मिडल ऑर्डर में बर्बाद हो रहा था इन खिलाड़ियों का करियर, ओपनर बनते ही चमक गई किस्मत, लिस्ट में चौंकाने वाले नाम शामिल

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Nishant Kumar
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Team India: मिडल ऑर्डर में बर्बाद हो रहा था इन खिलाड़ियों का करियर, ओपनर बनते ही चमक गई किस्मत

Team India: क्रिकेट बल्ले और गेंद का खेल है। लेकिन इस खेल में किस्मत का भी बहुत बड़ा हाथ होता है। कई बार खिलाड़ी किस्मत के इतने धनी होते हैं कि वह कही भी किसी पोजीशन पर खेले। वे रन जरूर बनाते हैं। लेकिन कई बार ऐसे खिलाड़ी भी हुए जिन्होंने पहले मिडिल आर्डर में बल्लेबाजी की। लेकिन वो किसी को प्रभावित नहीं कर पाय।

लेकिन बाद में उनकी भूमिका बदल दी गई और उन्हें सलामी बल्लेबाज की भूमिका दी गई और इन बल्लेबाजों ने इस भूमिका में शानदार प्रदर्शन किया और बेहतरीन सलामी बल्लेबाज बने।आइए हम आपको बताते हैं उन दो भारतीय बल्लेबाजों के बारे में, जो पहले मिडिल ऑर्डर में खेलते थे, लेकिन एक फैसले ने उनकी किस्मत बदल दी।

रोहित शर्मा

On This Day in 2013: Rohit Sharma Slams First of His Three ODI Double Centuries, Against Australia

भारतीय कप्तान और सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में की थी। रोहित शर्मा ने अपना डेब्यू साल 2006 में किया था। रोहित शर्मा अपने डेब्यू के बाद से कई सालों तक मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में खेलते रहे हैं। लेकिन एक दिन किस्मत ने ऐसा करवट ली कि रोहित शर्मा ओपनिंग करने आने लगे।

दरअसल, 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा की ओपनिंग की थी और उसके बाद से उनकी किस्मत पूरी तरह बदल गई. इसके बाद रोहित ने ओपनिंग करते हुए भारत के लिए कई रिकॉर्ड तोड़े। रोहित शर्मा वनडे में 3 बार दोहरा शतक बनाने में सफल रहे। इसमें रोहित शर्मा का वनडे क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर 264 रन भी शामिल है। मौजूदा समय में उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन ओपनर बल्लेबाज माना जाता है।

वीरेंद्र सहवाग

Watch: Virender Sehwag begins training for Legends League Cricket benefit match - India Today

रोहित शर्मा की तरह वीरेंद्र सहवाग ने भी अपने करियर की शुरुआत मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में की थी। लेकिन बतौर ओपनर उन्हें जो कामयाबी मिली, वो उन्हें मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर कभी नहीं मिल सकी. जब वीरेंद्र सहवाग भारतीय टीम के मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे। तो सौरव गांगुली, जो उस समय टीम के कप्तान थे, ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनको अपने बजाय सहवाग को ओपनिंग करने का मौका दिया।

इस मोके को भी सहवाग ने दोनों हाथों से लपका। इसके बाद उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी ओपनिंग करनी शुरू की। सहवाग ने एकदिवसीय मैचों में सलामी बल्लेबाज के रूप में 7000 से अधिक रन बनाए और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में 8000 से अधिक रन बनाए। 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले सहवाग भारत के अबतक के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज हैं।

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