अंडर 19 विश्व कप (U-19 WC) हमेशा क्रिकेट की दुनिया में सबसे रोमांचक टूर्नामेंटों में से एक साबित हुआ है। युवाओं द्वारा दिखाया गया जुनून और उत्साह वास्तव में वर्षों से देखने लायक रहा है। अंडर-19 विश्व कप (U-19 WC) की शुरुआत 1988 में हुई थी। टूर्नामेंट (U-19 WC) के डेब्यू सीजन में ऑस्ट्रेलियाई विजयी हुए थे।
अगला विश्व कप (U-19 WC) उसके दस साल बाद यानी 1998 में हुआ था, तब जीत इंग्लैंड टीम की हुई थी। हालांकि इसके बाद से हर दो साल में टूर्नामेंट (U-19 WC) हो रहा है। 1998 से लेकर अब तक अंडर-19 (U-19 WC) के 14 सीजन खेले जा चुके हैं और भारत पांच बार टूर्नामेंट (U-19 WC) जीतने वाली सबसे सफल टीम रही है। भारत को ये ट्रॉफी जिताने वाले कप्तानों का भी काफी बोलबाला रहा. जिनमें से कुछ बुलंदियों पर पहुंचे तो कुछ गायब ही नजर आ रहे हैं.
अंडर-19 ट्रॉफी जिताने वाले कुछ कप्तानों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और वो सफल भी हो गए, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो फीके पड़ गए हैं और घरेलू क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको भारतीय अंडर-19 (U-19 WC) क्रिकेट टीम के 5 ऐसे कप्तानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने भारत के लिए विश्व कप जीता और अब वे क्या कर रहे हैं।
U-19 WC में भारत को चैंपियन बनाने वाले 5 कप्तान क्या कर रहे हैं?
मोहम्मद कैफ (2000)
भारतीय क्रिकेट टीम के अब तक के सर्वश्रेष्ठ फील्डर्स में से एक, कैफ ने 2000 में भारत को विश्व कप में सफलता दिलाई। टीम में युवराज सिंह शामिल थे, जो भारत के सबसे महान सीमित ओवरों के क्रिकेटरों में से एक बन गए और टीम के लिए लगातार अपना बेस्ट परफॉर्मेंस देते रहे। 1998 के संस्करण में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में समाप्त होने के बाद, कैफ ने 2000 में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया क्योंकि वह 8 मैचों में 34.57 की औसत से 170 रन बनाने में सफल रहे।
कैफ का मेन इन ब्लू के साथ लंबा करियर नहीं था क्योंकि उन्हें उनके खराब प्रदर्शन के कारण विश्व कप के तुरंत बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। 2000 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट कैप सौंपे जाने के बाद, उन्हें खराब प्रदर्शन के बाद ड्रॉप दिया गया और कुल 13 टेस्ट और 125 से अधिक एकदिवसीय मैचों में खेलने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। वर्तमान में कैफ कमेंट्री करते हुए नजर आते हैं।
विराट कोहली (2008)
विराट कोहली (Virat Kohli) निस्संदेह टीम इंडिया के सफल खिलाड़ियों में से एक हैं। 2008 में विश्व कप की सफलता के लिए भारत का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के बाद, उन्होंने तीनों प्रारूपों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं।
2008 के टूर्नामेंट में उनका अच्छा प्रदर्शन था, जहां उन्होंने 6 मैचों में 47 की औसत से 235 रन बनाए थे, जिसमें उनके नाम एक शतक था। इसके अलावा कोहली खेल के तीनों प्रारूपों में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। उन्होंने 2014 में टेस्ट कप्तान के रूप में पदभार संभाला और एमएस धोनी के पद छोड़ने के बाद सीमित ओवरों के कप्तान बने।
हालांकि इस साल उन्होंने कप्तानी छोड़ दी और रोहित शर्मा को टीम की कमान संभालनी पड़ी। वर्तमान में कोहली टीम इंडिया में बतौर बल्लेबाज मौजूद हैं। इन दिनों वह आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं। पिछले तीन साल से उनके बल्ले से कोई बड़ी पारी देखने को नहीं मिली है। अब फैंस को उसी पल का इंतजार हैं जब विराट अपनी फॉर्म की वापसी करेंगे। आईपीएल के 15वें सीजन में भी पूर्व कप्तान का बल्ला शांत रहा था।
उन्मुक्त चंद (2012)
विराट कोहली के दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप की सफलता के लिए भारत का नेतृत्व करने के चार साल बाद, यह दिल्ली के एक और खिलाड़ी थे जिन्होंने 2012 में भारत जो अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब जितवाया। टूर्नामेंट में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन के बाद उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) की तुलना कोहली से की गई और लोगों ने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का बड़ा खिलाड़ी होने की भविष्यवाणी की।
अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 WC) 2012 में उनका प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा और साथ ही उन्होंने 6 पारियों में 49.20 की औसत से 246 रन बनाए। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में भारत की जीत में अहम योगदान दिया जहां उन्होंने नाबाद शतक बनाया।
हालांकि, घरेलू क्रिकेट में दिल्ली राज्य की टीम के लिए उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है, उन्होंने 67 मैचों में 31 की औसत से 3379 रन बनाए हैं। खराब प्रदर्शन की वजह से वो कभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से डेब्यू नहीं कर सके और वो दिन भी आया जब लगातार नजरअंदाज किए जाने के बाद उन्होंने भारतीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया और अमेरिका लीग से करार कर लिया।
पृथ्वी शॉ (2018)
2018 में 22 वर्षीय पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) के लिए शानदार साल रहा। उन्होंने इस साल अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 WC) का खिताब दिलवाया। इतना ही नहीं, उनकी कप्तानी में ये भारत का चौथा खिताब था। इस सीजन शॉ टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने 65.25 की औसत से कुल 261 रन बनाए थे। बता दें कि वह आईपीएल के डेब्यू मैच में शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय हैं।
जहां उन्होंने आईपीएल और घरेलू सर्किट में अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी उनकी शुरुआत शानदार रही। अंडर-19 वर्ल्ड को में शानदार प्रदर्शन दिखाने के बाद उन्हें 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलने का मौका मिला। जहां उनके बल्ले से 237 रन बने। बता दें कि शॉ सभी कारणों की वजह से भी चर्चा में रह चुके हैं। साल 2020 में बल्लेबाज 8 महीने के डोपिंग प्रतिबंध के कारण वह क्रिकेट से दूर हो गए। हालांकि अब उन्होंने फिर से वापसी कर ली है।
लेकिन अब खराब फॉर्म के कारण उन्हें अब टीम इंडिया में जगह नहीं मिल रही है। पृथ्वी ने टीम इंडिया के लिए अपना आखिरी मुकाबला टेस्ट मुकाबला साल 2022 में खेला था, जबकि वनडे और टी20 साल 2021 में। इस साल आईपीएल 2022 से पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में यो-यो टेस्ट में विफल होने के बाद खिलाड़ी की फिटनेस पर भी कुछ सवाल उठाए गए थे। प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी को आखिरी बार रणजी ट्रॉफी 2022 के दौरान एक्शन में देखा गया था, जहां उन्होंने मुंबई टीम को फाइनल में पहुंचाया था।
यश ढुल (2022)
अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 WC) का आखिरी संस्करण साल 2022 में खेला गया है। इस सीजन भारतीय क्रिकेट टीम ने खिताब अपने नाम किया। फाइनल मैच में इंग्लैंड को मात देकर टीम इंडिया ने अपना पांचवां अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 WC) का खिताब जीता। इसी के साथ टीम सबसे ज्यादा वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली टीम बन गई। भारतीय टीम को ये मुकाम दिलवाने वाले यश ढुल थे। उनकी कप्तानी में ही टीम ने खिताब अपने नाम किया।
इसके अलावा यश ने बतौर बल्लेबाज भी अच्छा प्रदर्शन दिखाया। इस साल उनके टूर्नामेंट के प्रदर्शन को देखने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि यश को आईपीएल 2022 में डेब्यू करने का मौका मिल सकता है, लेकिन ऑक्शन में खरीदने के बाद भी दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें पदार्पण का मौका नहीं दिया. हालांकि घरेलू क्रिकेट में दिल्ली राज्य की ओर से रणजी खेलते हुए बल्ले से जमकर रनों की बरसात की थी। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले समय में अगर वो बल्ले से शानदार प्रदर्शन करते रहे तो नेशनल टीम में जगह बना लेंगे।