भारतीय क्रिकेट टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है. इस बीच सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) लेकर एक के बाद एक विवाद हो रहे हैं. टी-20 वर्ल्ड कप से पहले ही इस बदलाव की एक झलक देखने को मिल गई थी. फिर दो दिग्गजों के बीच टकराव की खबर भी आई. विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ी तो बीसीसीआई ने ऐसा बयान दे दिया जिससे कोहली ने साफ मना कर दिया. ऐसे में बोर्ड और टीम के कप्तान के बीच का ये विवाद सार्वजनिक तौर पर देखने को मिला. अब सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) एक नई खबर की वजह से विवाद का हिस्सा बन गए हैं. ऐसे में हम आपको विवाद और वो कितना सही है और संविधान क्या है इसके बारे में बताएंगे.
क्या है पूरा विवाद
हाल ही में ऐसी खबरें आईं कि टीम सिलेक्शन की जो मीटिंग होती है उसमें कप्तान और सिलेक्टर्स के अलावा बोर्ड का एक अधिकारी भी हिस्सा नहीं ले सकता है. इन अधिकारियों में बीसीसीआई का अध्यक्ष भी आता है. लेकिन, माना जा रहा है कि वो सिलेक्शन मीटिंग में शामिल हुए थे. ऐसे में फैंस सोशल मीडिया के जरिए उनके इस कदम के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं. अब सवाल ये उठा है कि क्यों बोर्ड अध्यक्ष टीम सिलेक्शन में शामिल नहीं होता.
तो इसे लेकर ऐसी बातें कही जा रही हैं कि क्योंकि टीम चयन का पूरा अधिकार सिर्फ और सिर्फ चयनकर्ता के पास होता है. फिलहाल बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) मीटिंग में शामिल होकर चयनकर्ताओं के फैसले में दखलअंदाजी करते हैं या नहीं इस बात को अभीतक बोर्ड के सूत्रों ने गलत बताया है.
जानिए टीम सिलेक्शन के नियम और कौन इस बैठक में होता है शामिल
किसी भी सीरीज, दौरे या बड़े टूर्नामेंट से पहले बीसीसीआई की चयनकर्ता कमेटी खिलाड़ियों का चुनाव करती है. सिलेक्शन कमेटी में 5 लोग शामिल होते हैं जो अलग-अलग ज़ोन से चुने हुए होते हैं. इन 5 सदस्यों के पास टी-20, वनडे और टेस्ट टीम को चुनने का पूरा राइट होता है. वहीं कमेटी टीम में कप्तान, उप-कप्तान का चयन करती है. सिलेक्शन कमेटी का हिस्सा होने के लिए 5 टेस्ट मैच, 30 फर्स्ट क्लास मैच या फिर 10 वनडे मैच खेलना जरूरी है. कोई भी खिलाड़ी जिसे रिटायरमेंट लिए हुए 5 साल पूरे हो गए हों वो इस कमेटी का हिस्सा बन सकता है.
इसके साथ ही जो खिलाड़ी मैच के मुताबिक ज्यादा सीनियर होता है उसे चीफ सेलेक्टर बनाया जाता है. जब भी टीम का सिलेक्शन किया जाता है तब चयनकर्ताओं के बीच वोट प्रक्रिया होती है. यदि टीम का कप्तान भी है तो वह अपनी राय दे सकता है. लेकिन, उसका वोट नहीं माना जाता. मीटिंग के दौरान बोर्ड का कोई अधिकारी (सचिव शामिल हो सकता है) मीटिंग का हिस्सा हो सकता है जिसका काम उस बैठक का संचालन करना है. बीसीसीआई के संविधान में ये बात स्पष्ट तौर पर लिखी हुई है.
क्या मीटिंग में हिस्सा ले सकता है बोर्ड अध्यक्ष?
फिलहाल ऐसी खबरें आ रही हैं कि बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) सिलेक्शन मीटिंग में हिस्सा लेते हैं. इसी सवाल पर एक वेबसाइट से बोर्ड अधिकारी ने कहा है कि वो मीटिंग में शामिल होते हैं. लेकिन, क्या उन्होंने चयन प्रक्रिया में कोई दखल दिया बिल्कुल भी नहीं. लेकिन, उनका मीटिंग में उपस्थित रहना किसी सिलेक्टर को प्रभावित जरूर कर सकता है. अब बोर्ड के संविधान पर एक नजर दौड़ाएं तो टीम चयन पूर्णरूप से सिर्फ चयनकर्ता कर सकते हैं.
बोर्ड अध्यक्ष या कोई भी अधिकारी इसमें दखल नहीं दे सकता है. लेकिन, जब टीम चुन ली जाती है तो उस पर आखिरी साइन बोर्ड अध्यक्ष ही करता है. लेकिन, बीसीसीआई के संविधान में इस बारे में कहीं नहीं बताया गया है कि टीम सिलेक्शन मीटिंग में बोर्ड अध्यक्ष शामिल नहीं हो सकता है. वहीं संविधान के मुताबिक बोर्ड के किसी एक अधिकारी को इसमें शामिल होना ही होता है क्योंकि उसे मीटिंग के संचालन और उसमें हुई चर्चा से संबंधित प्वाइंट बनाने होते हैं.