इन 3 कारणों के चलते सौरव गांगुली नहीं बनेंगे आईसीसी के चेयरमैन

Published - 17 Jul 2020, 03:01 PM

खिलाड़ी

कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से जूझने के दौरान मैदान पर वापस लौटते क्रिकेट को अगले कुछ दिन एक और संघर्ष से जूझना पड़ेगा. ये संघर्ष है क्रिकेट की सर्वोच्च प्रशासनिक गद्दी पर बैठने वाले का चयन करने का. यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल का अगला चेयरमैन चुनने का. आईसीसी के नए चीफ के तौर पर भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है.

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली इस वक्त बीसीसीआई अध्यक्ष के पद पर आसीन हैं. पिछले करीब 10 महीने से गांगुली बीसीसीआई को लीड कर रहे हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन पद से शंशाक मनोहर ने दो हफ्ते पहले इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद अब कार्यवाहक चेयरमैन से मदद ली जा रही थी. हालाँकि उसके साथ जल्द ही आईसीसी अब चेयरमैन पद के लिए चुनाव के बारें में सोच रही है.

गांगुली के अब तक के कार्यकाल को देखते हुए आवाज उठ रही है कि सौरव गांगुली को आईसीसी (ICC) अध्यक्ष बनाया जाए. ये मांग सिर्फ भारत की ओर से नहीं बल्कि उनके विरोधी भी कर रहे हैं. साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान और क्रिकेट साउथ अफ्रीका के अध्यक्ष ग्रीम स्मिथ ने कहा है कि सौरव गांगुली में लीडरशिप क्वॉलिटी है. गांगुली आईसीसी प्रेजिडेंट के लिए सबसे बेहतर हैं.

3. बीसीसीआई को सौरव गांगुली जैसे लीडर की है शख्त जरूरत

यह तो सभी जानते हैं कि विश्व भर में जितने भी क्रिकेट बोर्ड हैं उनमें सबसे शक्तिशाली बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ही है. बीसीसीआई की ताकत की वजह उसके पास अपार धन है. बीसीसीआई क्रिकेट जगत की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड भी है. इसलिए इसकी तूती आईसीसी पर भी बोलती है.

हालाँकि इस समय बीसीसीई थोड़ा कमजोर जरूर पड़ी है. जिसका सबसे प्रमुख कारण पूर्व भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष तथा हाल ही में आईसीसी के मुखिया का पद छोड़ने वाले शशांक मनोहर हैं. इस समय बीसीसीई को एक शानदार लीडर की आवश्यकता है, जो बीसीसीआई को द्रढ़ता से लीड कर सके.

ऐसे में बीसीसीआई जानती है कि जिस लीडर की आवश्यकता उसे है, वह निश्चित रूप से मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली ही हैं. ऐसे में आईसीसी से ज्यादा बीसीसीआई को उनकी आवश्यकता है. इसी कारण ऐसा भी हो सकता है कि गांगुली अपना नाम इस चुनाव में दाखिल ही नहीं करेंगे.

2. खुद गांगुली भी इस पद के लिए नहीं हैं तैयार

आईसीसी चेयरमैन बनने की संभावनाओं पर 48 साल के सौरव गांगुली ने खुद पत्रकारों के समक्ष साफ़-साफ़ बात की है. इंडिया टुडे से बातचीत में गांगुली ने कहा कि यह सब कुछ बीसीसीआई के निर्णय पर निर्भर करता है ऐसे निर्णय सयुंक्‍त रूप से लिए जाते हैं. उन्‍हें नहीं पता कि यह सही है या नहीं कि इस हालात में उन्‍हें बीसीसीआई को बीच में ही छोड़ने की इजाजत होगी.

सौरव गांगुली ने आगे कहा था कि "मैं किसी जल्‍दी में नहीं हूं. मैं अभी जवान हूं और इस जॉब को बाद में भी कर सकते हूं. उन्‍होंने कहा कि आप इस जॉब को हमेशा नहीं कर सकते. ये विशेष नौकरियां है, जो आप जिंदगी में एक बार करते हैं. मैं भी इस पद पर आसीन होना चाहता हूँ, लेकिन अभी सही समय नहीं है". गांगुली के इस वक्तव्य से आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि क्यों गांगुली आईसीसी के चेयरमैन नहीं बनेंगे.

1. बीसीसीआई है सौरव गांगुली की पहली प्राथमिकता

बीसीसीई और आईसीसी में सौरव गांगुली की पहली प्राथमिकता की बात करें तो वह निश्चित तौर बीसीसीआई होगी. दादा ने अभी तक बीसीसीआई के पद पर अपने एक वर्ष भी पूरे नहीं किया हैं. ऐसे में कोरोना महामारी के वैश्विक संकट के इस समय में आईसीसी खुद क्रिकेट को पहले जैसे बहाल करने के लिए बीसीसीई की तरफ टकटकी लगाये बैठी है.

ऐसे में सौरव गांगुली का बीसीसीई के पद पर रहना बहुत जरुरी है. क्योंकि उन्होंने अभी तक बीसीसीआई के लिए शानदार काम किया है. यदि सुप्रीम कोर्ट में लंबित फैसला गांगुली के पक्ष में आता है तो दादा बीसीसीआई के लिए अगले और दो वर्ष कम कर सकेंगे. बीसीसीआई को भी दादा से बहुत साड़ी उम्मीदें हैं.

इसी कारण इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है, कि दादा आईसीसी के नए अध्यक्ष पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रकट नहीं करेंगे और केवल बीसीसीआई को ही पहली प्राथमिकता समझकर काम करेंगे.

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