Team India: क्रिकेट दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय खेलों में से एक हैं. 22 गज की पिच पर खेला जाने वाला यह खेल 146 साल पुराना है. 1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया था और यहीं से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत हुई थी. शुरुआती दिनों में सिर्फ टेस्ट क्रिकेट ही खेला जाता था.
1971 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला वनडे मैच मेलबर्न में खेला गया था. इसका आयोजन तब हुआ था जब एशेज सीरीज का आखिरी टेस्ट बारिश की वजह से धुल गया था लेकिन इस मैच के आयोजन के बाद इसके रोमांच को देखते हुए 1972 से वनडे मैच नियमित तौर पर खेला जाने लगा. भारत (Team India) ने अपना पहला टेस्ट 1932 में और पहला वनडे 1974 में इंग्लैंड के साथ खेला था.
वनडे क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता को और रोमांचक बनाने के लिए क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी ने 1975 में विश्व कप का आयोजन कराने का निर्णय लिया. ये विश्व कप टीम इंडिया के पहला वनडे खेलने के ठीक एक साल बाद आयोजित हुआ था. टेस्ट के बाद वनडे और इसके बाद टी 20 फॉर्मेट आया. आईसीसी ने 2007 में टी 20 विश्व कप और 2021 में टेस्ट का विश्व कप भी शुरु किया. इसके अलावा ICC चैंपियंस ट्रॉफी भी आयोजित करती है जिसे मिनी विश्व कप के नाम से जाना जाता है.
भारतीय टीम (Team India) का ICC इवेंट में प्रदर्शन अच्छा रहा है. भारत ने अबतक 5 ICC खिताब जीते हैं और ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाली दूसरी टीम है. हालांकि भारत ने अपना आखिरी ICC खिताब 2013 में जीता था. इसके बाद से 10 साल बीत गए हैं लेकिन भारत की झोली आईसीसी खिताब से खाली है. इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया के साथ साथ कोच की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. आईए जानते हैं भारत ने अपने 5 आईसीसी खिताब किसी कोचिंग में जीती है.
वनडे विश्व कप 1983
भारत ने विश्व क्रिकेट को पहली बार अपनी ताकत का एहसास 1983 में खेले गए वनडे विश्व कप में कराया था. लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल मुकाबले में कमजोर मानी जाने वाली भारतीय टीम ने तब की दिग्गज और 1975 तथा 1979 में लगातार दो बार वनडे विश्व कप जीत चुकी वेस्टइंडीज को हराकर विश्व क्रिकेट में तहलका मचा दिया था.
60 ओवर के फॉर्मेट में खेले गए टूर्नामेंट के फाइनल में कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया (Team India) ने 183 रन बनाए थे और वेस्टइंडीज को 140 रन पर समेट कर ये मैच 43 रन से जीता था और पहला विश्व कप जीता था. विश्व कप में मिली जीत के बाद कपिल देव की बहुत चर्चा होती है लेकिन क्या आपको पता है कि इस टीम का कोच कौन था?
1983 में कोच नहीं बल्कि टीम के साथ मैनेजर हुआ करते थे जो खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के साथ ही उनके प्रदर्शन पर भी नजर रखा करते थे. 1983 में टीम इंडिया के मैनेजर पीआर मान सिंह (P. R. Man Singh) थे. पीआर मान सिंह ने हैदराबाद की तरफ से 5 रणजी मैच खेले थे. 1978 में उन्हें पहली बार पाकिस्तान दौरे पर गई टीम इंडिया का असिस्टेंट मैनेजर बनाया गया था.
1983 में उन्हें विश्व कप खेलने गई टीम का मैनेजर बनाया गया जहां उन्होंने अपनी घरेलू क्रिकेट के लंबे अनुभव का उपयोग करते हुए टीम इंडिया को विजयी बनाया था. वे 1987 में भी सेमीफाइनल खेलने वाली टीम इंडिया के मैनेजर थे. हाल में '83' नाम की फिल्म आई थी जिसमें अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने पीआर मान सिंह का किरदार निभाया था.
ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2002
1983 के बाद भारत ने 2002 में सौरव गांगुली की कप्तानी में ICC ट्रॉफी जीती थी. हालांकि बारिश से प्रभावित रहे फाइनल मुकाबले में मैच को ड्रॉ घोषित करते हुए भारत के साथ साथ श्रीलंका को भी विजेता बनाया गया था. फाइनल मैच में भारतीय टीम ने श्रीलंका को 222 पर रोक दिया था. 223 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने 8.4 ओवरों में 1 विकेट पर 38 रन बनाए थे की बारिश शुरु हो गई जिसके बाद मैच को रद्द करना पड़ा और श्रीलंका तथा भारत को संयुक्त विजेता घोषित किया गया.
भारत (Team India) ने इस टूर्नामेंट में बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए चैंपियन तक का सफऱ तय किया था. इस सफर में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ साथ टीम के कोच रहे जॉन राइट का बड़ा योगदान था. न्यूजीलैंड के जॉन राइट (John Wright) ने 2000 में तब भारतीय टीम के कोचिंग का जिम्मा संभाला था जब टीम फिक्सिंग के आरोपों से जूझ रही थी और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी कमजोर मानी जाती थी लेकिन इस कीवी दिग्गज ने भारतीय क्रिकेट में जान फूंकते हुए टीम को दुनिया की मजबूत टीमों में से एक बनाया.
2000 से 2005 तक टीम इंडिया के कोच जॉन राइट की कोचिंग में भारतीय टीम ने 2001 आईसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट का फाइनल खेला जिसमें न्यूजीलैंड के हाथों हार मिली. 2002 में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम संयुक्त विजेता रही इसके बाद जॉन राइट की कोचिंग में टीम इंडिया ने 2003 का फाइनल भी खेला. 2005 तक भारतीय टीम के कोच रहे जॉन राइट को भारतीय टीम को अंतराष्ट्रीय स्तर मजबूत बनाने का श्रेय दिया जाता है.
2007 टी 20 विश्व कप
आईसीसी ने 2007 में पहली बार टी 20 फॉर्मेट में विश्व कप की शुरुआत की थी. साउथ अफ्रीका में खेले गए इस टूर्नामेंट का फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था जिसमें भारतीय टीम पाकिस्तान को हराकर विश्व चैंपियन बनी थी. टी 20 का ये पहला विश्व कप था और तब भारतीय टीम को इस फॉर्मेट की अच्छी टीम नहीं माना जाता था लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने सबको चौंकाते हुए पहला टी 20 विश्व कप जीत कर कमाल कर दिया था. फाइनल में 157 रन बनाने वाली भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 152 पर समेटते हुए विश्व चैंपियन का खिताब हासिल किया था.
2007 में टी 20 विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया के कोच लालचंद राजपूत (Lalchand Rajput) थे. भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से 1985 से 1987 के बीच 2 टेस्ट और 4 वनडे खेलने वाले लालचंद राजपूत ने भारतीय टीम के युवा खिलाड़ियों के साथ मिलकर कमाल कर दिया और अपनी सटीक तथा अचूक रणनीतियों के बल पर भारत को विश्व चैंपियन बना दिया था. बावजूद इसके उन्हें बतौर कोच बीसीसीआई की तरफ से ज्यादा समय नहीं मिला. वे 2008 तक ही कोच पद पर रहे.
2011 वनडे विश्व कप
भारतीय टीम के लिए विदेशी कोच का फॉर्मूला अच्छा रहा है. जॉन राइट ने जहां बतौर कोच टीम इंडिया को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाया और 2003 विश्व कप के फाइनल तक ले गए वहीं 2011 में एक विदेशी कोच की छत्रछाया में ही टीम इंडिया ने 28 साल के बाद दूसरी बार वनडे विश्व कप का खिताब अपने नाम किया.
2011 का वनडे विश्व कप भारत की सह मेजबानी में खेला गया था. फाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका और भारत के बीच खेला गया था. श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रन बनाए थे. भारतीय टीम ने 48.2 ओवरों में गौतम गंभीर के 97 और महेंद्र सिंह धोनी के नाबाद 91 रनों की मदद से 4 विकेट पर 277 रन बना कर विश्व कप अपने नाम कर लिया.
इस जीत के बाद हर तरफ महेंद्र सिंह धोनी, गौतम गंभीर और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों की चर्चा हुई और होनी भी चाहिए लेकिन इस खिताबी जीत में टीम इंडिया के कोच रहे गैरी कर्स्टन का बहुत बड़ा योगदान था.शांत स्वभाव के गैरी कर्स्टन ने बेहतरीन रणनीति और खिलाड़ियों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हुए भारत को दूसरी बार वनडे क्रिकेट का चैंपियन बनाया था. गैरी कर्स्टन ऐसे पहले बड़े खिलाड़ी बने जो बतौर कोच भी काफी सफल रहे और विश्व कप जीतने में सफलता हासिल की.
बता दें कि गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) साउथ अफ्रीका के महान बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. अपने खेल के दिनों में वे उन बल्लेबाजों में शामिल थे जिन्होंने टेस्ट खेलने वाले तमाम देशों के खिलाफ शतक जड़े थे. गैरी कर्स्टन ने साउथ अफ्रीका के लिए 1993 से 2004 के बीच 101 टेस्ट और 185 वनडे खेले. टेस्ट में 21 शतक की मदद से 7289 और वनडे में 13 शतक की मदद से 6798 रन उनके नाम दर्ज है. गैरी कर्स्टन 2008 से 2011 तक टीम इंडिया के कोच रहे थे. भारतीय टीम को विश्व कप जीताने के बाद उन्होंने बतौर कोच अपना कार्यकाल नहीं बढ़वाया था.
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2013
2011 विश्व कप के बाद आखिरी बार 2013 में टीम इंडिया ने ICC खिताब जीता था. इस बार भी कप्तान थे महेंद्र सिंह धोनी. 2013 चैंपियंस ट्रॉफी इंग्लैंड में खेली गई थी. फाइनल मुकाबला बारिश की वजह से 20-20 ओवर का हुआ था. भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 129 रन बनाए थे और इंग्लैंड को 124 पर समेटते हुए 5 रन से जीत हासिल की थी. रविंद्र जडेजा प्लेयर ऑफ द मैच तो शिखर धवन प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे थे. लेकिन क्या आपको पता है कि इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया का कोच कौन था?
2013 में भारतीय टीम को चैंपियन बनाने वाला कोच भारतीय नहीं जिंबाब्वे के डंकन फ्लेचर (Duncan Fletcher) थे. गैरी कर्स्टन के बाद टीम इंडिया की कोचिंग संभालने वाले डंकन फ्लेचर ने 2013 में टीम इंडिया को चैंपियंस ट्रॉफी जीताकर अपनी क्षमता साबित की थी. भारतीय टीम इस टूर्नांमेंट में अपराजेय रही थी.
डंकन फ्लेचर 2011 से लेकर 2015 तक भारतीय टीम के कोच रहे थे इसके पहले वे इंग्लैंड क्रिकेट टीम के भी कोच रहे थे. बतौर खिलाड़ी डंकन फ्लेचर का रिकॉर्ड बहुत बड़ा नहीं है लेकिन बतौर कोच उनका नाम बहुत बड़ा है. 1999 से 2007 तक वे इंग्लैंड टीम के हेड कोच रहे और उनकी कोचिंग में इंग्लैंड ने टेस्ट क्रिकेट में बड़ा मुकाम हासिल किया था.
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