Shane Warne: आईपीएल 2022 का फाइनल रविवार 29 मई को गुजरात टाइटंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा है. राजस्थान 14 साल के बाद दूसरी बार फाइनल में पहुंची है. साल 2008 यानी आईपीएल के पहले सीज़न में लेट ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर शेन वॉर्न की कप्तानी में राजस्थान पहली बार आईपीएल फाइनल खेला भी था और खिताब जीता भी था. हालांकि वॉर्न ने 2008 में राजस्थान रॉयल्स के साथ जुड़ने से पहले ही टीम को छोड़ने वाले थे. इसका खुलासा वॉर्न (Shane Warne) ने अपनी आत्मकथा नो स्पिन में किया.
Shane Warne ने दी थी आरआर को छोड़ने की धमकी
दरअसल, राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी के मालिक मनोज बडाले टीम के स्क्वाड में एक और खिलाड़ी टीम में शामिल करना चाहते थे. जिनको वॉर्न ने अपनी बुक में आसिफ का नाम दिया है. आसिफ टीम के कप्तान वॉर्न पर इतना प्रभाव नहीं डाल पाए थे. ऐसे में वॉर्न उनको टीम में शामिल करने के बिलकुल फेवर में नहीं थे. उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि अगर आसिफ टीम का हिस्सा होंगे तो वो फ्रेंचाइजी द्वारा दिए गए सारे पैसे वापस करके टीम को छोड़ देंगे. वॉर्न (Shane Warne) ने अपनी बुक "नो स्पिन" में लिखा,
"अगर मैं आसिफ को टीम में शामिल कर लेता हूं तो वो समझ जाएंगे कि एक वो खिलाड़ी जो उतना काबिल नहीं था और वो भी यहां है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी खास प्लेयर को फेवर किया जा रहा है. अगर आप आसिफ को टीम में चाहते हैं तो ठीक है मैं आपके पैसे वापस दे दूंगा और मैं इसका हिस्सा नहीं बनूंगा. इस बात पर मनोज ने कहा कि क्या आप सीरियस हैं, जिसके जवाब में मैंने कहा कि बहुत ही ज्यादा, मुझे इस फैसले पर अडिग रहने दीजिए."
डगआउट तक में आसिफ को नहीं मिली थी जगह
शेन वॉर्न (Shane Warne) की बात मानकर मनोज बड़ोले ने आसिफ को टीम में शामिल नहीं किया. लेकिन उन्होंने वॉर्न से आसिफ को डगआउट में टीम की जर्सी पहनकर बैठने की बात ज़रूर कही थी. इसके जवाब में ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने उनसे कहा था कि डगआउट काफी ज़्यादा छोटा है.
इसके अलावा वॉर्न का स्पष्ट रूप से उन्हें डगआउट में ना बिठाने का कारण था कि वह आसिफ को किसी भी प्रकार से फेवर नहीं करना चाहते थे. वहीं अगर शेन वॉर्न के आईपीएल करियर की बात करें तो, उन्होंने आईपीएल में कुल 55 मुकाबले खेले हैं, जिसमें उन्होंने 7.27 की ज़बरदस्त इकॉनमी से गेंदबाज़ी करते हुए 57 विकेट अपने नाम किए थे.