Shubhman Gill: भारत और ज़िम्बाब्वे के बीच खेली गई 3 मैचों की वनडे श्रृंखला अब समाप्त हो गई. जिसमें टीम इंडिया ने मेज़बानों को 3-0 से क्लीनस्वीप कर सीरीज़ अपने नाम की है. इस दौरे पर तकरीबन पूरी टीम का प्रदर्शन ज़बरदस्त रहा. लेकिन भारतीय टीम के युवा स्टाइलिश बल्लेबाज़ शुभमन गिल के लिए यह दौरा सबसे ज़्यादा यादगार रहने वाला है.
क्योंकि गिल का बल्ला इस पूरी सीरीज़ में जमकर गरजा है. उन्होंने आखिरी मैच में 130 रनों की ज़बरदस्त शतकीय पारी खेलकर सबका दिल जीता है. ऐसे में शुभमन (Shubhman Gill) को उनकी शतकीय पारी के लिए 'मैन ऑफ़ द मैच' के ख़िताब से नवाज़ा गया है. वहीं पूरी सीरीज़ में अच्छा करने के लिए शुभमन को "मैन ऑफ़ द सीरीज़" भी चुना गया है. ऐसे में यह आपार सफलता हासिल करने के बाद खिलाड़ी ने बड़ा बयान दिया है.
Shubhman Gill बने 'मैन ऑफ़ द सीरीज़'
आपको बता दें कि ज़िम्बाब्वे के साथ खेली गई 3 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में 22 वर्षीय शुभमन गिल (Shubhman Gill) का प्रदर्शन सांतवे आसमान पर रहा है. उन्होंने अपनी दमदार बल्लेबाज़ी के चलते वेस्टइंडीज़ के बाद अब ज़िम्बाब्वे में भी "मैन ऑफ़ द सीरीज़" का खिताब अपने नाम किए हैं.
शुभमन ने ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेली गई 3 पारियों में 122.5 की अविश्वसनीय औसत से बल्लेबाज़ी करते हुए 245 रन बनाए हैं. जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक भी शामिल है. शुभमन ने सीरीज़ के पहले में नाबाद 82, दूसरे में 33 जबकि आखिरी और तीसरे मुकाबले में 130 रन की ताबड़तोड़ शतकीय पारी खेली है.
"मैं सिर्फ अपने डॉट बॉल प्रतिशत को कम करने की कोशिश कर रहा था"
शुभमन (Shubhman Gill) ने 'मैन ऑफ़ द मैच' और 'मैन ऑफ़ द सीरीज़' का खिताब जीतने के बाद पोस्ट मैच इंटरव्यू में इस बात का ज़िक्र किया कि वह जितना हो सके कम डॉट बॉल खेलने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा,
"मैं "सिर्फ अपने डॉट बॉल प्रतिशत को कम करने की कोशिश कर रहा था। मैंने जितना हो सके गेंद को गैप्स में हिट करने की कोशिश की थी. जब मैं अंदर गया तो कुछ गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे. इससे पार पाना महत्वपूर्ण था। एक बार जब हम सेट हो गए, तो हमें पता था कि हम अटैक कर सकते हैं."
मेरे पिता मेरे प्राथमिक कोच रहे हैं- शुभमन गिल
शुभमन गिल (Shubhman Gill) ने आगे पोस्ट मैच इंटरव्यू में दिए गए बयान में अपने पिता के बारे में भी बात की है. उन्होंने बताया कि उनके पिता ही उनके प्राथमिक कोच रहे हैं. साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला शतक जड़ने पर भी अपनी खुशी ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा,
"मेरे पिता मेरे प्राथमिक कोच रहे हैं। दूसरे वनडे में आउट होने के बाद मुझे स्कूली शिक्षा मिली, इसलिए मैं इसे उन्हें समर्पित करता हूं, मैं इसे सहेजना चाहता था. निश्चित रूप से खास (अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक लगाने पर). भारतीय टीम में खेलना बहुत अच्छा लगता है."