इन 3 कारणों की वजह से द्विपक्षीय सीरीज की 'किंग' है टीम इंडिया, लेकिन बड़े टूर्नामेंट में आसानी से टेक देती है घुटने

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Shivam Rajvanshi
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Team India is the 'king' of bilateral series, loses matches in big tournaments

एशिया कप 2022 में टीम इंडिया (Team India) ने भले ही अफगानिस्तान को काफी बड़े अंतर से हराया है लेकिन सुपर 4 मुकाबलों में पाकिस्तान और श्रीलंका से नजदीकी मैच में हारकर फाइनल मुकाबले से बाहर हो गयी है. यह कोई पहली बार नहीं हुआ की टीम इंडिया किसी बड़े टूर्नामेंट में बिखरती हुई नज़र आई हो. बात करे चैंपियंस ट्राफी की, या पिछले टी20 वर्ल्ड कप की तो बड़े इवेंट्स में टीम बिना ट्राफी जीते वापस आ गई.

लेकिन जब बात आती है द्विपक्षीय सीरीज की तो टीम का प्रदर्शन काफी शानदार नज़र आता है. अगर साल 2022 की बात करें तो  श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज़ में खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सीरीज जीतने में कामयाब रही. ऐसे में चलिए आज नज़र डालते हैं उन कारणों के बारे में जिनकी वजह से टीम इंडिया (Team India) द्विपक्षीय सीरीज में अच्छा खेलती है लेकिन बड़े टूर्नामेंट में फेल हो जाती है.

1. चयनकर्ता बेहतर टीम चुनने में कर देते हैं लापरवाही

Team India

टीम इंडिया (Team India) के पिछले वर्ल्ड कप प्रदर्शन की बात करें तो टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भारतीय टीम ग्रुप मैचो में 5 में से सिर्फ तीन मैच जीत पायी. पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हारकर टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गयी. वर्ल्ड कप से बाहर होने की बड़ी वजह टीम सिलेक्शन को बताते हुए दिग्गजों ने सेलेक्टर्स पर भी सवाल खड़े किये थे.

युवा खिलाड़ियों को मौका दिए जाने की बात करते हुए सीधे बड़े टूर्नामेंट के लिए उनको चुनने पर टीम का प्रदर्शन अस्थिर हो जाता है. टीम में बदलाव की वजह से खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भी कम होता है. इसके साथ ही आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद खिलाड़ी को नेशनल टीम में चुनने का फैसला कई बार आलोचनाओं की वजह बन जाता है.

2. बड़े मैचों का प्रेशर नहीं झेल पाते खिलाड़ी

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मौजूदा दौर में टीम इंडिया (Team India) के बाद कई मैच विनर खिलाड़ी है. टीम के पास एक से बढ़कर एक खिलाड़ी है जो किसी भी मौके पर टीम को जीत दिलवा सकते हैं लेकिन सीनियर खिलाड़ियों के अलावा टीम में कई युवा खिलाड़ियों को स्क्वाड में चुने जाने के बाद आपके पास विकल्प सीमित हो जाते हैं. द्विपक्षीय सीरीज में आप हर मैच में बदलाव कर सकते हैं.

पर आईसीसी इवेंट में आपको एक ऐसी टीम के साथ उतरना होता है जो अनुभवी हो और बड़े मैच का दवाब झेल सके. लेकिन, पिछले कुछ बड़े टूर्नामेंट में साफ़ देखा गया है कि टीम शुरुआत अच्छी करती है लेकिन निर्णायक मुकाबलों में टुकड़ों में प्रदर्शन करते हुए बिखर जाती है जिस कारण टीम को बाहर तक होना पड़ता है. ऐसे में दवाब झेलने वाले खिलाड़ियों को टीम में जगह दिए जाने से बेहतर कोई विकल्प नज़र नहीं आता है.

3. बड़े टूर्नामेंट में गुटबाजी की खबरें आ जाती हैं सामने

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सचिन-गांगुली के बीच के विवाद के बाद भारतीय टीम (Team India) में गुटबाजी की खबरें काफी आम हो गयी थी. कई मौकों पर टीम में साफ़तौर पर दो धड़ बने दिखाई दिए हैं. और सबसे बड़ी गुटबाजी की खबरें साल 2019 में वर्ल्ड कप के बाद आई जब सेमीफाइनल में हार के बाद कई बातें सामने आई. उस समय टीम दो गुट में बंटी थी. पहला खेमा विराट कोहली का था, वहीं दूसरा रोहित शर्मा का.

ऐसे में कई मौकों पर रोहित शर्मा के ग्रुप से यह खबरें आई कि कोहली से कप्तानी ले ली जाये क्योंकि उन्होंने अबतक कोई आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीता है. हाल फिलहाल में दोनों खिलाड़ियों के बीच सब कुछ सही होने की बाते भी सामने आई हैं लेकिन खिलाड़ियों के चयन और फिर उनके इस्तेमाल को देखते हुए अभी भी कहा जा सकता है की टीम में आज भी गुटबाजी देखी जा सकती है और इसका नुकसान भारतीय क्रिकेट टीम उठा रही है कोई भी आईसीसी इवेंट को अपने नाम नहीं कर पा रही है.

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