Team India: राजनीति और खेल दोनों ही अलग अलग अलग क्षेत्र हैं और सार्वजनिक जीवन पर दोनों ही क्षेत्र अपना अपना प्रभाव डालते हैं. इन दोनों क्षेत्रों की शुद्धता तभी तक बरकरार रहती है जब तक ये एक दूसरे के साथ नहीं होते. अगर खेल में राजनीति आ गई या फिर राजनीति में खेल आ गया तो समझिए दोनों अपने रास्ते से भटक जाते हैं. इस आर्टिकल के माध्यम से हम टीम इंडिया (Team India) के उन तीन खिलाड़ियों की बात करेंगे जिनका करियर राजनीति की वजह से खराब हो गया.
ऋद्धिमान साहा
एमएस धोनी के 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम (Team India) में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा (Wriddhiman Saha) ने अपनी जगह बनाई थी. लेकिन राहुल द्रविड़ ने कोच बनने के बाद उन्हें ये कहते हुए टीम से ड्रॉप करवाया कि अब युवाओं को मौका देने का वक्त आ गया है.
द्रविड़ ने साहा को संन्यास लेने की सलाह भी दी. टीम से ड्रॉप होने के बाद कोच के बयान को साहा ने सार्वजनिक कर दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि खेल में सक्रिय होने के बावजूद और पंत की इंजरी के बावजूद साहा केलिए टीम में मौका नही है. यही नहीं उनकी घरेलू टीम में पश्चिम बंगाल ने भी उनका साथ छोड़ दिया. अब वे त्रिपुरा की तरफ से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं.
हनुमा विहारी
हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) भारत के लिए 16 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था लेकिन दूसरे बड़े खिलाड़ियों की वजह से उनकी टीम (Team India) में जगह नहीं बन पा रही है. हनुमा बिना निराश हुए अपनी घरेलू टीम आंध्रप्रदेश की तरफ से खेल रहे हैं और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन 26 फरवरी को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाल बवाल मचा दिया. हनुमा ने रणजी सीजन के शुरुआती मैच के बाद आंध्रप्रदेश की कप्तानी छोड़ दी थी.
26 फरवरी की पोस्ट में उन्होंने बताया है कि उन्हें राजनीतिक दबाव की वजह से कप्तानी छोड़नी पड़ी. ये उनका अपमान था और अब वे किसी भी कीमत पर आंध्रप्रदेश की तरफ से नहीं खेलेंगे. देखना होगा कि विहारी अपने बयान पर कायम रहते हैं या फिर उन्हें सम्मानपूर्व आंध्र की कप्तानी सौंपी जाती है. उन्हें पवन कल्याण और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं का समर्थन भी मिला है. इसलिए संभव है उन्हें फिर से सम्मान और कप्तानी मिले और वे अपनी घरेलू टीम में वापस चले आएं.
पृथ्वी शॉ
भारतीय टीम (Team India) को 2018 में अपनी कप्तानी में अंडर 19 का विश्व कप दिलाने वाले पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) को इस टूर्नामेंट के ठीक बाद टीम इंडिया में मौका मिल गया था. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले ही टेस्ट की पहली पारी में शतक लगाते हुए अपने सुनहरे भविष्य के संकेत दिए थे. तब उन्हें भारत का अगला सचिन तेंदुलकर भी बताया गया था लेकिन जल्द ही वे टीम से बाहर हो गए और पिछले ढाई साल में उन्हें भारत की तरफ से किसी भी फॉर्मेट में खेलने का मौका नहीं मिला है.
एक इंटरव्यू में शॉ ने कहा था कि उन्हें टीम इंडिया (Team India) से किस वजह से ड्ऱॉप किया गया वो आज तक नहीं जान पाए. इस बयान के बाद फिलहाल पृथ्वी का नाम किसी सीरीज के संभावितों में भी नहीं आता है. उनकी कप्तानी में अंडर 19 विश्व कप उनके साथी रहे और उनसे बाद डेब्यू करने वाले शुभमन गिल आज एक बड़ा नाम बन चुके हैं जबकि शॉ फिलहाल संघर्षरत हैं. रिपोर्टों के मुताबिक शॉ को टीम से ड्रॉप करने और लगातार बाहर रखने की वजह उनकी फिटनेस, उनका प्रदर्शन और व्यवहार है.
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