मुंबई हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को लेकर एक बहुत बड़ा बयान दिया है। मुंबई उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को 'दुकान' कहते हुए बयान दिया था कि बीसीसीआई (BCCI) ने अपने कर्मचारियों से बीसीसीआई पर ईएसआई एक्ट के प्रावधानों को लागू करने को कहा था। मुंबई हाई कोर्ट के बाद अब भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के एक मामले की सुनवाई करते हुए निष्कर्ष निकाला है कि यह एक 'दुकान' है, जो व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम देती है।
BCCI को सुप्रीम कोर्ट ने बताया 'दुकान'
जस्टिस एमआर शाह और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि ईएसआई कोर्ट और हाई कोर्ट ने बीसीसीआई (BCCI) को ईएसआई एक्ट के तहत 'दुकान' मानने में कुछ भी गलत नहीं किया। बेंच ने कहा,
‘‘बीसीसीआई की व्यवस्थित गतिविधियों, विशेषकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान’ कहा जा सकता है।’’
BCCI पर मुंबई हाई कोर्ट ने लगाया था आरोप
शीर्ष अदालत इस सवाल का जवाब दे रही थी कि क्या बीसीसीआई को 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार एक दुकान कहा जा सकता है और क्या ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू होंगे या नहीं। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि बीसीसीआई कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 की धारा 1 (5) के प्रावधानों के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार दुकान के अर्थ के अंतर्गत आता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 'दुकान' शब्द की व्याख्या पारंपरिक अर्थों में नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह ईएसआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा।