T20 cricket: पिछले कुछ सालों से फ्रेंचाइजी टी20 क्रिकेट पूरी दुनिया में मशहूर हो गया है. इसका कारण क्रिकेटरों की उत्साहपूर्ण भागीदारी है. आपको बता दें कि कई देशों के ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने देश की राष्ट्रीय टीम से ज्यादा फ्रेंचाइजी क्रिकेट को प्राथमिकता देते हैं. इसका मुख्य कारण पैसा है. मालूम हो कि फ्रेंचाइजी क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ज्यादा पैसा मिलता है. हालाँकि, अब दुनियाभर की लीग का असर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर पड़ रहा है और धीरे-धीरे बर्बादी के दिन शुरू हो गए हैं. इस मामले पर अब पूर्व दिग्गज का गुस्सा फूट पड़ा है. उन्होंने इसे लेकर क्या कुछ कहा है आइये जानते हैं.
फ्रेंचाइजी T20 cricket पर इस दिग्गज ने दिया ऐसा बयान
दरअसल, फ्रेंचाइजी टी20 क्रिकेट (T20 cricket) के कारण राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या कम होती जा रही है. वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश इस समस्या से जूझ रहे हैं. कई क्रिकेट बोर्डों को परेशान कर रही इस समस्या का समाधान अनुभवी श्रीलंकाई तेज गेंदबाज चामिंडा वास ने सुझाया है.
चामिंडा वास ने दिया बड़ा बयान
चामिंडा वास ने कहा,
''टी20 क्रिकेट (T20 cricket) का व्यावसायीकरण हो रहा है और ज्यादातर खिलाड़ियों को इससे आर्थिक तौर पर फायदा होगा. उनका ख्याल रखा जाएगा, क्रिकेट बोर्ड को कोई समाधान निकालना चाहिए.' सभी देशों के क्रिकेट बोर्डों को खिलाड़ियों की मैच फीस बढ़ानी चाहिए, तभी वे फ्रेंचाइजियों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध नहीं करेंगे. अगर सभी क्रिकेट बोर्ड ऐसा करेंगे तो खिलाड़ियों को किस फॉर्मेट में खेलना चाहिए? यह तय है. मुझे यकीन है फिर वह इसमें लगातार रन बनाएंगे।"
अपने देश के लीग क्रिकेट पर भी दिया बयान
इसके अलावा तेज गेंदबाज चामिंडा वास ने भी अपने देश में चल रही टी20 (T20 cricket) लंका प्रीमियर लीग पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि,
"यह लीग स्थानीय खिलाड़ियों के करियर के लिए काफी उपयोगी होगी. खैर, यह (एलपीएल) धीरे-धीरे बेहतर हो रहा है. हमें विदेशों से अच्छे खिलाड़ियों की जरूरत है. बाबर आजम जैसे खिलाड़ियों, ऑस्ट्रेलिया के कुछ खिलाड़ियों और सभी विदेशी क्रिकेटरों का होना अच्छा है और आप जानते हैं कि प्रतिस्पर्धी क्रिकेट कैसे खेलना है."
कई बड़े खिलाड़ी ने सेंट्रल कान्ट्रैक्ट छोड़ा
पिछले कुछ वर्षों में, कई क्रिकेटरों ने अपने राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्डों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय अनुबंधों को छोड़ दिया है और इसके बजाय दुनिया भर में विभिन्न फ्रेंचाइजी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसने राष्ट्रीय अनुबंध से मिलने वाली रकम से कहीं अधिक पैसा कमाने का रास्ता चुना है. हालांकि अब धीरे-धीरे इंटरनेशनल क्रिकेट खत्म हो रहा है.
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