वो भारतीय बल्लेबाज जिसने दांत टूटने के बावजूद की बल्लेबाजी और जड़ा अर्धशतक

Published - 28 Aug 2020, 11:35 AM

खिलाड़ी

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सीके नायडू जैसे खिलाड़ियों का नाम आज भी बड़े अदब से लिया जाता है. टीम इंडिया के करोड़ों फैंस में से कई भले उनके बारे में ज्यादा न जानते हों, लेकिन हम आपको बता दें कि कर्नल सीके नायडू ही वही शख्स हैं, जिन्हें टीम इंडिया के पहले कप्तान होने का गौरव प्राप्त है.

यानी जो विरासत आज धोनी और विराट संभाल रहे हैं, उसकी नींव कर्नल सीके नायडू ने ही रखी थी. एक मैच में इसी खिलाड़ी ने दांत टूटने टूटने के बावजूद अर्धशतक जड़ सभी को प्रेरित किया था.

दांत टूटने के बावजूद की बल्लेबाजी और जड़ा अर्धशतक

हुआ यूं कि एक घरेलू क्रिकेट मैच में दादू फडकर ने नायडू को बाउंसर फेंकी. इस गेंद को नायडू ने आगे बढ़कर खेला। बॉल सीधे नायडू को दांत पर लगी और वो टूटकर पिच पर गिर गया. इसे देख फील्डिंग कर रहे माधव आप्टे उनकी ओर दौड़े और नायडू का हाल-चाल पूछा.

उनके पूछने पर नायडू ने कहा कि ‘सब ठीक है’ और ऐसा कहकर उन्होंने पिच पर पड़े अपने दांत को उठाकर जेब में रखा और फिर से बल्लेबाजी करने लगे. जीवट किस्म के इस बल्लेबाज ने उस मैच में अर्धशतक जड़ा. सीके नायडू का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर भले ज्यादा न चला हो, लेकिन उन्होंने फर्स्ट क्लास मैचों में अपने खेल से जमकर लोकप्रियता हासिल की थी.

1926-27 में उन्होंने मुंबई में 100 रन मात्र 187 गेंदों पर बना लिए थे. इस दौरान उन्होंने 153 रनों की पारी खेली थी. इस पारी में उन्होंने 11 छक्के लगाए. इसमें से एक छक्का तो जिमखाना की छत पर जा गिरा. इस मैच के बाद उन्हें मुम्बई क्रिकेट क्लब ने चांदी का बल्ला भेंट किया गया था.

किसी प्रोडक्ट को एंडोर्स करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर रहे सीके नायडू

इसके अलावा सीके नायडू के बारे में बहुत कम ही लोग एक बात को जानते हैं. सीके नायडू भारतीय क्रिकेट इतिहास के पहले कप्तान होने के साथ ही किसी कंपनी के प्रोडक्ट को एंडोर्स करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर भी हुए. उन्होनें 1941 में बाथगेट लिवर टॉनिक कंपनी को एंडोर्स किया था.

इस समय तक भारत को आजादी भी नहीं मिल सकी थी. इसके साथ ही सीके नायडू ने 62 साल की उम्र तक रणजी क्रिकेट में अपना योगदान देते रहे.

67 साल की उम में हुए थे रिटायर

मजेदार बात ये है, कि जिस उम्र में खिलाड़ी रिटायरमेंट लेते हैं, उस उम्र में कर्नल को टेस्ट टीम की कमान मिली. इंग्लैंड के खिलाफ जून 1932 में जब उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच खेला, तब उनकी उम्र 37 साल हो चुकी थी. उन्होंने भारत की ओर चार साल में कुल 7 टेस्ट मैच खेले. लेकिन ऐसा नहीं है कि वह इतना खेलते ही रुक गए. उन्होंने अपने जीवन में कुल 207 फर्स्ट क्लास मैच खेले.

कर्नल सीके नायडू ने अपना आखिरी फर्स्ट क्लास मैच 67 साल की उम्र में खेला. सात टेस्ट मैच में उन्होंने दो अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाए. नायडू तेज गेंदबाजी भी करते थे. उन्होंने भारत की ओर से 7 मैचों में 9 विकेट लिए.

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