6,6,6,6,6,6,6..... रणजी खेलने पहुंचे रविन्द्र जडेजा का गजब करिश्मा, 707 मिनट क्रीज पर टिके, खेली 501 बॉल, ठोके ऐतिहासिक रन
Published - 28 Oct 2025, 11:03 AM | Updated - 28 Oct 2025, 11:17 AM
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भारतीय टीम के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) का नाम विश्व क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में गिना जाता है। उनके करियर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हर बार उन्होंने अपने प्रदर्शन से आलोचकों को गलत साबित किया।
टीम इंडिया में अपनी जगह बनाने के लिए जडेजा ने घरेलू क्रिकेट में जो संघर्ष और प्रदर्शन दिखाया, उसने उन्हें आज के मुकाम तक पहुंचाया। रणजी ट्रॉफी के एक मुकाबले में उन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया जिसे भुलाना मुश्किल है।
रणजी ट्रॉफी में Ravindra Jadeja ने रचा इतिहास
साल 2012 का वह रणजी ट्रॉफी सीजन भारतीय घरेलू क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। सौराष्ट्र की ओर से खेलते हुए रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) ने रेलवेज के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करते हुए तिहरा शतक ठोक दिया था। उन्होंने 501 गेंदों का सामना करते हुए 331 रनों की अद्भुत पारी खेली।
यह पारी सिर्फ एक बल्लेबाज के व्यक्तिगत रिकॉर्ड तक सीमित नहीं थी, बल्कि उस समय उनके करियर की दिशा तय करने वाली भी साबित हुई। जडेजा के सामने रेलवेज के सभी गेंदबाज बेबस नजर आए। वे ना तो उन्हें रोक पाए, ना ही उनके आत्मविश्वास को तोड़ सके। उन्होंने मैदान पर ऐसी बल्लेबाजी की जो लंबे समय तक याद रखी जाएगी।
707 मिनट तक क्रीज पर जमे रहे जडेजा
रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) की इस ऐतिहासिक पारी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने पूरे 707 मिनट तक क्रीज पर डटे रहे। इतने लंबे समय तक बल्लेबाजी करने के लिए असाधारण फिटनेस, मानसिक मजबूती और एकाग्रता की आवश्यकता होती है और जडेजा ने यह सब मैदान पर दिखाया।
उनकी इस पारी में 29 चौके और 7 शानदार छक्के शामिल थे। हर शॉट में आत्मविश्वास झलक रहा था और हर रन के साथ वह एक मजबूत संदेश दे रहे थे कि वह सिर्फ एक गेंदबाज नहीं, बल्कि एक परिपूर्ण ऑलराउंडर हैं।
उनके लंबे समय तक क्रीज पर टिके रहने से सौराष्ट्र की टीम को मजबूत नींव मिली और रेलवेज के गेंदबाजों के हौसले पस्त हो गए। उनकी यह पारी रणजी ट्रॉफी के इतिहास की उन चुनिंदा पारियों में गिनी जाती है जो धैर्य, दृढ़ता और जज्बे की मिसाल हैं।
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गेंदबाजी में भी दिखाई ऑलराउंड क्षमता
रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) का खेल हमेशा उनकी दोहरी भूमिका यानी बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर आधारित रहा है। इस मैच में भी उन्होंने बल्ले के साथ-साथ गेंद से भी शानदार प्रदर्शन किया। पहली पारी में उन्होंने तीन महत्वपूर्ण विकेट चटकाकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। उनकी गेंदबाजी ने विरोधी टीम को बांधे रखा और सौराष्ट्र के लिए बड़ा योगदान दिया।
जडेजा (Ravindra Jadeja) की इस ऑलराउंड परफॉर्मेंस ने यह साफ कर दिया कि वह किसी भी फॉर्मेट में खेल का रुख मोड़ने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि आगे चलकर उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की और टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में शामिल हुए।
सौराष्ट्र की जीत में जडेजा की अहम भूमिका
सौराष्ट्र और रेलवेज के बीच खेले गए इस मुकाबले का नतीजा भले ही ड्रॉ रहा हो, लेकिन जडेजा (Ravindra Jadeja) का प्रदर्शन इस मैच का सबसे बड़ा आकर्षण था। सौराष्ट्र ने पहली पारी में जडेजा के तिहरे शतक की बदौलत 9 विकेट के नुकसान पर 576 रन बनाकर पारी घोषित की।
जवाब में रेलवेज ने पहली पारी में 335 रन बनाए और दूसरी पारी में बिना विकेट खोए 27 रन तक पहुंची थी, जिसके बाद दिन समाप्त होने के कारण मुकाबला ड्रॉ घोषित कर दिया गया।
हालांकि यह मैच नतीजे तक नहीं पहुंच सका, लेकिन जडेजा का प्रदर्शन सौराष्ट्र क्रिकेट और उनके व्यक्तिगत करियर दोनों के लिए माइलस्टोन साबित हुआ।
इस मैच के बाद उनकी पहचान एक “स्पिन ऑलराउंडर” से बढ़कर “मैच विनर ऑलराउंडर” की बन गई। उन्होंने अपने बल्ले और गेंद दोनों से यह साबित किया कि अगर मौका मिले, तो वह अकेले मैच का रुख बदल सकते हैं।