महिला भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाज़ी की जान शेफाली वर्मा (Shafali Verma) अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए बखूबी जानी जाती हैं. बता दें कि शेफाली को महिला भारतीय टीम का वीरेंद्र सहवाग माना जाता है वे लंबे-लंबे हिट्स लगाने में माहिर हैं. साथ ही अपनी ताबरतोड़ बल्लेबाज़ी से वे किसी भी टीम की गेंदबाज़ी को धाराशाई कर सकती हैं. इसी के साथ आज शेफाली वर्मा का 18वां जन्मदिन भी है. ग़ौरतलब है कि इस खिलाड़ी ने सिर्फ 15 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना नाम बना लिया था. ये खिलाड़ी (Shafali Verma) भारतीय टीम के लिए आने वाले समय में और भी ज़्यादा घातक साबित हो सकती है.
10 साल की उम्र में ही पकड़ा था Shafali Verma ने बल्ला
आपको बता दें कि इस 18 वर्षीय खिलाड़ी ने 10 साल की उम्र में ही बल्ला थाम लिया था. उसके बाद शेफाली (Shafali Verma) ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज पूरे क्रिकेट जगत में उनकी बल्लेबाज़ी के चर्चे हैं. इतना ही नहीं बल्कि शेफाली इतने कम उम्र में ही टी20 में पूरे विश्व में नंबर 1 बल्लेबाज़ बनने का मुकाम भी हासिल कर चुकी हैं. इसी के साथ शेफाली ने एक और महानता हासिल की है, कि वे पहली ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने 18 वर्ष से पहले ही भारत को तीनों फॉर्मेट में रिप्रेज़ेंट किया है
इसके अलावा अगर उनके पिता की बात करें तो शेफाली के पिता कि रोहतक में सोने (ज्वेलरी) की एक छोटी सी दुकान है. शेफाली के पिता संजीव वर्मा ने उनके लिए बहुत मेहनत की है. जगह-जगह अपनी बेटी के एडमिशन के लिए कई अकादमियों में चक्कर लगाए हैं. लड़की होने की वजह से कोई भी अकादमी उन्हें टीम में नहीं लेती थी.
नहीं मानी शेफाली ने हार
शेफाली वर्मा (Shafali Verma) का "शेफाली वर्मा" बनने का सफर बिल्कुल आसान नहीं था, उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना किया है. बता दें कि शेफाली को लड़का बनकर क्रिकेट का अभ्यास करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस खिलाड़ी का प्यार क्रिकेट के लिए अलग ही था, इन्होंने कभी-भी क्रिकेट को अपने आप से जुदा नहीं होने दिया.
एक लड़की होने की वजह से इस खिलाड़ी ने क्रिकेट में करियर बनाने के लिए बहुत कुछ सहा है. उनके पिता संजीव वर्मा अपनी बेटी के अकादमी में दाखिले के लिए कई जगह जाते थे. लेकिन लड़की होने की वजह से उन्हें चांस नहीं दिया जाता था. ऐसे में शेफाली के पिता ने उनको टॉम बॉय बनाने का सोचा. उन्होंने बचपन में ही शेफाली के लड़कों जैसे बाल करवा दिए और एक क्रिकेट अकादमी में उनका एडमिशन करा दिया.
वहां पर शेफाली (Shafali Verma) ने अपने बल्ले से खूब धमाल मचाया. जिसके चलते कोच भी उनसे काफी प्रभावित था. वहीं शेफाली के पापा शेफाली को और उनके भाई को कभी-कभी रिवॉर्ड के तौर पर एक छक्का लगाने के 10 से 15 रूपये दिया करते थे.