Border-Gavaskar trophy: ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई टीम इंडिया (Team India) ने पर्थ में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला लिया था। भारत ने ये निर्णय बल्लेबाजी के दम पर लिया था क्योंकि टीम इंडिया के स्क्वाड में अधिकतम युवा खिलाड़ियों की मौजूदगी है। नीतीश कुमार रेड्डी (Nitish Kumar Reddy), हर्षित राणा (Harshit Rana) और यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jiaswal) ने अपने पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर चयनकर्ताओं को प्रभावित किया। लेकिन एक खिलाड़ी ऐसा रहा, जिसकी बल्लेबाजी की पोल खुलती हुई नजर आई। ये खिलाड़ी सिर्फ लक के दम पर खेल रहा है, नहीं तो सेलेक्टर्स जिम्बाब्वे जैसी टीम के खिलाफ भी भाव नहीं देते।
इस खिलाड़ी पर उठे सवाल
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (Border-Gavaskar trophy) सीरीज में पर्थ टेस्ट से कुछ ही घंटों पहले शुभमन गिल (Shubhman Gill) इंजर्ड होने के चलते पहले टेस्ट से बाहर हो गए थे। उनकी जगह टीम इंडिया में युवा खिलाड़ी देवदत्त पडिक्कल (Devdutt Padikkal) को शामिल किया गया। लेकिन बाएं हाथ का ये बल्लेबाज पर्थ टेस्ट में कोई बड़ी पारी नहीं खेल पाया।
उनके पास ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर खेले जाने वाले बाकी 4 मैचौं के लिए टीम में खुद ही जगह पक्की करने का मौका था लेकिन पडिक्कल ऐसा करने से अभी तक चूके ही हैं। अब उनके ऊपर एडिलेड टेस्ट से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है।
पर्थ टेस्ट में कैसे आउट हुए पडिक्कल?
देवदत्त पडिक्कल को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (Border-Gavaskartrophy) की शुरुआत से पहले ही ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भेज दिया गया था। वह इंडिया ए का हिस्सा थे और उन्होंने दो अनौपचारिक टेस्ट भी खेले लेकिन इसके बावजूद वह अपने पहले टेस्ट में फेल हो गए। जोश हेजलवुड ने एक बेहतरीन बॉल पर पडिक्कल को विकेटकीपर एलेक्स कैरी के हाथों लपकवाया।
पडिक्कल कवर्स की ओर डिफेंस करना चाहते थे, लेकिन खराब फुटवर्क और बल्ले के एंगल ने उन्हें पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। वह अपनी पारी की 23वीं बॉल पर 0 के स्कोर में चलते बने थे। हालांकि दूसरी इनिंग में वो खुद को साबित करने की कोशिश में लगे हुए हैं और यशस्वी के साथ क्रीज पर ना सिर्फ जमे हैं बल्कि रन भी बना रहे हैं।
क्या किस्मत के चलते मिला Border-Gavaskar trophy ट्रॉफी खेलने का मौका?
ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा गेंदे खेलकर 0 के स्कोर पर आउट होने वाले पडिक्कल पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या देवदत्त पडिक्कल को अपने लक के दम पर टीम इंडिया में जगह मिली है या उनकी काबिलियत उन्हें यहां तक लेकर आई है? अगर पिछली कुछ पारियों की बात करें तो उन्होंने इंडिया ए के खिलाफ 4 पारियों में 36, 88, 26 और 1 रन बनाए थे। इससे पहले रणजी ट्रॉफी में भी उनसे कोई बड़ी पारी देखने को नहीं मिली।
लक की बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (Border-Gavaskar trophy) के लिए चुनी गई 18 सदस्यीय टीम का हिस्सा नहीं थे। लेकिन गिल के चोटिल होने के बाद उन्हें सीधे पर्थ की प्लेइंग इलेवन में उतार दिया गया। इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो किस्मत के दम पर इस सीरीज का हिस्सा बने हैं।
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