अगर टीम इंडिया को मिला कोई विदेशी हेड कोच, तो तबाह हो जाएगी भारतीय क्रिकेट टीम, ये 3 वजह हैं बेहद खतरनाक

Published - 16 May 2024, 07:26 AM

these are the 3 reasons why team india will be ruined as soon as it gets a foreign coach
  • भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड विदेश कोच नियुक्त करने के पक्ष में कम ही रहा है. भारत को पिछले 53 सालों में 28 कोच मिले. जिसमें 4 विदेशी कोचों को ही जगह मिल सकी. टीम इंडिया को साल 2005 में जॉन राइट के रूप में पहला विदेशी कोच मिला. उनके कार्यकाल में खिलाड़ियों के रिश्ते ठीक नहीं रहे. उन्होंने खराब शॉट पर आउट होने पर वीरेंद्र सहवाग को थप्पड़ जड़ दिया था.
  • जबकि ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल साल 2005-07 में भारतीय टीम के हेड कोच बने. उनके कार्यकाल में भारतीय का प्रदर्शन कभी परवान नहीं चढ़ सका और उन्होंने राजनीति कर टीम को दो खेमों में बांट दिया. यह बात किसी से छिपी नहीं है.
  • उनके कार्यकाल में सौरव गांगुली जैसे बेहतरीन खिलाड़ी को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, जिसके बाद जमकर हंगामा मचा था.
  • हालांकि, विदेशी कोच के रूप में गैरी कर्स्टन सफल रहे, उनके कार्यकाल में भारत ने साल 2011 में वनडे विश्व कप अपने नाम किया. चौथे विदेशी कोच के रूप में जिम्बाब्वे के डंकन फ्लेचर ने साल 2011-15 में टीम इंडिया में हेड कोच की भूमिका निभाई.
  • भारतीय टीम उनके कार्यकाल में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर सकी और साल 2015 के विश्व कप में भारत को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 95 रन से शर्मनाक हार झेलनी पड़ी.

3. विदेशी कोच दूसरी टीमों के प्रति नहीं होते वफादार

  • भारतीय कोच की इंडियन क्रिकेट होने के नाते पूरी कोशिश होती है कि अपने मुल्क के लिए 100 फीसद समर्पण दिया जाए. देशी कोच का मात्र एक ही सपना होता है कैसे भी टीम इंडिया (Team India) को शिखर पर ले जाया जाए. लेकिन, विदेशी कोच किसी दूसरी टीम के लिए इतना त्याग और बलिदान नहीं दे सकते हैं.
  • कई मौकों पर देखा गया है कि अपने देश लौटते ही गलत बयानबाजी देना शुरू कर देते हैं. हाल ही में देखा गया था कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत में खेले गए वनडे विश्व कप 2023 में खराब प्रदर्शन किया.
  • जिसके बाद बॉलिंग कोच मोर्ने मोर्केल ने अचानक बिना किसी सूचना के बीच में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं मुख्य कोच मिकी आर्थर ने बिना किसी जबावदेही के चलते बने. जिसके बाद PCB को विदेश कोच नियुक्त करने पर जमकर खरी खोटी सुननी पड़ी थी.
  • इतना ही नहीं विदेशी कोच का अपने देश की टीम के साथ भी कुछ अच्छा रिश्ता नहीं जम पाता, इसका बड़ा उदाहरण जस्टिन लैंगर हैं. जिनके खिलाफ जमकर आवाजें उठी थी और अंत में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. ऐसे में टीम इंडिया (Team India) के लिए किसी विदेशी कोच को हायर करना टीम के लिए तबाही का कारण बन सकती है.

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