U19 World Cup: फिल्म 'इकबाल' से मिलती है Ravi Kumar की कहानी, छिप-छिपकर खेलते थे क्रिकेट, कोच ने की थी ऐसे मदद

Published - 07 Feb 2022, 03:46 PM

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अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में इंग्लैंड को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले तेज गेंदबाज रवि कुमार (Ravi Kumar) इन दिनों अपने प्रदर्शन की वजह से चर्चाओं में हैं. इससे पहले उन्होंने क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ अपनी घातक गेंदबादी का कमाल दिखाते हुए भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. उच्च क्रम को अपनी स्विंग से छकाने वाले रवि कुमार (Ravi Kumar) की कहानी का अंदाज ही कुछ अलग है. जिसके बारे में खुद उनके कोच ने खुलासा किया है.

पिता क्रिकेट खेलने से करते थे मना, और आज विश्व कप का बन गया हीरो

u19 WC Ravi Kumar

अलीगढ़ का ये तेज गेंदबाज काफी खुशकिस्मत है जो क्रिकेटर बन गया है. सीआरपीएफ में जवान पिता की हसरत थी कि वो अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दें. पिता की सोच काफी हद तक बिल्कुल सही भी थी क्योंकि पूरे घर की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी. इसलिए उनके पास क्रिकेट के लिए इतने पैसे नहीं होते थे कि वो बेटे ऊपर अलग से खर्चा कर सकें. लेकिन, इस युवा क्रिकेटर ने अपनी इस प्रतिभा को जाया नहीं जाने दिया. रवि कुमार ने घरवालों से छिप-छिपाकर क्रिकेट खेलना जारी रखा.

2013-14 से शुरू हुआ था उनके क्रिकेट का सही मिशन

Ravi Kumar cricket Career

साल 2013 और 2014 के बीच की बात है जब कोच अरविंद भारद्वाज एक मैदान में दौड़ रहे थे. वहीं उनकी नजर टेनिस गेंद फेंक रहे इस गेंदबाज पर पड़ी. कोच ने एक ही नजर में इस युवा खिलाड़ी की प्रतिभा को तराश लिया वो इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सीधा तेज गेंदबाज से बात की. ऐसे में उन्हें पता चला कि उनके पिता उन्हें क्रिकेट खेलने से मना करते हैं.

ऐसे में अरविंद तुरंत रवि कुमार (Ravi Kumar) के पिता से मिलने उनके घर पहुंच गए. उन्होंने गेंदबाज के पिता को समझाया भी और वो समझ भी गए. इसके बाद युवा क्रिकेटर अकादमी में पहुंचे और अपने आप पर उन्होंने जमकर मेहनत भी की. अब यही खिलाड़ी विश्व कप विजेता टीम का हीरो बनकर दुनिया के सामने आया है.

अकादमी के बाहर से लोगों को देखता था ये युवा क्रिकेटर

Ravi Kumar coach Arvind kumar

इस बारे में कोच अरविंद अमर उजाला से बात करते हुए बताया कि जब उन्होंने इस युवा खिलाड़ी को देखा तो उसके गेंदबाजी एक्शन ने उन्हें काफी ज्यादा प्रभावित किया. इस खिलाड़ी के घर के पास ही उनकी जेडीएस अकादमी थी. ऐसे में रवि कुमार (Ravi Kumar) ने उनसे कहा कि वो तो उनकी अकादमी जाते हैं और लोगों को खेलते देखते हैं. लेकिन, घर की परिस्थितियां ऐसी हैं कि वो इसमें अपना एडमीशन नहीं ले सकते.

यही वजह है कि उनके माता-पिता उन्हें क्रिकेट खेलने से साफ मना करते हैं. ऐसे में वो सीधा खिलाड़ी के पिता के पास पहुंचे और उनसे उन्होंने कहा अब पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब वाला वक्त बीत गया है. उनके बेटे में उन्हें प्रतिभा दिख रही है.

यूपी के बजाय बंगाल के लिए अब खेलेगा ये युवा गेंदबाज

Ravi Kumar

कोच अरविंद की माने तो रवि कुमार (Ravi Kumar) का जन्म कोलकाता में हुआ है और वह कोलकाता में मोहम्मडन स्पोर्टिंग के लिए लंबे समय तक खेले भी हैं. साल 2017 में उन्हें लगा कि बंगाल में यूपी की बजाय चयन के मौके ज्यादा हैं. उनके चाचा लीलाधर गौतम भी कोलकाता में रहते हैं इसलिए वहां रहने में उन्हें कोई परेशानी नहीं थी. उसलिए वो युवा खिलाड़ी को बालीगंज क्रिकेट क्लब के कोच अमिताभ रॉय के पास लेकर गए.

उन्होंने रवि को देखते ही क्लब में रख लिया. अरविंद कहते हैं कि अब वो बंगाल के लिए ही खेलेंगे. अमिताभ राय का कहना है कि यह ऐसी गेंदबाज है जो विकेट नहीं मिलने और रन पड़ने पर हौसला नहीं छोड़ता है. वह हिम्मत नहीं हारता है और यही उसकी कामयाबी का सबसे बड़ा राज भी है.

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