Sanju Samson: टीम इंडिया ने हैदराबाद में टी20 सीरीज का आखिरी मैच जीतकर बांग्लादेश का 3-0 से सूफड़ा साफ कर दिया. भारत ने 133 रनों से जीत दर्ज की. भारत की इस जीत के हीरो संजू सैससम (Sanju Samson) रहे. जिन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 11 1 रनों की तूफानी पारी खेली. संजू को इस बेहतरी पारी के लिए मैन ऑफ प्लेयर के खिताब से भी नवाजा गया. उन्होंने इस दौरान अपनी क्षमताओं के बारे में भी बताया कि देश के लिए क्या कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर उन्होंने असफल होने पर टीम मैनेजमेंट के सहयोग का अभार व्यक्त किया.
मैं दिखाना चाहता था कि मैं क्या करने में सक्षम हूं-Sanju Samson
संजू सैससम (Sanju Samson) को टीम इंडिया में मौके मिलते रहे हैं. लेकिन, वह बड़ी पारी नहीं खेल सके. सूर्या की कप्तानी में उन्हें खुलकर खेलने का लाइसेंस मिला तो उन्होंने शतक ठोक दिया. संजू अपनी इस पारी से काफी खुश है हैं. उन्होंने मैच के दौरान बातचीत के दौरान बताया कि वह अपने खेल पर कैसे फोकस कर रहे हैं. संजू ने आगे कहा,
ड्रेसिंग रूम की ऊर्जा और लड़कों ने मुझे बहुत खुश किया है. मैं बहुत खुश हूँ. वे खुश हैं कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया. यह जानना निराशाजनक हो सकता है कि आप वहां क्या कर सकते हैं और जिस तरह से मैं बल्लेबाजी कर रहा हूं, मुझे लगा कि मैं और बेहतर कर सकता था. ये विचार आपके दिमाग में आते रहते हैं. मैं जानता हूं कि दबाव और असफलताओं से कैसे निपटना है. मैं बहुत बार असफल हुआ हूं, इसलिए मुझे पता है कि अपने दिमाग को उसी हिसाब से कैसे मैनेज करना है.
मैं खुद से कहता रहता हूं कि मुझे बस प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अपनी ट्रेनिंग जारी रखनी है, खुद पर विश्वास रखना है और एक दिन यह जल्द ही आएगा. देश के लिए खेलते हुए, आप बहुत दबाव के साथ आते हैं. वह दबाव था, मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था और मैं दिखाना चाहता था कि मैं क्या करने में सक्षम हूं.
''पिछली सीरीज़ में दो बार शून्य पर आउट हो गया था''
श्रीलंका के खिलाफ खेली गई टी20 सीरीज में संजू सैससम (Sanju Samson) लगातार 2 मैचों में बिना खाता खोले आउट हो गए थे. जिससे वह अपने आप से काफी नाखुश थे और केरल चले गए थे. उन्होंने अपने आप से प्रश्न किया क्या इस प्रदर्शन से उनके करियर क्या होगा, लेकिन, टीम ने उन्हें बैक किया और चीजे सरल हो गई. जिस पर संजू से खुलासा किया कि,
"मैं खुद को याद दिलाता रहा कि मुझे इसे जितना संभव हो उतना सरल रखना है, एक समय में एक गेंद पर ध्यान केंद्रित करना है. अपने शॉट्स खेलना है. ड्रेसिंग रूम और हमारे पास जो नेतृत्व समूह है, वे मुझे हमेशा कहते रहते हैं, मुझे पता है कि आपके पास किस तरह की प्रतिभा है और हम आपका समर्थन करते हैं, चाहे कुछ भी हो. शब्दों में नहीं, बल्कि अपने कामों में भी उन्होंने मुझे दिखाया है.
पिछली सीरीज़ में मैं दो बार शून्य पर आउट हो गया था. और केरल वापस चला गया था, यह सोचकर कि क्या होगा भाई. लेकिन उन्होंने इस सीरीज़ में मेरा समर्थन किया और मैं बहुत खुश हूँ कि मैंने अपने कप्तान और कोच को मुस्कुराने के लिए कुछ दिया."
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