रवि शास्त्री ने बताया उस टीम का नाम जो मौजूदा भारतीय टीम को भी दे सकती है मात
Published - 06 May 2020, 07:28 AM

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मौजूदा समय में टीम इंडिया का डंका विश्व के हर खोने में बज रहा है. बात चाहे किसी भी फॉर्मेट की क्यों ना हो, भारतीय टीम को मात देना किसी भी टीम के लिए आसान काम नहीं है. टीम के खिलाड़ियों के साथ साथ टीम की सफलता में हेड कोच रवि शास्त्री का भी एक बड़ा हाथ रहा हैं.
साल 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के बाद रवि शास्त्री को भारतीय टीम का हेड कोच बनाया था और पिछले साल उनका कॉन्ट्रैक्ट साल 2021 के टी20 विश्व कप तक के लिए आगे भी बढ़ा दिया गया.
शास्त्री ने चुनी अपनी पसंदीदा सीरीज
रवि शास्त्री की कोचिंग में टीम इंडिया ने बहुत कामयाबी हासिल की है. बात चाहे एकदिवसीय विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाना हो, या ऑस्ट्रेलिया को उसकी सरजमीं पर मात देना. शास्त्री का सभी में एक अहम किरदार रहा.
हाल में ही सोनी टेन के एक कार्यक्रम के दौरान रवि शास्त्री ने साल 2018-19 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर मिली टेस्ट सीरीज जीत को अपने करियर का सबसे यादगार पल बताया. शास्त्री ने कहा,
‘’ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैं एक कोच के अलावा साल 1985 में एक खिलाड़ी के तौर पर भी मैं भारतीय टीम का हिस्सा रह चुका हूँ. मेरे लिए यह एक शानदार एहसास है. 2018-19 में विराट कोहली की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में हराना बेहद मुश्किल था. क्योंकि 71 सालों में कोई भी एशियाई टीम ऐसा नहीं कर पायी थी, लेकिन सन 85 में जो भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया वनडे खेलने गई थी, वह मौजूदा टीम से भी बेहतर थी. हालांकि मैं दोनों ही टीमों का हिस्सा रह चुका हूँ और दोनों ही जीत मेरे लिए खास है.''
2018-19 और 85 में मिली जीत का विवरण
साल 2018-19 में टीम इंडिया विराट की अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गयी थी. जहां टीम ने मेजबान टीम को चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 2-1 से हराया था. भारत ने एडिलेड टेस्ट 31 रन और मेलबर्न टेस्ट 137 रनों के बड़े अंतर से जीते थे. वहीं जहां सिडनी टेस्ट ड्रा रहा था, तो पर्थ में टीम इंडिया को 146 रनों से मिली हार का सामना करना पड़ा था.
सन 1985 में ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर बेंसन एंड हेड्स वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पाकिस्तान को आठ विकेट से हराकर टूर्नामेंट जीता था.
अपनी टीम को बताया बेहतर
रवि शास्त्री ने आगे अपने बयान में कहा, ‘’मैं कपिल देव की कप्तानी में साल 1983 विश्व कप विजेता का भी हिस्सा रहा हूँ और 1985 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी टीम का भी, दोनों में काफी अंतर है. मैं तो यह कह सकता हूँ कि 1985 में जो भारतीय टीम थी वह आज के मौजूदा टीम से भी बेहतर थी.''
शास्त्री ने आगे लिखा, ‘’ इस पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठता है. वह टीम सीमित ओवर क्रिकेट में किसी भी टीम ही हरा सकती थी. वह एक बेहतरीन टीम थी. अगर आप उस टीम की तुलना 1983 विश्व कप टीम से करेंगे तो अप देखेंगे कि उसमें 80 प्रतिशत खिलाड़ी वहीं हैं जो विश्व कप टीम में थे, लेकिन कुछ नए युवा खिलाड़ी टीम में आये जिन्होंने खेल के अंदाज को पूरी तरह से बदल दिया. इसमें खासतौर शिवरामाकृष्णन, सदानंद विश्वनाथ और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे खिलाड़ी शामिल थे.''