IND vs SL: श्रीलंका के खिलाफ खेली जाने वाली आगामी 2 टेस्ट मैचों की घरेलू सीरीज के लिए टीम इंडिया (Team India) में उत्तर प्रदेश के बाएं हाथ के स्पि गेंदबाज सौरभ कुमार (Sourabh Kumar) को भी शामिल किया गया है. सौरभ (Sourabh Kumar) साउथ अफ्रीका दौरे पर भी टीम का हिस्सा थे. हालांकि उनकी यह क्रिकेटिंग यात्रा इतनी आसान नहीं रही है. आज से 7 साल पहले वो अपनी जिंदगी के उस मोड़ पर खड़े थे, जहां से उन्हें क्रिकेट या अपने भविष्य में से किसी एक को चुना था. लेकिन उन्होंने क्रिकेट के साथ जान ज्यादा बेहतर समझा और आज वो भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं.
सेना के लिए रणजी छोड़ने का फैसला बहुत मुश्किल था
सौरभ कुमार (Sourabh Kumar) ने भारतीय यावुसेना की नौकरी को ठोकर मारकर क्रिकेट में अपनी जिंदगी बनाने का फैसला किया. उनका मानना है कि, यह फैसला काफी चुनौतीपूर्ण था. भारतीय टेस्ट टीम में शामिल किये गये 28 वर्षीय बायें हाथ के स्पिनर सौरभ ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा,
जिंदगी में ऐसा समय भी आता है जब आपको एक फैसला करना पड़ता है. जो भी हो, लेना पड़ता है. सेना के लिये रणजी ट्राफी (Ranji Trophy) खेलना छोड़ने का फैसला करना बहुत मुश्किल था. मुझे भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना का हिस्सा होना पसंद था. लेकिन अंदर ही अंदर मैं कड़ी मेहनत करके भारत के लिये खेलना चाहता था
रोजाना करना पड़ता था 6-7 घंटों का सफ़र
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आने वाले इस खिलाड़ी को क्रिकेट की ट्रेंनिंग लेने के लिए रोजाना 7 घंटे का सफ़र करना होता था. सौरभ (Sourabh Kumar) ने अपने शुरूआती करियर में सुनीता शर्मा (Sunita Sharma) की कोचिंग में अभ्यास किया. सुनीता द्रोणाचार्य पुरस्कार द्वारा सम्मानित एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं. सौरभ ने अपने शुरूआती करियर के बारे में बात करते हुए कहा,
अगर मुझे नेट पर दोपहर दो बजे अभ्यास करना होता था तो मैं सुबह 10 बजे घर से निकलता. ट्रेन से तीन-साढ़े तीन घंटे का समय लगता जिसके बाद स्टेडियम पहुंचने में आधा घंटा और फिर वापस लौटने में भी इतना ही समय लगता. यह मुश्किल था. लेकिन जब मैं मुड़कर देखता हूं तो इससे मुझे काफी मदद मिली. जब आप 15-16 साल के होते हैं तो आपको महसूस नहीं होता. आपमें जुनून होता है, कि कुछ भी आपको मुश्किल नहीं लगता है