W,W,W,W,W,W..... दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंचा कोई बल्लेबाज, रणजी में मात्र 23 रन पर ढेर हुए ये टीम
Published - 20 Dec 2025, 04:07 PM | Updated - 20 Dec 2025, 04:10 PM
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क्रिकेट की अनिश्चितता ही इस खेल को सबसे अलग बनाती है। एक दिन बल्लेबाज बड़े-बड़े स्कोर खड़े करते हैं तो दूसरे दिन गेंदबाज अकेले दम पर पूरी टीम को घुटनों पर ला देते हैं। भारत के सबसे प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में भी कई ऐसे मुकाबले हुए हैं, जो सालों बाद भी मिसाल के तौर पर याद किए जाते हैं।
ऐसा ही एक ऐतिहासिक लेकिन बेहद शर्मनाक मामला रणजी ट्रॉफी के एक सेमीफाइनल मुक़ाबले में देखने को मिला जब पूरी टीम महज 23 रन पर ढेर हो गई और कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू सका।
सेमीफाइनल का दबाव और उम्मीदों के उलट कहानी
यह बात हैं साल 1939 के रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के सेमीफाइनल की जब सिंध और साउथर्न पंजाब के बीच यह मुकाबला खेला गया था। सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले में आमतौर पर दोनों टीमों से संयम और मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है।
सिंध ने पहली पारी में 339 रन बनाकर यह संकेत दिया था कि टीम में संघर्ष करने की क्षमता है। इसी वजह से दूसरी पारी में भी एक सम्मानजनक स्कोर की उम्मीद थी, लेकिन मैदान पर हालात पूरी तरह उलट नजर आए।
दूसरी पारी की शुरुआत से ही टूट गया आत्मविश्वास
सिंध की दूसरी पारी की शुरुआत बेहद खराब रही। पहले ही ओवर में विकेट गिर गया और टीम दबाव में आ गई। इसके बाद हालात लगातार बिगड़ते चले गए। बल्लेबाज न तो गेंद की लाइन-लेंथ समझ पाए और न ही क्रीज पर टिकने का आत्मविश्वास दिखा सके।
हर कुछ गेंदों में विकेट गिरता रहा और स्कोरबोर्ड पर रन के बजाय विकेटों की संख्या तेजी से बढ़ती चली गई। महज 15 रन तक पहुंचते-पहुंचते आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी, जिसने इस पारी की दिशा तय कर दी।
दहाई तक नहीं पहुंच सका कोई बल्लेबाज
इस पारी की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कोई भी बल्लेबाज दो अंकों तक नहीं पहुंच पाया। ओपनर बीएस अंबेप ने सबसे ज्यादा सात रन बनाए। अब्बास खान ने चार रन जोड़े और जियोमल पांच रन बनाकर आउट हुए।
गुलाम मोहम्मद खाता भी नहीं खोल सके, जबकि बाकी बल्लेबाज 0, 1 या 2 रन पर ही पवेलियन लौट गए। पूरी टीम महज 23 रन पर ऑलआउट हो गई, जो रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) इतिहास के सबसे कम स्कोर में गिना जाता है।

Ranji Trophy: अमरनाथ और निस्सार की घातक गेंदबाजी
इस ऐतिहासिक पतन के पीछे साउदर्न पंजाब के गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी थी। लाला अमरनाथ और मोहम्मद निस्सार ने मिलकर सिंध की बल्लेबाजी की रीढ़ तोड़ दी।
निस्सार ने अपनी रफ्तार और सटीक लाइन से छह विकेट झटके, जबकि अमरनाथ ने चार विकेट लेकर बची-खुची उम्मीदें भी खत्म कर दीं। गेंदबाजों के लगातार दबाव ने इस मुकाबले को रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) इतिहास के सबसे यादगार और हैरान करने वाले पलों में शामिल कर दिया।
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यह लेखक Cricketaddictor का एक सदस्य है जो क्रिकेट से जुड़ी खबरों और विश्लेषण पर लिखता है।