"यह हालात देखकर दुख होता है", दिल्ली की जहरीली हवा से परेशान हुए शिखर धवन, सरकार और नागरिकों से की यह खास अपील

Published - 05 Nov 2022, 04:44 PM

Shikhar Dhawan

भारतीय टीम के गब्बर कहे जाने वाले खिलाड़ी शिखर धवन (Shikhar Dhawan) किसी ना किसी वजह से फैंस के बीच सुर्खियों में बने रहते हैं. इस बार धवन ने दिल्ली के में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर की है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिगड़ती वायु गुणवत्ता बद से बदतर होती जा रहा है. जिससे दिल्ली वासियों को काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. ऐसे में शिखर का ट्वीट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.

Shikhar Dhawan ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर कही ये बात

दिल्ली है दिल वालों कि नहीं बल्कि प्रदूषण के लिए भी जानी जाती है. बीते कुछ सालों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिगड़ती वायु गुणवत्ता पूरी तरह से दूषित हो चुकी है. क्योंकि यहां जहरीली हवा के चलते लोगों का सांस लेना मुहाल हो रहा है. ऐसे में हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में किसानों के द्वारा पराली जलाए जाने के बाद दिल्ली में पॉल्यूशन की मात्रा बढ़ जाती है.

जिससे आम जन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिस पर टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन (Shikhar Dhawan) ने भी अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए अपना दर्द बंया करते हुए कहा,

''दिल्ली में हवा की गुणवत्ता देखकर बहुत दुख होता है. मैं सभी लोगों और सरकार से इसका समाधान खोजने और उस पर आवश्यक कार्रवाई करने की अपील करता हूं. नागरिकों से अनुरोध करेंगे कि यदि संभव हो तो घर के अंदर रहें और वाहन साझा करें.''

आखिरकार प्रदूषण का निवारण कब होगा?

Delhi Pollution

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार गंभीर कैटेगरी में बना हुआ है. दिल्ली में वर्तमान में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 431 के पार गंभीर श्रेणी में है. जिससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार काफी एक्टिव नजर आ रही है. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया है.

इसके साथ ही पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जानकारी दी है कि राजधानी क्षेत्र में ट्रकों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है. हालांकि हर साल इन्हीं पुरानी टिप्स को को अपनाया जाता है. आखिरकार पॉल्यूशन का सॉल्यूशन स्थाई रूप से क्या हो सकता है. उसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर की आत्ममंथन करने की जरूरत नहीं है. नहीं हर साल भोली-भाली जनता को सरकार की गलत नीतियों का शिकार होना पड़ता रहेंगा?

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