क्रिकेट की दुनिया में विश्व कप जीतने वाले कप्तान को बहुत ज्यादा सम्मान मिलता है। जो कप्तान खिताब जीतने में सफल नहीं होते हैं उन्हें फैन्स जल्द ही भुला देते हैं। लेकिन, भारतीय टीम के पूर्व कप्तान Sourav Ganguly के साथ ऐसा कभी नहीं रहा है। सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने कोई बड़ा खिताब अपने नाम नहीं किया।
कोई बड़ी ट्रॉफी अपने नाम ना कर पाने के बावजूद जब भी क्रिकेट जगत के महान कप्तानों की बात होती है तो फिर अपने आप उस लिस्ट में सौरव गांगुली का नाम शामिल हो जाता है। बिना विश्व कप जीते ही सौरव गांगुली महान कप्तानों की लिस्ट में शामिल हैं। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा क्यों है।
ये 5 करण हैं Sourav Ganguly की प्रसिद्धि के
1. फिक्सिंग कांड से टीम को उबारा
मोहम्मद अजहरुद्दीन सहित कुछ भारत के बड़े खिलाड़ी जब मैच फिक्सिंग के जाल में फंसे तो फैन्स का टीम पर से भरोसा उठ गया था। तब सौरव गांगुली को भारतीय टीम का नया कप्तान बनाया गया। उस समय फैन्स में उस समय क्रिकेट को लेकर जुनून खत्म हो रहा था।
भारतीय टीम का कप्तान बनते ही Sourav Ganguly ने टीम में युवा खिलाड़ियों को खेलने का मौका देना शुरू किया। जिसके बाद टीम ने जीत का स्वाद मैच दर मैच चखा। जिससे टीम दोबारा फैन्स का भरोसा जीतने में सफल हो पायी। फिक्सिंग कांड से टीम को बाहर निकलने और खोया सम्मान वापस पाने में गांगुली ने मदद की। आज फैन्स टीम को जो प्यार देते हैं, उसका श्रेय दादा को जाता है।
2. भारतीय टीम को दिए दिग्गज खिलाड़ी
जब Sourav Ganguly टीम के कप्तान बने। उस समय दिग्गज खिलाड़ियों के रूप में राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज थे। उनके साथ ही दादा ने नए खिलाड़ियों को भी टीम में जगह देना शुरू कर दिया। जिसमें हरभजन सिंह, युवराज सिंह, जहीर खान, वीरेन्द्र सहवाग और मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ियों को भी दादा ने ही टीम में जगह दी थी।
इन खिलाड़ियों ने ही अपने प्रदर्शन से टीम का मान बढ़ाया। भारत के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी दादा ने ही जौहर दिखाने का मौका दिया। बतौर कप्तान Sourav Ganguly ने भारतीय टीम को कई दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं। जो बाद में टीम के लिए मैच विजेता बन गये।
3. टैलेंट को दिया दादा ने मौका
शुरू से ही दादा ने अपनी एक कोर टीम बनाई। जिसमें शामिल खिलाड़ियों के बुरे दौर में सौरव गांगुली ने उन्हें टीम में बार-बार मौके भी दिए थे। युवराज सिंह और वीरेन्द्र सहवाग के बुरे दौर में Sourav Ganguly हमेशा उनके साथ खड़े रहे। महेंद्र सिंह धोनी के पहले 4 मैच में फेल हो जाने के बाद भी सौरव गांगुली ने उन्हें आगे खेलने का मौका दिया।
इस मौके के बाद उन्होंने खुद को पीछे रखकर धोनी को नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए भेजा था। यह काम एक महान कप्तान के अलावा कोई और नहीं कर सकता। दादा अपने खिलाड़ियों से खुलकर बात करते थे। जिससे वो खेल को अच्छे से समझ सकें और फिर टीम के लिए मैच जिता सकें।
4. विदेशी जमीन पर जीतना सिखाया
मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भी भारतीय टीम घर पर जीत रही थी, लेकिन विदेशी जमीन पर उनका अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा था। इसके बाद Sourav Ganguly ने कप्तान बनते ही विदेशों में भी सीरीज जीतने का संकल्प लिया था। जिसे उन्होंने पूरा करके भी दिखाया। इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 में दादा का अंदाज तो सभी को याद है। जबकि 2003 विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम ने जगह बनाई थी।
पाकिस्तान की टीम उस दौर में बहुत मजबूत हुआ करती थी। लेकिन, उसके बाद भी पाकिस्तान जाकर उन्हें हराया था। सौरव गांगुली ने इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया जाकर ऑस्ट्रेलिया को चुनौती दी थी। जो उस समय बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। भारतीय टीम विदेशी सरजमीं पर जाकर अच्छा कर सकती है, यह आत्मविश्वास भी Sourav Ganguly ने ही टीम को दिलाया था।
5. बिग थ्री में भी सौरव लाए भारत को
एक समय तक क्रिकेट की दुनिया में भारतीय टीम का बहुत बड़ा नाम नहीं हुआ करती थी। लेकिन, Sourav Ganguly के कप्तान बनने के बाद ऐसा नहीं रहा। क्रिकेट जगत में भारतीय टीम उसके बाद से हमेशा ही चर्चा का केंद्र बनी रही। जिसके कारण बीसीसीआई की ताकत भी लगातार बढ़ती गयी।
उस दौर में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम ने अपना दबदबा बनाए रखा था। उसके बाद लिस्ट में तीसरी खतरनाक टीम के रूप में भारत भी शामिल हो गया। मैदान पर दादा की अगुवाई में जिस आक्रामक अंदाज का क्रिकेट टीम ने खेला, उसके बाद से टीम का नाम बिग थ्री में शामिल हो गया। आज बीसीसीआई अन्य क्रिकेट बोर्डों से बहुत ज्यादा पॉवरफुल नजर आती है। उसकी शुरुआत दादा की कप्तानी में ही हुई थी।