टीम इंडिया के उबरते खिलाड़ी शाहबाज अहमद (Shahbaz Ahmed) बल्ले और गेंद दोनों से कमाल दिखाने का माद्दा रखते हैं. उन्होंने आईपीएल आरसीबी की ओर खेलते हुए कई मैच जिताऊ पारियां खेली थी. जिसकी वजह से टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी विराट कोहली ने भी उनकी तारीफ की थी. हालांकि किंग कोहली इतनी आसानी से किसी खिलाड़ी की तारीफ नहीं करते हैं.
ऐसे में अब शाहबाज को साउथ अफ्रीका के खिलाफ 9 अक्टूबर को खेले गए दूसरे वनड़े में शिखर धवन की कप्तानी में डेब्यू करने का मौका मिला. चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि हरियाणा के इस लाल का क्रिकेटर बनने का सफर कैसा रहा और उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
Shahbaz Ahmed ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ किया डेब्यू
टीम इंडिया के लिए खेलना हर किसी खिलाड़ी का सपना होता है. लेकिन अगर खिलाड़ी को अपने सपनों करने की चाहा हो कि वो एक दिन अपने देश की नेशनल टीम के लिए खेलेगा. तो उसके लिए शाहबाज अहमद (Shahbaz Ahmed) एक प्ररेण का स्रोत हो सकते हैं. उन्होंने 27 साल की उम्र में गली क्रिकेट से निकलकर टीम इंडिया तक का अपना सफर तय कर लिया है.
उन्होंने हाल ही में साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे में टीम इंडिया के लिए पहला मैच खेला. इस दौरान उनकी बल्लेबाजी नहीं आई, लेकिन उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए 10 ओवरों में 1 विकेट हासिल किया. उनके इस प्रदर्शन से फैंस काफी खुश है. उन्होंने पहले मैच में जिस तरह का टेम्परामेंट दिखाया है वह उनके लिए अच्छा साइन है और भविष्य में टीम इंडिया के लिए लगातार मैच खेलते हुए दिखाई दे सकते हैं.
🎥 A moment to cherish for Shahbaz Ahmed as he makes his debut in international cricket. 👏 👏
— BCCI (@BCCI) October 9, 2022
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टीम इंडिया के लिए खेलता देख माता पिता के छलके आंसू
हर खिलाड़ी के पिता सपना होता है कि एक दिन उनका बेटा नीली जर्सी में टीम इंडिया के लिए खेले. अगर वो दिन उनके जीवन में आ जाते तो उनके लिए इससे गौरवान्वित करने वाला पल कुछ और हो ही नहीं सकता. ऐसा कुछ नजारा शाहबाज अहमद (Shahbaz Ahmed) के दौरान देखने को मिला. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शाहबाज अहमद के पिता अहमद जान और उनकी मां अबनाम ने उनकी क्रिकेट की जर्नी के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा,
"उन्होंने कुछ बड़ा करने की ठानी. यहां तक कि उनके कॉलेज के प्रोफेसरों ने भी उन्हें बताया कि यह (इंजीनियरिंग छोड़ना) एक गलती थी, क्योंकि वह एक अच्छे छात्र थे. शाहबाज ने अपने विभागाध्यक्ष से कहा था कि 'एक दिन तुम मुझे मेरी डिग्री दोगे और मेरा सत्कार भी करोगे.और पिछले साल ऐसा हुआ था".
शाहबाज अहमद के पिता अहमद जान ने अपनी बात रखते हुए कहा,
"वह खाना बनाना नहीं जानता था, इसलिए उसका काम बर्तन साफ करना था' मैंने उससे उस दिन कहा कुछ करके आना, वर्ना मत आना वापिस."
इंजीनियर नहीं क्रिकेटर बनना चाहते थे शाहबाज
शाहबाज अहमद (Shahbaz Ahmed) के पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने. इस लिए उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला दिला दिया, लेकिन शाहबाज के पहले ही मन बना चुके थे कि उन्हें इंजीनियर बल्कि क्रिकेटर बनना है. इस बात से उनके पिता बड़े नाराज थे. और उन्होंने अपने बेटे तो चेतावनी देते हुए कहा या तो कुछ करो, नहीं तो वापस मत आना।
शाहबाज एक ड्रॉपआउट इंजीनियरिंग स्टूडेंट थे. उन्होंने अपने सपनों को उड़ाने देने के लिए उन्होंने हरियाणा को छोड़ दिया और कोलकाता चले गए, क्योंकि वे अपना करियर इंजीनियरिंग में नहीं, बल्कि क्रिकेट में बनाना चाहते थे. जिसके बाद शाहबाज अहमद को तपन मेमोरियल क्लब जुड़े. इसके बाद प्रतिभाशाली ऑलराउंडर ने धीरे धीरे क्रिकेट की दुनिया में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए.
उन्होंने घरेलू टीम बंगाल के लिए खेले, जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. इसी के दम पर वे आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर यानी आरसीबी की टीम में चुने गए. जहां उन्होंने छोटे करियर में चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. उसका फायदा यह हुआ कि उन्हें टीम इंडिया में खेलने का मौका मिला. यह सब जानने के बाद कह सकते हैं कि शाहबाद का भारतीय टीम पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है.