MS Dhoni: डीआरएस (DRS) यानि डिसीजन रिव्यू सिस्टम ने 2008 में अपनी शुरुआत के साथ ही क्रिकेट को और रोमांचक बना दिया है कि क्योंकि इस नियम के आने के बाद अब अंपायर का फैसला आखिरी फैसला नहीं होता है. अगर बल्लेबाज या फिर फिल्डिंग करने वाली टीम को लगता है कि फिल्ड अंपायर का फैसला सही नहीं है तो वे इसके खिलाफ अपील कर सकते हैं और ज्यादातर बार फैसला विरोध में अपील करने वालों के पक्ष में आता है. अब सवाल ये है कि हर किसी के पास अंपायर के फैसले के खिलाफ जाकर 'डीआरएस' लेने का साहस नहीं होता है. इसके लिए खुद पर भरोसा होना चाहिए. महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) का नाम सफल डीआरएस लेने के मामले में सबसे आगे हैं. यही वजह है कि डीआरएस को कभी कभी धोनी रिव्यू सिस्टम भी कहा जाता है. आईए जानते हैं धोनी डीआरएस से संबंधित धोनी के आंकड़े क्या कहते हैं?
धोनी डीआरएस के बाहशाह नहीं
महेंद्र सिंह धोनी को डीआरएस का बादशाह माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर धोनी ने डीआरएस ले ली है तो फैसला उन्हीं के पक्ष में जाएगा. अक्सर ऐसा होते देखा भी गया है. लेकिन आंकड़ो पर हम गौर करें तो हम पाते हैं कि डीआरएस फैसले सही होने के मामले में धोनी लकी तो हैं लेकिन सबसे लकी नहीं हैं. कई ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो धोनी से डीआरएस की सफल अपील करने के मामले में कहीं आगे हैं. इन खिलाड़ियों में फाफ डु प्लेसी, विराट कोहली, केएल राहुल, राशिद खान, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी हैं.
कई विकेटकीपर भी धोनी से आगे
बतौर विकेटकीपर धोनी की डीआरएस सफलता की दर 57 प्रतिशत है. हालांकि विकेटकीपर के रुप में भी सफल डीआरएस लेने के मामले में धोनी पीछे हैं उसने आगे संजू सैमसन (60), निरोशन डिकवेला (63), ऋषभ पंत (63), एबी डिविलियर्स (67), जॉस बटलर (67), रहमानुल्लाह गुरबाज (70), दिनेश कार्तिक (71) और क्विंटन डिकॉक (80) काफी आगे हैं.
विकेटकीपर कप्तान के रुप में 7 वां स्थान
धोनी एक विकेटकीपर हैं जिसका फायदा उन्हें डीआरएस लेने के समय होता है लेकिन विकेटकीपर के रुप में भी उनकी सफलता 7 वें स्थान पर है. 15 रिव्यू के आधार पर ऋषभ पंत 60 प्रतिशत सफलता के साथ पहले जबकि केएल राहुल चौथे स्थान पर हैं. इससे साफ हो जाता है कि एमएस धोनी DRS के बादशाह नहीं है.
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