6,6,6,6,6,6,6,6,...', श्रीलंकाई बल्लेबाजों का तूफान! एक पारी में ठोके 952 रन, बना टेस्ट इतिहास का सुनहरा अध्याय
Published - 12 Oct 2025, 04:46 PM | Updated - 12 Oct 2025, 04:55 PM

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Sri Lanka : कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में भारत और श्रीलंका (Sri Lanka) के बीच चल रहा था एक ऐतिहासिक टेस्ट मुकाबला — जहां कुछ ही घंटों में क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी कहानी लिखी जाने वाली थी। ये वो टेस्ट मैच था जिसने क्रिकेट इतिहास में ऐसा अध्याय जोड़ा, जिसे आज भी कोई टीम पार नहीं कर सकी है।
भारतीय टीम ने पहली पारी में 8 विकेट पर 537 रन बनाकर पारी घोषित की, और उस वक्त हर कोई यही मान बैठा था कि मैच अब उनके हाथ में है। मगर उन्हें क्या पता था कि यह सिर्फ तूफान से पहले की खामोशी है।
भारत की पहली पारी: मजबूत शुरुआत, ऊँचा स्कोर
यह बात हैं साल 1997 की जब भारत और श्रीलंका (Sri Lanka) के बीच कोलंबो में टेस्ट मैच खेला जा रहा था। इस मैच में टॉस भारत ने जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया था। भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए शानदार प्रदर्शन किया।
नवजोत सिंह सिद्धू ने धैर्य भरी 111 रनों की पारी खेली, राहुल द्रविड़ ने 69 रन जोड़े, और कप्तान सचिन तेंदुलकर ने 143 रनों की लाजवाब इनिंग खेली। उनके बाद मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने भी 126 रन ठोककर टीम के स्कोर को मजबूती दी।
टीम इंडिया ने अपनी पहली पारी 8 विकेट पर 537 रन बनाकर घोषित की। अनिल कुंबले 27 रन पर नाबाद रहे। गेंदबाजी में श्रीलंका के लिए सनत जयसूर्या ने तीन विकेट लिए उसके अलावा मुथैया मुरलीधरन और पुष्पकुमारा ने 2-2 विकेट झटके, जबकि चमिंडा वास को भी एक सफलता मिली।
जब Sri Lanka ने लिख डाला इतिहास
भारत के विशाल स्कोर के जवाब में श्रीलंका (Sri Lanka) की शुरुआत साधारण रही। ओपनर मार्वन अटापट्टू 26 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने भारतीय गेंदबाजों को हिला कर रख दिया। क्रीज पर आए सनत जयसूर्या और रोशन महानामा ने मानो गेंदबाजी आक्रमण को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए 576 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी कर दी — जो आज भी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ी साझेदारियों में गिनी जाती है।
जयसूर्या का बल्ला उस दिन मानो आग उगल रहा था। उन्होंने पहले शतक लगाया, फिर दोहरा शतक, और फिर तिहरा शतक बनाते हुए रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया। उनकी तूफानी पारी 340 रन पर जाकर थमी।
वहीं, उनके साथी रोशन महानामा ने भी शानदार 225 रनों की जुझारू पारी खेली। दोनों ने भारतीय गेंदबाजों को ऐसा धोया कि हर ओवर में चौके-छक्कों की बरसात होती रही।

भारतीय गेंदबाजों की बेबसी
उस मुकाबले में भारत के पास अनुभवी गेंदबाज जैसे वेंकटेश प्रसाद, अनिल कुंबले, और राजेश चौहान थे, लेकिन उस दिन किसी की भी एक न चली। श्रीलंकाई (Sri Lanka) बल्लेबाजों ने हर गेंदबाज को बखूबी निशाना बनाया। भारत को दूसरा विकेट हासिल करने के लिए पूरे 576 रन का इंतजार करना पड़ा — जो अपने आप में क्रिकेट इतिहास की सबसे दर्दनाक गेंदबाजी कहानियों में से एक है।
कप्तान सचिन तेंदुलकर के चेहरे पर हर ओवर के साथ निराशा साफ झलक रही थी। उन्होंने अपनी रणनीति बदली, फील्डिंग बदली, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। श्रीलंका के बल्लेबाजों ने ना सिर्फ रन बनाए बल्कि भारतीय गेंदबाजों की हिम्मत भी तोड़ दी।
बाकी बल्लेबाजों ने भी किया कमाल
जब जयसूर्या और महानामा पवेलियन लौटे, तब भी श्रीलंका (Sri Lanka) का रनों का तूफान थमा नहीं। इसके बाद अरविंदा डी सिल्वा मैदान पर आए और उन्होंने भी शानदार 126 रन ठोके। कप्तान अर्जुना रणतुंगा ने 86 रनों की बेहतरीन पारी खेली, जबकि युवा महेला जयवर्धने ने अपने करियर की शुरुआती इनिंग्स में ही 66 रन जोड़कर टीम की बढ़त को और मजबूत कर दिया।
हर ओवर में रन बह रहे थे, और भारतीय गेंदबाज सिर्फ उम्मीद लगाए बैठे थे कि कब कोई गलती हो और विकेट गिरे। मगर श्रीलंका (Sri Lanka) का इरादा कुछ और ही था — वो इतिहास रचने आए थे, और उन्होंने रचा भी।
एक ऐसा मैच जिसे कोई नहीं भूल सकता
यह मुकाबला सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती और टीम स्पिरिट का उदाहरण था। जयसूर्या और महानामा की साझेदारी, श्रीलंका की बल्लेबाजी की गहराई और कप्तान रणतुंगा की रणनीति ने इसे टेस्ट इतिहास की "गोल्डन इनिंग" बना दिया।
आज जब भी कोई क्रिकेट प्रेमी “सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर” सुनता है, उसके ज़हन में सबसे पहले यही आंकड़ा आता है — 952 रन, श्रीलंका बनाम भारत, कोलंबो, 1997।
वो दिन, जब क्रिकेट के मैदान पर रनों की बरसात हुई थी — छक्कों, चौकों और इतिहास की गूंज के साथ।
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