुनाया। उनके जुनून, उनकी जिद ने ना सिर्फ भारत बल्कि उनके परिवार को भी गौरवान्वित कर दिया है। ऐसे में तो चलिए इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं सौम्या के संघर्षों के बारे में.....
Saumya Tiwari ने इस तरह की थी क्रिकेट खेलने की शुरुआत
29 जनवरी को साउथ अफ्रीका के सेनवेस पार्क में अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला खेला गया, जिसमें भारत ने 7 विकेट से खितबी जीत हासिल की। इस जीत के बाद से युवा खिलाड़ी सौम्या तिवारी सुर्खियों में हैं। क्योंकि भारत की जीत में उनका योगदान अहम रहा। वहीं, अब फैंस के दिल में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन हैं ये सौम्या तिवारी। तो हम आपको बता दें कि सौम्या भोपाल से तालुकत रखती हैं। उनके पिता पिता जिला कलेकट्रेट में काम करते थे।
थपकी से किया करती थी Saumya Tiwari बल्लेबाजी
सौम्या तिवारी के लिए अंडर-19 टीम में जगह पाना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है। उन्होंने कड़ी मेहनत कर टीम में जगह हासिल की। उन्होंने क्रिकेट की शुरुआत मां की थपकी से बल्लेबाजी करके की थी। उन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस के साथ बातचीत करते हुए कहा बताया जब उनका परिवार शाहजहानाबाद में रहता था तब सौम्या बहुत छोटी थीं। वो बचपन में अपनी मां की थपकी को बल्ला बनाती और कागज की गेंद से क्रिकेट खेला करती थीं।
बचपन से ही था Saumya Tiwari को क्रिकेट खेलने का जुनून
सौम्या (Saumya Tiwari) को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का चस्का था। वह अक्सर मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं और जब कभी वह उन्हें आउट कर देते थे तो वो काफी निराश हो जाती थी। कहा जाता है कि सौम्या के क्रिकेट के जुनून को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने का निर्णय किया। जिसके लिए उन्होंने सुरेश चैनानी की अकेडमी का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, चैनानी ने उन्हें लड़की होने का हवाला देते हुए ट्रेनिंग देने से मना कर दिया। ऐसे में ऑलराउंडर खिलाड़ी का दिल टूट गया और वह दो दिन तक रोती रहीं।
बेटी को रोता देख पिता का पिघला दिल
दो दिन तक बेटी को रोते देख पिता एक बार फिर सुरेश के पास गए और उनसे सौम्या को ट्रेनिंग देने की गुजारिश की। भारत की ऑफ स्पिनर की जिद और जुनून देखकर सुरेश ने उन्हें परीक्षण देने का फैसला किया। अकेडमी में उन्होंने लड़कों के साथ क्रिकेट की शिक्षा प्राप्त की। वह क्रिकेट खेलने में परीक्षित तो हो गई लेकिन लड़की होने के कारण उन्हें क्रिकेट टूर्नामेंट्स में भाग लेने का मौका नहीं मिला। हालांकि, निराश होकर भी वह टीम की खातिर बेंच पर बैठने को तैयार रहती थीं। मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और फिर वह जूनियर वुमेन टी20 चैलेंज का हिस्सा बनी। जिसके बाद उनकी एंट्री वर्ल्ड कप टीम में हुई।
Saumya Tiwari का ऐसा रहा वर्ल्ड कप में प्रदर्शन
आखिरी में अगर सौम्या तिवारी (Saumya Tiwari) के वर्ल्ड कप के दौरान प्रदर्शन की बात करें तो उन्होंने सबको काफी प्रभावित किया है। हालांकि, वह इस टूर्नामेंट में कोई भी बड़ी पारी नहीं खेल सकी। लेकिन उनकी छोटी-छोटी पारियों ने भारत की जीत में मुख्य रोम निभाया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट 112 रन बनाए और तीन विकेट भी हासिल किए। फाइनल मैच में भी टीम को जीत उनके विनिंग शॉट की बदौलत ही हुई। वहीं, मैच में उन्होंने 24 रन की नाबाद पारी खेली है। अब इस प्रदर्शन के बाद फैंस उनकी मुख्य टीम में एंट्री के इंतजार में हैं।