भारतीय क्रिकेट बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) हाल के दिनों में विवादों से घिरे रहे हैं। कुछ दिन पहले टीम इंडिया के अनुभवी विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा ने एक गांगुली को लेकर एक बयान जारी करते हुए इंडियन क्रिकेट में खलबली मचा दी थी। ऋद्धिमान साहा को भारत बनाम श्रीलंका टेस्ट सीरीज के लिए नहीं चुना गया है। बकौल साहा सौरव गांगुली ने उन्हें टीम में बनाए रखने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद सवाल उठा कि आखिर बोर्ड अध्यक्ष इस प्रकार से टीम इंडिया के चयन को लेकर किसी खिलाड़ी को आश्वासन कैसे दे सकते हैं।
टीम सिलेक्शन मीटिंग में दखल देते हैं Sourav Ganguly
खबरों के अनुसार मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) टीम सिलेक्शन की मीटिंग के दौरान चयनकर्ताओं के संपर्क में रहते हैं और कई बार टीम का हिस्सा भी होते हैं। कई चयनकर्ताओं से बातचीत के दौरान भी इस बात का खुलासा हुआ है कि गांगुली साल 2019 में अध्यक्ष का पदभार संभालने के साथ ही चयन समितियों की बैठक में हिस्सा लिया है।
कम अनुभव वाले चयनकर्ता महसूस करते हैं लाचार
सौरव गांगुली टीम इंडिया के कप्तान रह चुके हैं, वहीं उन्होंने अपने करियर में 113 टेस्ट और 311 वनडे मैच खेले हैं। लिहाजा इंडियन क्रिकेट में सौरव का रुतबा बेशुमार है। लेकिन बतौर बोर्ड प्रेसीडेंट उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से चयन समिति नाखुश नजर आती है। गांगुली की मौजूदगी में चयनकर्ता अपने फैसलों को स्वतंत्र तरीके से नहीं रख पाते हैं।
टीम इंडिया की चयन समित के वर्तमान चेयरमैन चेतन शर्मा को 25 टेस्ट और 65 वनडे इंटरनैशनल मैच खेलने का अनुभव है. इससे पहले एमएसके प्रसाद जब चयनकर्ता प्रमुख थे तो उनके पास 6 टेस्ट और 17 वनडे मैच खेलने का अनुभव था. बात करें, मौजूदा चयनकर्ताओं के ग्रुप की तो देबाशीष मोहंती, सुनील जोशी और हरविंदर सिंह ने कुल 43 टेस्ट और 195 वनडे मैच खेले हैं
क्या कहता है BCCI का नियम
भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के संविधान के अनुसार भारतीय टीम के चयन में बोर्ड अध्यक्ष की दखल अंदाजी नहीं हो सकती है। टीम के चयन के लिए 5 सदस्यों की कमेटी का गठन किया जाता है और टीम का चयन होने के समय कोच और कप्तान अपनी राय रख सकते हैं। वहीं बोर्ड के अध्यक्ष कमेटी के संयोजक होने के नाते मीटिंग का हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन बोर्ड के अध्यक्ष का इस मीटिंग में प्रभाव गैर जरूरी माना जाता है।