भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने 2020 में सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया था। जिससे सभी क्रिकेट प्रशंसक निराश हो गए थे। धोनी ने बिना किसी शोर-शराबे के सिर्फ इंस्टाग्राम पर एक मैसेज शेयर कर सभी को अपने इस फैसले की जानकारी दी थी। जिस तरह उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा, ठीक वैसे ही 2014 में टेस्ट क्रिकेट से भी अलग होने की घोषणा की थी। तब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी और मेलबर्न टेस्ट के आखिरी दिन उन्होंने टीम के डायरेक्टर रवि शास्त्री से इसे लेकर बात की। अब शास्त्री ने धोनी के संन्यास के बारे में बात की है।
रवि शास्त्री ने अपनी किताब में किया खुलासा
भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने अपनी किताब Stargazing: The players in my life में महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में बात की है। उनका कहना है कि Dhoni ने किसी से भी बात नहीं की थी। शास्त्री ने किताब में लिखा कि मेलबर्न में सीरीज का तीसरा टेस्ट खेला जा रहा था जो ड्रा हो चुका था। जिसके बाद धोनी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाना था, उसमें जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा कि रवि भाई, जब मैं वापस लौटूंगा, तो मुझे साथी खिलाड़ियों से बात करनी है। तब मैंने उन्हें कहा था कि आप कप्तान हैं, बिल्कुल बात कर सकते हैं।
क्रिकेट के Dhoni बहुत ही बेहतर इंसान हैं : रवि शास्त्री
Dhoni के संन्यास के बारे में बात करते हुए रवि शास्त्री ने किताब में लिखा है कि, धोनी जब प्रेस कांफ्रेंस से लौटे तब उन्होंने सभी खिलाड़ियों से कह दिया कि यह उनका आखिरी मैच था। धोनी ऐसे ही इंसान हैं, बहुत ही बेहतर और निडर। उन्होंने तब तक कुल 90 टेस्ट ही खेले थे और 100 मैच खेलने से सिर्फ 10 ही मैच दूर थे। फिर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और संन्यास ले लिया। धोनी इस तरह के इंसान नहीं है कि कुछ और रुक जाता हूं, फिर अलविदा कहूंगा। वो हमेशा से ही बेहतर खिलाड़ी और इंसान रहे हैं।
धोनी के नाम हैं छह टेस्ट शतक
महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट से संन्यास लेने से छह साल पहले ही टेस्ट क्रिकेट से दूरी बना ली थी। उन्होंने 2014 में टेस्ट क्रिकेट से अलविदा कहने से पहले कुल 90 मैच खेले थे। जिसमें उनके नाम छह शतक और 33 अर्धशतक दर्ज हैं, जिनकी मदद से Dhoni ने 4876 रन बनाए थे। जिनमें उनका उच्चतम स्कोर 224 रन है। कोच रवि का कहना है कि उन्होंने धोनी को मानाने की कोशिश की थी कि वो संन्यास ना लें। क्योंकि उस समय वो टीम के 3 सबसे फिट खिलाड़ियों में से थे और टीम को उनकी जरुरत भी थी।