IND vs SA 2021-22: 3 मैचो की टेस्ट सीरीज में 2-1 से हार झेलने के बाद अब टीम इंडिया (Team India) को साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे मैच में भी 31 रनों की हार झेलनी पड़ी. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी साउथ अफ्रीका के लिए 2 बल्लेबाजों ने शतक लगाए. जिसकी बदौलत मेजबान टीम ने निर्धारित 50 ओवर में 296 रनों का स्कोर खड़ा किया. जवाब में टीम इंडिया (Team India) 8 विकेट के नुकसान पर 268 रन नही बना पायी.
मध्यक्रम के बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन इस मैच में टीम इंडिया की हार का सबसे बड़ा कारण रहा. टीम इंडिया के मध्यक्रम का दवाब के समय इस तरह से बिखर जाने का प्रचलन पिछले कई सालों से चलता आ रहा है. ऐसे में इसको लेकर कई कड़े सवाल पूछे जा रहे हैं.
शीर्ष क्रम पर निर्भर है भारतीय टीम
टीम इंडिया (Team India) पिछले कुछ सालों से लिमिटेड ओवर क्रिकेट में अपने शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों पर निर्भर होकर ही खेल रही है. पिछले 3-4 सालों में ऐसे कई मौके आये हैं, जब ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों के सस्ते में आउट होने के बाद टीम इंडिया का मध्यक्रम बुरी तरह से फेल हो गया है. और टीम इंडिया को करारी हार का सामना करना पडा.
साल 2019 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड के खिलाफ भी टीम इंडिया (Team India) का कुछ ऐसा ही हाल रहा था. जब उपरी क्रम के बल्लेबाज जल्दी आउट हो गए थे, तो टीम इंडिया 240 रनों के आसान लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पायी थी. टीम इंडिया की यह परेशानी हाल में हुई टी20 वर्ल्ड कप में भी पूरी तरह से उजागर हुई थी. जब पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए ग्रुप स्टेज के मुकाबलें में उपरी क्रम के बल्लेबाजों के जल्दी आउट होने के बाद पूरी टीम बिखर गयी थी.
लगातार किया जा रहा है बदलाव
लिमिटेड ओवर क्रिकेट में टीम इंडिया की मध्यक्रम की असफलता जगजाहिर है. भारतीय टीम इस क्षेत्र को मजबूत करने करने के लिए लगातार बदलाव कर रही है. लेकिन ये एक ऐसी दिक्कत बन गयी है. जिसका हल पिछले 3-4 सालों से नहीं निकल पाया है. एक समय में टीम इंडिया (Team India) के मध्यक्रम में युवराज सिंह (Yuvraj Singh), महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) और सुरेश रैना (Suresh Raina) जैसे बल्लेबाजों के होने से भारतीय टीम इस क्षेत्र में काफी बेहतर नजर आती थी.
लेकिन इन खिलाड़ियों के जाने के बाद से टीम इंडिया उनकी जगह की भरपाई करने के लिए कई खिलाड़ियों का उपयोग कर चुकी है. लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. टीम इंडिया को अगले 2 सालों में 2 आईसीसी टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है. ऐसे में भारतीय टीम को अपनी इस मुश्किलों का हल जल्द ही ढूंढना होगा.